आनुवंशिक विकार - Genetic Disorders in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

June 15, 2021

December 20, 2023

आनुवंशिक विकार
आनुवंशिक विकार

आनुवंशिक विकार किसे कहते हैं?

हर वो बीमारी आनुवंशिक है, जो आपके माता-पिता द्वारा आपमें संचारित हुई है। जेनेटिक का मतलब जीन से है, जब माता पिता के जीन या क्रोमोसोम (गुणसूत्र) में किसी तरह की गड़बड़ी या असामान्यता (म्यूटेशन) होती है तो अक्सर यह स्थिति उनके बच्चों में पारित हो जाती है, जिसे जेनेटिक डिसऑर्डर या आनुवंशिक विकार के रूप में जाना जाता है। हालांकि, प्रत्येक माता-पिता से उनके बच्चों में जीन का केवल आधा हिस्सा ही पास होता है।

ऐसा एक जीन में गड़बड़ी (मोनोजेनिक डिसऑर्डर) या एक से अधिक जीन में गड़बड़ी (मल्टीफैक्टोरियल इंहेरिटेंस डिसऑर्डर) की वजह से भी हो सकता है। इसके अलावा यह स्थिति जीन में म्यूटेशन के साथ-साथ पर्यावरणीय कारकों के संयोजन की वजह से भी उत्पन्न हो सकती है।

आनुवंशिक विकार के प्रकार - Genetic Disorders type in Hindi

आनुवंशिक विकार के प्रकार में शामिल हैं :

  • सिंगल जीन इनहेरिटेंस
  • मल्टीफैक्टोरियल इनहेरिटेंस
  • क्रोमोसोम एब्नार्मेलिटीज
  • माइटोकॉन्ड्रियल इनहेरिटेंस
  1. सिंगल जीन इनहेरिटेंस - Single gene inheritance in Hindi
  2. मल्टीफैक्टोरियल इनहेरिटेंस - Multifactorial inheritance in Hindi
  3. गुणसूत्र असामान्यताएं - Chromosomal abnormalities in Hindi
  4. माइटोकॉन्ड्रियल डिसऑर्डर - Mitochondrial inheritance in Hindi

सिंगल जीन इनहेरिटेंस - Single gene inheritance in Hindi

सिंगल जीन इनहेरिटेंस या मोनोजेनिक, ऐसे विकार होते हैं जिनमें केवल एक जीन में दोष होता है। इनके उदाहरण में शामिल हैं :

(1) हनटिंग्टन रोग - Huntington’s disease in Hindi

हनटिंग्टन रोग लगातार बढ़ने वाला डिसऑर्डर है। इसमें दिमाग की कोशिकाएं धीरे-धीरे खराब होती हैं।

हनटिंग्टन रोग की पहचान

  • शारीरिक गतिविधियां अनियंत्रित होना
  • भावनात्मक गड़बड़ी
  • संज्ञानात्मक हानि (सोचने समझने की क्षमता में कमी)

इलाज : वर्तमान में हंटिंगटन रोग की प्रगति को रोकने या धीमा करने का कोई तरीका नहीं है। हालांकि, कुछ दवाओं की मदद से इसके लक्षणों का प्रबंधन किया जा सकता है।

(2) सिकल सेल बीमारी - Sickle cell diseases in Hindi

सिकल सेल बीमारी (एससीडी) लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करने वाली स्थितियों का एक समूह है। एससीडी में शरीर के ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुंचाने वाली लाल रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है।

(और पढ़ें - लाल रक्त कोशिकाएं बढ़ाने के घरेलू उपाय)

सिकल सेल बीमारी की पहचान

यह एचबीबी नामक ऐसे जीन में गड़बड़ी की वजह से होता है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन के लिए निर्देश देता है।

इलाज : एससीडी के उपचार का उद्देश्य जटिलताओं को रोकना और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। डॉक्टर ऐसे में लाल रक्त कोशिकाओं के आकार को बढ़ाने के लिए हाइड्रोक्सीयूरिया दवा लिख ​​सकता है, जिससे प्रत्येक कोशिका में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ सकती है।

(3) मस्कुलर डिस्ट्रॉफी - Muscular dystrophies in Hindi

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी आनुवंशिक स्थितियों का एक समूह है जिसमें समय के साथ मांसपेशियों को नुकसान होता है, जिस वजह से कमजोरी होती है। यह समस्या डीएमडी नामक जीन में गड़गड़ी की वजह से होती है।

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की पहचान

इलाज : मस्कुलर डिस्ट्रॉफी को रोकने या इस स्थिति को ठीक करने के लिए वर्तमान में कोई उपचार उपलब्ध नहीं है। लेकिन जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए फिजिकल थेरेपी, रेस्पिरेटरी थेरेपी, स्पीच थेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी की मदद ली जा सकती है।

मल्टीफैक्टोरियल इनहेरिटेंस - Multifactorial inheritance in Hindi

मल्टीफैक्टोरियल इनहेरिटेंस डिसऑर्डर (एमआईडी) ऐसी स्थितियां हैं, जो आनुवंशिक व पर्यावरण या जीवन शैली कारकों के संयोजन के कारण विकसित होती हैं। इनमें शामिल हैं :

