आयुर्वेद में हृदय रोग को हृद्रोग के नाम से जाना जाता है. आयुर्वेदिक चिकित्सा के जनक चरक ने हृद्रोग के इलाज के लिए हृदय महाकाशाय ग्रुप में 10 आयुर्वेदिक दवाओं की सूची बनाई है. इन दवाओं में ज्यादातर खट्टे फलों के एस्कॉर्बिक एसिड शामिल हैं. इन दवाओं में मौजूद फाइटोकॉन्स्टिट्यूएंट्स (पौधों से प्राप्त रसायन) ब्लड वेसल्स, विशेष रूप से कोरोनरी आर्टरीज को स्वस्थ रखने में मददगार हैं.

हृदय रोग का आयुर्वेदिक इलाज जानने के लिए कृपया यहां दिए लिंक पर क्लिक करें.

मेडिकल साइंस द्वारा वर्णित सभी हृदय संबंधी रोगों को आयुर्वेद में वर्गीकृत करना मुश्किल हैं, लेकिन हृदय रोगों से बचने और इलाज के लिए जिन दवाओं की सूची बनाई गई है, वे हाइपोटेंशन, हाइपोकोलेस्ट्रेमिक, एंटी-प्लेटलेट और थ्रांबोलिटिक गतिविधियों को नियंत्रि‍त करते हुए कार्डियो-वैस्कुलर और सेरेब्रोवैस्कुलर डिसऑर्डर के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.

आज इस लेख में हृदय रोग के लिए आयुर्वेदिक दवा के बारे में जानेंगे-

(और पढ़ें - हृदय रोग के लिए योगासन)

  1. हृदय रोगों में सहायक आयुर्वेदिक उपचार
  2. हृदय रोग के लिए अन्य आयुर्वेदिक दवाएं
  3. सारांश
हृदय रोग के लिए आयुर्वेदिक दवा व उपचार के डॉक्टर

आयुर्वेदिक दवा जूस, पाउडर, अर्क या गोली या फिर काढ़े आदि के रूप में आती हैं. इनमें कुछ दवाओं का प्रयोग कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल कर ह्रदय रोग की संभावना कम करता है. कुछ आम आयुर्वेदिक दवाएं या दवाओं के मिक्सचर जैसे कि अश्वगंधा व अन्य जड़ी-बूटियों का प्रयोग हृदय रोग में किया जाता है. आइए, विस्तार से जानते हैं कि हृदय रोग के लिए आयुर्वेदिक दवा कौन-कौन सी हैं और उनसे मिलने वाले फायदे क्या-क्या हैं -

गुग्गल

गुग्गुल को कमिफोरा मुकुल नामक पेड़ से प्राप्त किया जाता है. इसका प्रयोग आयुर्वेदिक औषधि बनाने के लिए सदियों से किया जाता रहा है. गुग्गुल हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने के लिए लाभदायक माना जाता है. यही नहीं, गुग्गुल हाई डेंसिटी लिपो प्रोटीन (अच्छे प्रकार का कोलेस्ट्रॉल) को बढ़ाने में भी सहायक है, जिनसे हृदय रोगों का खतरा काफी कम हो सकता है. हालांकि, पूरी तरह से कोलेस्ट्रॉल के लिए गुग्गल पर निर्भर न रहें. अपनी डाइट में भी आवश्यक बदलाव करें.

(और पढ़ें - हृदय रोग के लिए प्राणायाम)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Hridyas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं में सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
BP Tablet
₹691  ₹999  30% छूट
खरीदें

अर्जुनारिष्ट

इस हर्बल टॉनिक का प्रयोग हृदय की सेहत बढ़ाने के लिए किया जा सकता है. इसका सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर लेवल में कमी आती है. रिसर्च में भी पाया गया है कि एक महीने तक लगातार अर्जुनारिष्ट का सेवन करने से एचडीएल लेवल अधिक और एलडीएल लेवल कम हुए. साथ ही ट्रायग्लिसराइड लेवल भी कम हुआ. इसमें काफी सारे एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो फ्री-रेडिकल्स द्वारा होने वाले नुकसान से हृदय को बचा सकते हैं.

पुष्करमूल

पुष्करमूल को सप्लीमेंट के रूप में प्रयोग किया जा सकता है. पुष्करमूल का प्रयोग करके अन्य आयुर्वेदिक दवाइयां भी बनाई जाती हैं. जो हृदय की सेहत के लिए फायदेमंद होती हैं. इन सप्लीमेंट्स का प्रयोग करने से बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम किया जा सकता है. यह औषधि जूस, पाउडर, टेबलेट व एक्सट्रैक्ट के रूप में उपलब्ध होती है.

