10 अक्टूबर को हर साल वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे यानी मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है और इस दिन का उद्देश्य लोगों के बीच मेंटल हेल्थ से जुड़ी गलतफहमियों को दूर कर जागरुकता फैलाना है ताकि लोग अपनी मानसिक समस्याओं और मेंटल फिटनेस को भी उतना ही महत्व दें जितना वे अपनी शारीरिक फिटनेस को देते हैं। इस साल यानी 2020 में वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है क्योंकि हम सब मौजूदा समय में महामारी के बीच रह रहे हैं। ऐसे में इस स्वास्थ्य संकट के कारण एक मनोवैज्ञानिक आपदा भी उत्पन्न हो गई है और बड़ी संख्या में दुनियाभर के लोग डिप्रेशनचिंता, घबराहट, डर, उदासी जैसी मानसिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

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महामारी के दौरान दोगुने हुए डिप्रेशन के मामले
ब्रिटेन के ऑफिस फॉर नैशनल स्टैस्टिक्स फिगर्स के आंकड़ों की मानें तो कोविड-19 महामारी से पहले जहां हर 10 में से 1 व्यक्ति में डिप्रेशन के लक्षण नजर आते थे वहीं अब यह संख्या बढ़कर 5 हो गई है यानी अब हर 5 में से 1 व्यक्ति में डिप्रेशन से जुड़े लक्षण देखने को मिल रहे हैं। करीब 1 साल तक चले इस सर्वे से पता चला कि जुलाई 2019 और मार्च 2020 के बीच जहां करीब 10 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिनमें डिप्रेशन या इससे मिलते जुलते लक्षण देखने को मिल रहे थे वहीं जून 2020 में यह आंकड़ा बढ़कर 20 प्रतिशत हो गया। 

सबसे बड़ी बात ये है कि महामारी की वजह से लोगों का स्ट्रेस लेवल यानी तनाव काफी बढ़ा हुआ है और स्ट्रेस इम्यून सिस्टम का सबसे बड़ा दुश्मन है। अगर किसी व्यक्ति को क्रॉनिक ऐंग्जाइटी हो तो उसका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और उसे बीमारियां और इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में हम आपको उन टिप्स के बारे में बता रहे हैं जिसकी मदद से आप अपनी चिंता, डिप्रेशन को दूर कर अपनी मानसिक सेहत को बेहतर बनाने की तरफ एक कदम बढ़ा सकते हैं। 

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डिप्रेशन और ऐंग्जाइटी के बीच है लिंक
डिप्रेशन (अवसाद) और ऐंग्जाइटी (चिंता) ये दोनों भले ही दो अलग-अलग कंडिशन्स हों लेकिन इनके ज्यादातर लक्षण एक दूसरे से मिलते जुलते या ओवरलैप करते हैं और इसलिए एक ही समय में किसी व्यक्ति को डिप्रेशन और ऐंग्जाइटी दोनों हो सकती है। वास्तव में, यह अनुमान लगाया गया है कि करीब 45 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिन्हें दो या इससे अधिक मानसिक विकारों के मानदंडों को पूरा करते हैं। एक अध्ययन में पाया गया है कि कम से कम 50 प्रतिशत लोग ऐस हैं जिन्हें अगर चिंता की समस्या होती है तो उन्हें डिप्रेशन भी हो जाता है और डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति को चिंता की समस्या हो जाती है। डिप्रेशन और ऐंग्जाइटी को मैनेज करने का लक्ष्य ये है कि इलाज के कई विकल्प तैयार किए जाएं जो कुछ हद तक सभी लोगों की मदद कर पाएं, जब भी आपको इनकी जरूरत हो।

1. आप जो महसूस कर रहे हैं उससे भागने की बजाए उसे महसूस करें और इस फीलिंग को अपनी गलती न मानें
सबसे पहले तो यह जान लें कि डिप्रेशन और चिंता विकार एक मेडिकल कंडिशन है। ये चीजें किसी तरह की विफलता या कमजोरी का परिणाम नहीं हैं। आप जो महसूस कर रहे हैं वह किसी अंतर्निहित कारणों और ट्रिगर का परिणाम है, यह आपके द्वारा किए गए या ना किए गए किसी चीज का परिणाम नहीं है। इसलिए अपनी फीलिंग को अपनी गलती मानना बंद करें।