(1) दमा - Asthma in Hindi

दमा या अस्थमा में वायुमार्ग में सिकुड़न और सूजन आ जाती है और अतिरिक्त मात्रा में बलगम बनने लगता है।

दमा की पहचान

इलाज : अस्थमा के इलाज में स्टेरॉयड व एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स चलाए जाते हैं। इसके अलावा अस्थमा वाला इन्हेलर और नेब्यूलाइजर का भी प्रयोग किया जाता है।

(2) दिल की बीमारी - Heart disease in Hindi

हृदय को प्रभावित करने वाली किसी भी मेडिकल स्थिति को हार्ट डिजीज या दिल की बीमारी कहते हैं। इसमें हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर, एनजाइना, कोरोनरी धमनी की बीमारी, अनियमित दिल की धड़कन, एथेरोस्क्लेरोसिस इत्यादि शामिल हैं।

दिल की बीमारी की पहचान

इलाज : दिल की बीमारी का इलाज इसके लक्षणों पर निर्भर करता है। लेकिन आमतौर पर जीवनशैली में बदलाव, दवाइयां और मेडिकल प्रोसीजर या सर्जरी की मदद ली जाती है।

(3) डायबिटीज - Diabetes in Hindi

डायबिटीज तीन तरह की होती है - टाइप 1 डायबिटीज, टाइप 2 डायबिटीज और जेस्टेशनल डायबिटीज। टाइप 1 में शरीर इंसुलिन नहीं बना पाता है, टाइप 2 में इंसुलिन या तो बनता नहीं है या शरीर उसका सही से इस्तेमाल नहीं कर पाता है, जबकि जेस्टेशनल डायबिटीज केवल गर्भावस्था के दौरान होता है और आमतौर पर यह डिलीवरी के बाद ठीक हो जाता है।

डायबिटीज की पहचान

इलाज : इसके इलाज में समय-समय पर ब्लड शुगर की जांच करना, जीवन शैली में बदलाव, स्वस्थ आहार लेना, इंसुलिन लेना व कुछ दवाएं (जैसे मेटफोर्मिन) लेना शामिल हैं।

डायबिटीज का इलाज:निरंतर जाँच करे,myUpchar Ayurveda Madhurodh डायबिटीज टैबलेट का उपयोग करे,स्वस्थ आहार ले, नियमित व्यायाम करे और  स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और सही दिशा में बढ़ें।

 

(4) सिजोफ्रेनिया - Schizophrenia in Hindi

यह एक ऐसा विकार है जो किसी व्यक्ति की सोचने, महसूस करने और स्पष्ट रूप से व्यवहार करने की क्षमता को प्रभावित करता है।

सिजोफ्रेनिया की पहचान
सिजोफ्रेनिया अलग-अलग लोगों को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करता है, लेकिन कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं :

  • क्या बोलना है इस बारे में स्पष्ट न होना, जिसकी वजह से दूसरों को समझने में दिक्कत होती है
  • चेहरे की अभिव्यक्ति (एक्सप्रेशन) में कमी
  • भावनात्मक अभिव्यक्ति की कमी
  • फोकस करने में कठिनाई
  • मनोविकृति जैसे मतिभ्रम

इलाज : सिजोफ्रेनिया के उपचार के लिए एंटी साइकोटिक ड्रग्स, काउंसलिंग शामिल हैं।

(5) अल्जाइमर रोग - Alzheimer Disease in Hindi

अल्जाइमर रोग एक प्रगतिशील मस्तिष्क विकार है, जो धीरे-धीरे याद्दाश्त और सोच को नष्ट कर देता है और अंततः, सरल कार्यों को करने की क्षमता भी खत्म हो जाती है।

अल्जाइमर रोग की पहचान
शुरुआती लक्षणों में चीजें खो देना, सामान्य दैनिक कार्यों को पूरा न कर पाना, फोकस न रहना मध्यम लक्षणों में करीबियों को पहचान न पाना, बिन बात क्रोधित होना, सोच और व्यवहार में बदलाव, जबकि गंभीर लक्षणों में दौरे पड़ना, त्वचा का संक्रमण, निगलने में कठिनाई इत्यादि शामिल हैं।

इलाज : इसके लिए कोई खास दवा नहीं है, लेकिन उपचार के तौर पर पीड़ित के मानसिक कार्य को बनाए रखना व व्यवहार संबंधी लक्षणों को नियंत्रित करना शामिल है।

(6) मल्टीपल स्क्लेरोसिस - Multiple Sclerosis in Hindi

यह एक क्रोनिक बीमारी है, जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र विशेष रूप से मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और आंखों की नसों को प्रभावित करती है। इसमें प्रतिरक्षा प्रणाली नसों के सुरक्षात्मक आवरण को नष्ट कर देती है। इसका कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।

(और पढ़ें - इम्यूनिटी बढ़ाने के उपाय)

