दादी की मौत के बाद दिल्ली की एक महिला डॉक्टर ने खुदखुशी कर ली। महिला डॉक्टर की उम्र महज 23 वर्ष थी और वह कस्तूरबा गांधी अस्पताल में एमडी की पढ़ाई कर रही थी। एक समाचार एजेंसी के मुताबिक पुलिस को महिला डॉक्टर का शव घर पर संदिग्ध हालत में मिला। इसके बाद पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। महिला डॉक्टर के घर से पुलिस को सुसाइड नोट भी बरामद हुआ, जिसमें लिखा था कि वह अपनी दादी की मौत के कारण डिप्रेशन में थी।
दरअसल आत्महत्या करने वाली महिला डॉक्टर मूल रूप से हैदराबाद की रहने वाली थी, जो कुछ दिन पहले ही दादी कि शव यात्रा से दिल्ली लौटी थी। परिवार का कहना है कि वह काफी समय से फोन का कोई जवाब नहीं दे रही थी। जब इस बात की जानकारी हॉस्टल प्रभारी को मिली तो वह डॉक्टर के कमरे में गए, जहां वह बेहोश पाई गई। इसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां, डॉक्टरों ने बेहोशी की दवा की ओवरडोज को इस स्थिति का कारण बताया। 22 नवंबर 2019 को आखिर महिला डॉक्टर को मृत घोषित करार दिया गया।
प्रश्न यह है कि आखिर ऐसी क्या भावनाएं आती हैं लोगों के दिमाग में जिसके कारण वह आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठा लेते हैं। हाल ही में हुए कुछ मामलों की मानें तो लोग क्रोनिक डिप्रेशन के कारण ऐसा कदम उठाते हैं। क्रोनिक डिप्रेशन लंबे समय से चलता आ रहा अवसाद होता है। इस स्थिति में व्यक्ति एक या कई चीजों की वजह से डिप्रेशन में होता है और कोई बड़ी घटना होने के कारण और अधिक ट्रॉमा में चला जाता है, जिसके बाद वह खुदखुशी जैसा घातक कदम भी सकता है। डब्लूएचओ की मानें तो दुनिया के करीब 350 मिलियन (35 करोड़) लोग अवसाद से ग्रस्त हैं।
अवसाद और आत्महत्या के बीच संबंध
अवसाद एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति न तो ठीक तरीके से कुछ सोच पाता है और न ही कुछ कर पाता है। myUpchar से जुड़ीं डॉक्टर शहनाज जफर के मुताबिक कोई भी व्यक्ति अचानक आए अवसाद के कारण आत्महत्या नहीं करता है, लंबे से समय से चला आ रहा अवसाद इंसान को आत्महत्या की तरफ धकेलता है। अवसाद प्रकरण का औसत समय 6-8 महीने होता है। अस्पताल में भर्ती किए जाने वाले ज्यादातर मरीज सायकोटिक डिप्रेशन (साइकोसिस) या मेजर डिप्रेशन का शिकार होते हैं। इसी प्रकार के अवसाद से ग्रस्त लोग अक्सर आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठाने की सोचते हैं।
अवसाद के कारण और लक्षण
अवसाद कई बार दिमाग व हार्मोन में परिवर्तन के कारण भी हो सकता है। इसके अलावा जीवन में कोई बड़ा परिवर्तन होने से लोग सबसे अधिक प्रभावित होते हैं, जो आगे चल कर पोस्ट-ट्रॉमेटिक तनाव विकार का रूप ले सकता है। किसी प्रियजन की मृत्यु, डरावनी घटना, दुर्व्यवहार, कार दुर्घटना या अन्य कई दुर्घटना के कारण व्यक्ति ट्रॉमा या अवसाद का शिकार हो सकता है। इसके लक्षणों में निम्न शामिल हैं :
- दु:ख
- गुस्सा
- चिड़चिड़ापन
- ध्यान केंद्रित न कर पाना
- हताशा
- बेचैनी
- चिंता
- बच्चों का स्कूल की गतिविधियों में खराब प्रदर्शन
- शराब की लत
- किसी दवा का दुरुपयोग करना
क्रोनिक अवसाद से कैसे बचें
क्रोनिक अवसाद को डिस्थीमिया भी कहा जाता है। गंभीर रोग होने के बावजूद भी इसका इलाज मुमकिन है। अन्य क्रोनिक रोगों की ही तरह जल्दी परीक्षण और इलाज करवाने से इसकी तीव्रता और लक्षणों के समय को कम किया जा सकता है। इसके अलावा समय-समय पर आने वाले मेजर डिप्रेशन एपिसोड्स को भी विकसित होने से कम किया जा सकता है। डॉक्टर आमतौर पर डिस्थीमिया मरीज को साइकोथेरेपी की सलाह देते हैं। इस थेरेपी के लिए और बेहतर से जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।