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2. अपनी डेली रूटीन को फॉलो करें
चिंता और अवसाद वाले लोगों के लिए एक फिक्सड रूटीन को फॉलो करना कभी-कभी मददगार हो सकता है। इसका कारण ये है कि रूटीन को फॉलो करने से एक तरह की संरचना और नियंत्रण की भावना पैदा होती है। यह आपको अपनी खुद की देखभाल करने के लिए अलग-अलग तकनीकों को अपनाने में मदद करती है जिससे आपको अपने डिप्रेशन या ऐंग्जाइटी के लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।

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3. नींद का भी एक सही शेड्यूल बनाना है जरूरी
हर रात कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लेने का लक्ष्य निर्धारित करें। लेकिन अगर आप इससे कम नींद लेते हैं या फिर अगर इससे ज्यादा नींद लेते हैं तो ये दोनों ही स्थितियां आपके डिप्रेशन और ऐंग्जाइटी के लक्षणों को जटिल बना सकते हैं। अपर्याप्त या खराब नींद आपके हृदय, इंडोक्राइन सिस्टम, इम्यून सिस्टम और तंत्रिका संबंधी लक्षणों के साथ समस्या पैदा कर सकती है।

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4. जहां तक संभव हो पौष्टिक चीजें ही खाएं
जब भी हम उदास या चिंतित महसूस करते हैं तो हम में से ज्यादातर लोग अपने तनाव को कुछ कम करने के लिए पास्ता और मीठी चीजें जैसे कम्फर्ट खाद्य पदार्थों का सेवन करने लगते हैं। लेकिन इससे तनाव कम नहीं होता क्योंकि ये चीजें शरीर को पोषण प्रदान नहीं करती हैं। लिहाजा बेहद जरूरी है कि आप अपनी डाइट में फल, सब्जियां, बिना चर्बी वाला लीन मीट, साबुत अनाज, ड्राई फ्रूट्स, नट्स और सीड्स जैसी चीजों को शामिल करें जिससे शरीर को पोषण देने में मदद मिले। अगर शरीर का न्यूट्रिशन लेवल सही रहेगा तो मेंटल हेल्थ पर भी इसका अच्छा असर होगा।

5. यदि आप सुबह उठ गए हैं तो बिस्तर पर पड़े रहने की बजाए वॉक के लिए जाएं
रिसर्च बताते हैं कि एक्सरसाइज, डिप्रेशन के लिए एक प्रभावी उपचार हो सकता है क्योंकि यह एक प्राकृतिक मूड बूस्टर की तरह काम करता है और शरीर में फील-गुड हार्मोन को रिलीज करता है। हालांकि, कुछ लोगों के लिए व्यायाम या जिम जाना चिंता और भय को भी ट्रिगर कर सकता है। यदि आपके साथ ही ऐसी ही कोई समस्या है तो इसकी जगह कुछ प्राकृतिक तरीकों की तलाश करें, जैसे घर के आसपास में वॉक के लिए जाना, टहलना, रनिंग करना, ऑनलाइन एक्सरसाइज विडियो देखकर घर पर ही एक्सरसाइज करना आदि।

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6. अपनी फेवरिट हॉबी को अपनाएं, जो करना पसंद हो वो करें
खुद पर फोकस करें। आपको जो चीजें करना पसंद है उसे जरूर करें, अपनी हॉबी को दोबारा शुरू करें। पेंटिंग करना, किताबें पढ़ना, मूवी देखना, मैगजीन पढ़ना,- जो भी करना आपको पसंद हो उसे जरूर करें क्योंकि डिप्रेशन और चिंता की वजह से आपका ब्रेन भी हर वक्त एक ही बात सोचता रहता है। ऐसे में अपने ब्रेन का ध्यान भंग करने (डिस्ट्रैक्ट) के लिए आप अपनी पसंदीदा चीजें जरूर करें इससे शरीर को भी आराम मिलेगा।

7. जिन लोगों पर भरोसा करते हों, उनसे बात करें
डिप्रेशन और चिंता जैसी समस्याओं के बीच मजबूत रिश्ते आपको बेहतर महसूस करने में मदद करने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक हैं। किसी दोस्त या परिवार के सदस्य के साथ जुड़ना आपको बेहतर महसूस करवा सकता है और इससे आपको समर्थन और प्रोत्साहन का एक विश्वसनीय स्रोत मिल सकता है। लिहाजा आप जिन लोगों पर भरोसा करते हों उनसे बात करने की कोशिश करें।

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