दिल का दौरा यानी ‘हार्ट अटैक’ को मेडिकल में मायोकार्डियल इन्फार्क्शन (एमआई) के नाम से जाना जाता है. हार्ट अटैक आमतौर पर तब होता है जब कोरोनरी आर्टरी ब्लॉक हो जाती हैं या फिर जब हृदय की मांसपेशियों में रक्त की आपूर्ति कम या पूरी तरह से रूक जाती है.
हार्ट अटैक का सबसे आम लक्षण सीने में दर्द होना है लेकिन इसके लक्षणों का अनुभव किसी व्यक्ति के लिंग और उम्र पर निर्भर करता हैं. हार्ट अटैक को तुरंत या जितनी जल्दी हो सके पहचानना जरूरी है जिससे समय पर चिकित्सा दी जा सके. सही समय पर इलाज हृदय की क्षति को कम कर सकता है और पूरी तरह से रिकवरी की संभावना को बढ़ा सकता है. आज इस लेख में हम जानेंगे दिल का दौरा पड़ने पर कितनी देर में इलाज होना जरूरी है?
कब जरूरी होती है आपातकालीन चिकित्सा
द नेशनल हार्ट, लंग, एंड ब्लड इंस्टीट्यूट के प्रवक्ता के मुताबिक, दिल का दौरा पड़ने के दौरान आपके द्वारा लिया गया तुंरत एक्शन किसी की जान बचा सकता है. बेशक, आप सुनिश्चित ना भी कर पा रहे हो कि दिल का दौरा पड़ा है या नहीं, लेकिन आपातकालीन चिकित्सा देकर आप हृदय को होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं.
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समय पर इलाज ना मिले तो दिल का दौरा कितने समय तक रह सकता है
दिल का दौरा पड़ने का संकेत होने के बावजूद यदि इलाज नहीं दिया गया है तो इसके परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं. हार्ट अटैक का अंदेशा होने पर तुरंत चिकित्सीय सलाह लेना जरूरी होता है. यदि किसी को हार्ट अटैक के लक्षण 15 मिनट से अधिक देर तक दिखाई देते हैं तो हृदय मांसपेशियों की कोशिकाओं (heart’s muscle cells) को नुकसान पहुंचने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. हार्ट अटैक के लक्षणों की शुरूआत से लेकर गंभीर क्षति पहुंचने से पहले तक पीड़ित व्यक्ति के पास 90 मिनट से भी कम समय होता है.
यदि इस बीच व्यक्ति को इलाज ना मिले तो दिल की मांसपेशियों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचने से कई जटिलताएं आ सकती हैं. जैसे -
- एब्नार्मल हार्ट रिदम
- बहुत ज्यादा क्षति पहुंचने के कारण हार्ट फेल होना
- कार्डियक अरेस्ट
किसी भी जटिलता की गंभीरता और अवधि आमतौर पर इस बात पर निर्भर है कि हार्ट अटैक की वजह से हृदय की मांसपेशियों को कितना नुकसान पहुंचा है.
हार्ट अटैक की पहचान
अटैक को पहचानने और तुरंत चिकित्सा दिलवाने के लिए इसके लक्षणों को जानना जरूरी है. ये तो अधिकत्तर लोग जानते हैं कि छाती में दर्द होना हार्ट अटैक पड़ने का सबसे सामान्य लक्षण है, लेकिन अलग-अलग उम्र और लिंग के लोगों को दिल के दौरे के अलग-अलग लक्षणों का भी अनुभव हो सकता है. हार्ट द सेंटर फॉर डिजीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक, हार्ट अटैक के कुछ सामान्य लक्षण हैं. जैसे -
- सीने में दर्द, दबाव या जकड़न
- सांस लेने में तकलीफ होना या सांसों में कमी आना
- शरीर के ऊपरी हिस्से में दर्द महसूस होना
- कंधे, हाथ, पीठ, गर्दन, जबड़े, दांत या कभी-कभी पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द या बेचैनी महसूस होना
- कमजोरी होना, चक्कर आना, बेहोशी या ठंडे पसीने आना
- अचानक मतली, अपच की समस्या होना
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हार्ट अटैक के बाद फर्स्ट-ऐड
हार्ट अटैक आमतौर पर 15 मिनट से अधिक समय तक सीने में दर्द का कारण बनता है. कुछ लोगों को हार्ट अटैक अचानक पड़ता है, लेकिन कई लोगों में चेतावनी के संकेत घंटों या कई दिन पहले ही दिखाई देने लगते हैं.
- अगर आपको या किसी और को हार्ट अटैक हुआ है तो तुरंत एंबुलेंस के लिए 102 पर कॉल करें या अपने स्थानीय आपातकालीन नंबर पर कॉल करें.
- एम्बुलेंस या आपातकालीन सेवा आने में समय लग रहा है तो मरीज को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाकर प्राथमिक चिकित्सा दिलवाएं. यदि आप घर पर अकेले हैं तो पड़ोसी की मदद लेकर अस्पताल जाएं.
- आपातकालीन सहायता का इंतजार करने के दौरान एस्पिरिन को तुरंत लें. एस्पिरिन दिल की क्षति कम करने में मदद करती है और रक्त के थक्के जमने से रोकने में भी सहायक होती है. एस्पिरिन से एलर्जी है या आपको इस दवा को लेने की मनाही है तो इसका सेवन बिल्कुिल ना करें.
- आपकालीन में सभी निर्देशों का पालन करते हुए नाइट्रोग्लिसरीन भी ले सकते हैं.
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जोखिम कारक
बहुत से ऐसे कारण हैं जो किसी व्यक्ति में हार्ट अटैक के जोखिमों को बढ़ा सकते हैं. जैसे-
- 65 साल या उससे अधिक आयु होना
- परिवार में हृदय रोगों का इतिहास होना
- धूम्रपान और शराब का अत्यधिक सेवन
- मोटापा
- शारीरिक रूप से सक्रिय ना होना
- हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर होना
- डायबिटीज होना और बहुत ज्यादा तनाव लेना
दिल का दौरा पड़ने का मतलब यह नहीं है कि आप सामान्य जीवन नहीं जी पाएंगे या आपके स्वस्थ जीवन का अंत हो गया है. आप हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर दोबारा हार्ट अटैक को आने से रोक सकते हैं. आपको ऐसी जीवनशैली को अपनाना चाहिए जो हृदय की समस्याओं को रोकने में मदद कर सके.
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