आयुर्वेद में डेंगू को दंडक ज्वर कहा गया है। इसमें एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने पर बहुत तेज मौसमी बुखार होता है। डेंगू के लक्षणों में तेज बुखार, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द एवं प्लेटलेट्स की संख्या में कमी शामिल हैं। रोग की स्थिति के आधार पर अन्य लक्षण जैसे कि चकत्ते, जी मितली, उल्टी, ब्लीडिंग, ऐंठन आदि भी देखने को मिलते हैं।
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डेंगू बुखार को नियंत्रित करने के लिए आयुर्वेद में विभिन्न उपचारों का उल्लेख किया गया है जिसमें लंघन (व्रत), दीपन (भूख बढ़ाने की विधि), पाचन (पाचक) और मृदु स्वेदन (पसीना लाने की विधि) शामिल हैं। डेंगू के इलाज के लिए जड़ी बूटियों में पपीते के बीज, गुडूची, आमलकी, गेहूं के जवारे, रसोनम (लहसुन), तुलसी और नीम का इस्तेमाल किया जाता है।
आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां मच्छर के डंक से बचाती हैं और प्रतिरक्षा तंत्र के कार्य को बढ़ाती हैं जिससे डेंगू से बचाव एवं इलाज में मदद मिलती है। डेंगू को नियंत्रित करने के लिए औषधियों में त्रिभुवन कीर्ति रस, गुडूच्यादि कषाय, संजीवनी वटी, वसंत सुकुमार, सूतशेखर, सुदर्शन चूर्ण, वासावलेह, लाक्षा गोदंती चूर्ण और पद्मकादि तेल का इस्तेमाल किया जाता है।
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