दस्त या डायरिया एक ऐसी समस्या है, जिसमें, व्यक्ति एक दिन में तीन या उससे अधिक बार ढीला और पानी जैसा पतला मल करता है। यह समस्या आमतौर पर अस्थायी होती है और दो से तीन दिनों तक रहती है। हालांकि दस्त एक आम समस्या है, लेकिन समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह घातक भी हो सकती है।
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दस्त के वैसे तो कई कारण हैं लेकिन जठरांत्र संबंधी मार्ग का संक्रमण इसका सबसे आम कारण है। दस्त बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी संक्रमण के कारण हो सकती है। ये जीव दूषित भोजन और पानी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं। कुछ मामलों में, एंटीबायोटिक, कैंसर दवाओं और एंटासिड जैसी कुछ दवाओं का सेवन भी पाचन तंत्र में परेशानी पैदा कर सकता है और दस्त का कारण बन सकता है। यदि किसी व्यक्ति को कुछ खाद्य पदार्थों से एलर्जी है अथवा ग्लूटेन असहिष्णुता या लैक्टोज असहिष्णुता जैसी समस्या है, तो पाचन समस्याएं पैदा हो सकती हैं और दस्त लग सकती हैं। कुछ बीमारियां और पाचन तंत्र की समस्याएं जैसे कि क्रोहन रोग और इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम भी दस्त का कारण बन सकती हैं।
दस्त का सबसे पहला लक्षण ढीला और पानी जैसा मल है, जो दिन में 3 बार से अधिक होता है। इसके अलावा, व्यक्ति को वाशरूम का उपयोग करने की आवश्यकता, पेट में ऐंठन, अनैच्छिक मल त्याग और मतली जैसे लक्षणों का भी अनुभव हो सकता है। दस्त के कारण के आधार पर, अन्य लक्षण जैसे कि मल में खून, बुखार, गहरे रंग का पेशाब, तेज हृदय गति, चिड़चिड़ापन, चक्कर आना और उल्टी आदि भी हो सकते हैं। लंबे समय तक दस्त रहने और सही से इलाज नहीं किए जाने पर शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) तथा इलेक्ट्रोलाइट्स के असंतुलन के कारण गंभीर कमजोरी हो सकती है। हालांकि, ज्यादातर मामलों में, लक्षण आमतौर पर दो दिनों के भीतर खुद ठीक हो जाते हैं।
दस्त के लक्षणों और इसकी समय अवधि की मदद से आसानी से जांच की जा सकती है। दस्त के कारण का पता करने के लिए, डॉक्टर मल टेस्ट, कोलोनोस्कोपी, एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड जैसे कुछ परीक्षणों का सुझाव दे सकते हैं।
बेलाडोना, पेट्रोलियम और ब्रायोनिया जैसी होम्योपैथिक दवाएं दस्त के लक्षणों से निपटने और इस स्थिति के मूल कारण को खत्म करने में सहायक हो सकती हैं।
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