आयुर्वेद में एक्जिमा को विचर्चिका कहा जाता है। ये त्वचा का एक गैर-संक्रामक और इंफ्लामेट्री (प्रभावित हिस्से पर सूजन होना) बीमारी है जिसके कारण खुजली और लालपन रहता है। इसमें सूजन वाले हिस्से के आसपास की जगह भी लाल हो जाती है। एक्जिमा का रोग पुराना या तीव्र हो सकता है। हालांकि, एलोपैथी में अब तक एक्जिमा के कारण का पता नहीं चल पाया है।
आयुर्वेद में एक्जिमा के कारणों की पहचान की गई है और इसमें विभिन्न उपचारों जैसे कि अभ्यंग (तेल मालिश की विधि), वमन (उल्टी करवाने की विधि), विरेचन (मल निष्कासन की विधि), रक्त मोक्षण (रक्तपात) और लेप (प्रभावित हिस्से पर औषधियों का लेप लगाना) का प्रयोग किया जाता है।
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आयुर्वेद में एक्जिमा के लिए नीम, हरिद्रा (हल्दी), घृतकुमारी (एलोवेरा) और बकुची जैसी जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है।एक्जिमा के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा आरोग्यवर्धिनी वटी, महा तिक्त घृत, गंधक रसायन, अवलगुजादि लेप और रस कपूरम लेप आदि औषधियों के प्रयोग की सलाह दी जाती है।