नए कोरोना वायरस के चलते पैदा हुई कोविड-19 महामारी को लेकर दुनिया की शीर्ष संस्थाओं ने नई चेतावनी जारी की है। कोविड-19 की वजह से दुनियाभर में लागू लॉकडाउन से खाद्य आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हो रही है। यही वजह है कि संयुक्त (यूएन) के तहत आने वाले खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आगाह किया है कि अगर इस संकट की वजह से खाद्य आपूर्ति में हो रही कमी को गंभीरता से नहीं लिया गया तो आने वाले समय में खाने की बड़ी किल्लत पैदा हो सकती है।
बाजार में भंडार खत्म होने पर आ सकती है परेशानी
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसुस, एफएओ के प्रमुख क्यू डोन्गयू और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के प्रमुख रॉबर्टो एजेवाडो ने लॉकडाउन की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पैदा हुई चिंताजनक स्थिति पर चर्चा करने के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया है। इसमें संयुक्त राष्ट्र के इन तीनों शीर्ष पदाधिकारियों ने खाद्य संकट की आशंका जताई है।
संयुक्त राष्ट्र और डब्ल्यूटीओ का कहना है कि दुनियाभर में कई देशों में लॉकडाउन के लागू होने के बाद करोड़ों लोगों को अपने घरों में कैद होने पर मजूबर होना पड़ा है। इससे कई देशों में खाद्य आपूर्ति की चैन प्रभावित हुई है और सुपरमार्केट में मौजूदा खाद्य स्टॉक खत्म हो रहा है। लिहाजा आने वाले कुछ दिनों में खाने की चीजों की बड़ी किल्लत हो सकती है।
कुछ साल पहले खाने के लिए हुए थे दंगे
यूएन की इन शीर्ष एजेंसियों की मानें तो यह खतरा छोटा नहीं है। इनका कहना है कि साल 2007 में वैश्विक वित्तीय संकट के बाद चावल उत्पादक देशों, भारत और वियतनाम ने अपेक्षित मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए निर्यात पर रोक लगा दी थी। इस वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चावल की कीमतें बढ़ गई थीं, जिसके चलते कई विकासशील देशों में खाने के लिए दंगे तक हुए थे। एजेंसियों ने संयुक्त बयान में कहा कि कोरोना वायरस के चलते पैदा हुए इस संभावित संकट को रूस ने सीधे तौर पर स्वीकार किया है और उसके अधिकारियों ने गेहूं के निर्यात पर पहले ही रोक लगा दी है।
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बयान में यह भी कहा गया है कि कोरोना वायरस के चलते पैदा हुए इन हालात में खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। इसके अलावा इन शीर्ष पदाधिकारियों ने यह भी कहा है कि कीमतों में ज्यादा बढ़ोतरी न देखने को मिले, इसके लिए संयुक्त राष्ट्र के पास फिलहाल पर्याप्त स्टॉक है।
आपूर्ति नहीं होने से बड़े पैमाने पर खाद्य सामग्री होगी खराब
रिपोर्टों के मुताबिक, तीनों संस्थाओं के मुखियाओं का कहना है कि जब लोगों के स्वास्थ्य और उनकी भलाई के लिए ऐसा फैसला लेना पड़ता है तो देशों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि खाद्य आपूर्ति से संबंधित कोई भी चेन बाधित ना हो। उन्होंने सभी का ध्यान इस ओर दिलाया कि चूंकि लंबे समय तक लोगों को घर में रहने के आदेश हैं और यातायात पर रोक लगी है, इसलिए कृषि क्षेत्र भी प्रभावित हो सकता है। परिणामस्वरूप, इससे बाजारों में फल, सब्जी और अन्य खाद्य सामग्री की आपूर्ति पर असर पड़ेगा। कृषि और खाद्य उद्योग से जुड़े मजदूरों के साथ माल ढोने वाले वाहनों की आवाजाही पर भी रोक लगी है। यूएन संस्थाओं के मुताबिक, इसके घातक परिणाम हो सकते है। पहला नतीजा यही होगा कि खाद्य संबंधी चीजें लोगों तक पहुंचेगी नहीं और जो ट्रकों में और किसानों के पास फल और सब्जी रखी हुई हैं, वे आपूर्ति के बाधित होने से बड़े पैमाने पर खराब होंगी। इस संभावित खाद्य संकट के चलते स्वास्थ्य संकट के खड़े होने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
कर्मचारियों को संक्रमण से बचाव के लिए मिले बेहतर सुरक्षा
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए एफएओ, डब्ल्यूएचओ और डब्ल्यूटीओ के प्रमुखों ने फूड प्रॉडक्शन, प्रोसेसिंग और डिस्ट्रीब्यूटशन में लगे लोगों को अधिक सुरक्षा मुहैया कराने पर जोर दिया है ताकि इनको सुरक्षित रखकर खाद्य आपूर्ति की चैन को आगे बढ़ाया जा सके। इसके अलावा सुपरमार्केट में काम करने वाले लोगों को भी कोरोना वायरस के संक्रमण से बेहतर सुरक्षा दी जाने की बात कही गई है। यूरोपीय देश इटली और फ्रांस में असुरक्षा के चलते कई कर्मचारियों की कोविड-19 से मौत हुई है। खाद्य आपूर्ति के मद्देनजर इनकी सुरक्षा जरूरी है।