मल्टीपल स्क्लेरोसिस की पहचान

इलाज : मल्टीपल स्क्लेरोसिस का इलाज मौजूद नहीं है लेकिन उपचार का फोकस बीमारी की गति को धीमा करना और गंभीरता को कम करना होता है।

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गुणसूत्र असामान्यताएं - Chromosomal abnormalities in Hindi

क्रोमोसोम एब्नार्मेलिटीज यानी गुणसूत्र संबंधी असामान्यताएं ऐसी समस्याएं हैं, जिसमें गुणसूत्र प्रभावित होते हैं। इनमें शामिल हो सकते हैं :

  • पर्याप्त गुणसूत्र न होना
  • अतिरिक्त गुणसूत्र होना
  • ऐसा गुणसूत्र जिसमें किसी प्रकार की संरचनात्मक असामान्यता हो

क्रोमोसोमल असामान्यताएं आमतौर पर तब होती हैं, जब कोशिका के विभाजित होने में कोई त्रुटि होती है। ये त्रुटियां आमतौर पर अंडे या शुक्राणु के भीतर होती हैं, लेकिन ये गर्भधारण के बाद भी हो सकती हैं।

नीचे गुणसूत्र संबंधी कुछ असामान्यताओं के उदाहरण दिए गए हैं :

(1) डाउन सिंड्रोम - Down syndrome in Hindi

सामान्य तौर पर शरीर में कुल 23 जोड़े क्रोमोसोम होते हैं। प्रत्येक जोड़े में दो क्रोमोसोम होते हैं, इस तरह कुल क्रोमोसोम की संख्या 46 होती है। लेकिन डाउन सिंड्रोम में 21वां क्रोमोसोम अतिरिक्त मात्रा में बन जाता है, जिससे कुल क्रोमोसोम की संख्या 47 हो जाती है। इसकी वजह से विकासात्मक बदलाव होते हैं और शारीरिक बनावट में भी फर्क आ जाता है। चूंकि अतिरिक्त 21वां क्रोमोसोम बन जाता है, इसीलिए डाउन सिंड्रोम को ट्राइसोमी 21 के नाम से जानते हैं।

डाउन सिंड्रोम की पहचान

इलाज : डाउन सिंड्रोम की स्थिति में संभवतः विशेषज्ञों की एक टीम प्रभावित व्यक्ति या बच्चे को चिकित्सा देखभाल देती है। लक्षणों के आधार पर टीम निर्धारित की जाती है, जो कि जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।

(2) वूल्फ-हिर्स्चहॉर्न सिंड्रोम - Wolf-Hirschhorn Syndrome in Hindi

यह एक दुर्लभ विकार है जो किसी बच्चे में तब होता है जब क्रोमोसोम नंबर 4 का कुछ हिस्सा नहीं बना होता है। बता दें, जब क्रोमोसोम का कोई भी हिस्सा गायब होता है, तो ऐसे में बच्चे में सामान्य रूप से विकास नहीं हो पाता है।

वूल्फ-हिर्स्चहॉर्न सिंड्रोम की पहचान

इलाज : वूल्फ-हिर्स्चहॉर्न सिंड्रोम का उपचार नहीं है, लेकिन फिजिकल या ऑक्यूपेशनल थेरेपी, सर्जरी, जेनेटिक काउंसलिंग, विशेष शिक्षा, दौरे को नियंत्रित करना व ड्रग थेरेपी की मदद लेने से रोगी बेहतर जीवन जी सकता है।

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माइटोकॉन्ड्रियल डिसऑर्डर - Mitochondrial inheritance in Hindi

माइटोकॉन्ड्रियल डिसऑर्डर के कुछ संभावित लक्षणों में शामिल हैं :

  • विकास सही से न होना
  • मांसपेशियों में कमजोरी
  • मांसपेशी का इस्तेमाल करने के दौरान तालमेल बैठाने में दिक्कत
  • देखने से संबंधित समस्याएं
  • सुनने में समस्याएं (और पढ़ें - सुनने में परेशानी के घरेलू उपाय)
  • दौरे
  • विकास में देरी
  • सोचने-समझने की शक्ति कमजोर होना
  • ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर
  • डायबिटीज
  • हृदय, लिवर या किडनी की बीमारी
  • श्वसन संबंधी विकार

माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए में गड़बड़ी जैसी समस्या केवल माता से ही उसके बच्चे में पारित होती है।

इलाज : माइटोकॉन्ड्रियल विकारों के लिए वर्तमान में कोई इलाज नहीं है। हालांकि, उपचार के तौर पर निम्नलिखित बातों पर फोकस किया जाता है :

  • पोषण का प्रबंधन
  • विटामिन सप्लीमेंट
  • अमीनो एसिड सप्लीमेंट
  • दवाएं जो विशेष मेडिकल स्थितियों (मांसपेशियों की कमजोरी या दौरे) का इलाज करने में मदद करती हैं।

(और पढ़ें - मांसपेशियों की कमजोरी का इलाज)