(और पढ़ें - हृदय रोग से बचने के उपाय)

लसूना

लसूना टेबलेट के रूप में उपलब्ध होती है. यह हानिकारक कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करके हृदय की सेहत में सुधार लाता है. ब्लड क्लॉट बनने और उससे होने वाले नुकसान से भी लसूना हृदय को बचा सकता है. इससे धमनियों में होने वाला रक्त प्रवाह प्रभावित होने से बचता है. इससे हृदय को नुकसान नहीं पहुंचता. इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स भी हृदय को फ्री-रेडिकल्स से बचाते हैं.

अमालकी रसायन

इसे आंवला भी कहा जाता है. इसके प्रयोग से कोलेस्ट्रॉल लेवल सामान्य होता है. आंवला विटामिन-सी का सबसे अच्छा स्रोत है. विटामिन-सी से धमनियों को काफी लाभ मिलता है और वह मजबूत बनती हैं. अगर धमनियां अपना काम अच्छे से करेंगी, तो हृदय की सेहत भी बेहतर ही रहेगी. आंवला में काफी सारे लाभदायक एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं, जिनसे हृदय को फायदा पहुंचता है.

(और पढ़ें - हृदय रोग में क्या खाएं)

जटामांसी

जटामांसी भारतीय मूल की ही एक जड़ी-बूटी है. इसका इस्तेमाल न्यूट्रास्यूटिकल्स और दवाओं को बनाने में किया जाता है. साथ ही इसका प्रयोग दिमागी कमजोरी, मिर्गी और हिस्टीरिया आदि नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है. इसका प्रयोग कार्डियक अरेस्ट जैसी स्थिति से भी बचाने में सहायक है.

मोरिंगा

मोरिंगा में कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले गुण होते हैं. मोरिंगा को सहजन के पत्ते के तौर पर भी जाना जाता है. मोरिंगा के अर्क में पाए जाने वाले शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट हृदय की क्षति को रोकने में मदद कर सकते हैं और यह स्वस्थ हृदय को बनाए रखने में भी सहायक होता है.

अलसी

कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि अलसी और अलसी के तेल में पाया जाने वाला अल्फा-लिनोलेनिक एसिड हृदय रोग से पीड़ित लोगों को लाभ पहुंचा सकता है. प्रारंभिक शोध यह भी बताते हैं कि अलसी उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकती है, जो हृदय रोग में भूमिका निभाता है.

(और पढ़ें - कोरोनरी आर्टरी डिजीज के लक्षण)

आंवला

आंवला में गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव, एंटीऑक्सीडेंट और एनाल्जेसिक गुण होते हैं. प्राचीन भारतीय साहित्य में आंवला लिवर, हार्ट, पेट के अल्सर, मधुमेह और कई अन्य समस्याओं के रोगों में उपयोगी है. यह इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है. आंवला खून में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है. दिल को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है.

हृदय रोग से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह पर इन दवाओं का भी सेवन किया जा सकता - 

  • बाला (सीडा कॉर्डिफोलिया लिन.)
  • नागबाला (सीडा ह्यूमिलिस लिन.)
  • शुंथि (जिंगिबर ऑफिसिनेल रोस्को.)
  • पिप्पली (पाइपर लोंगम लिनन.)
  • यष्टिमधु (ग्लाइसेररिजा ग्लबरा लिन.)
  • हरीतकी (टर्मिनलिया चेबुला रेट्ज़.)
  • दशमूल

(और पढ़ें - महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण)

हृदय रोग के लिए आयुर्वेदिक दवा के सेवन से बचा जा सकता है. ये जड़ी-बूटियां काफी फायदेमंद हैं. हालांकि इनके कुछ साइड इफेक्ट भी संभव हैं. इसलिए इनका प्रयोग पूरी सावधानी से करें. कुछ जड़ी बूटियां केवल भारतीय डाइट पर ही अपना असर दिखाती हैं, तो कुछ जड़ी बूटियों को असर दिखाने के लिए डाइट में बदलाव करने की जरूरत होती है. बस इनके सेवन से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें. साथ ही अपना लाइफ स्टाइल भी अच्छा रखें.

Dr. Harshaprabha Katole

Dr. Harshaprabha Katole

आयुर्वेद
7 वर्षों का अनुभव

Dr. Dhruviben C.Patel

Dr. Dhruviben C.Patel

आयुर्वेद
4 वर्षों का अनुभव

Dr Prashant Kumar

Dr Prashant Kumar

आयुर्वेद
2 वर्षों का अनुभव

Dr Rudra Gosai

Dr Rudra Gosai

आयुर्वेद
1 वर्षों का अनुभव

ऐप पर पढ़ें