कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 और इससे होने वाली बीमारी कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में डॉक्टर सबसे आगे की पंक्ति में हैं। यह बीमारी असल में क्या है और मरीजों पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है, यह केवल उन्हें देख रहे डॉक्टर ही सबसे बेहतर तरीके से बता सकते हैं। अमेरिका में फेफड़ों की बीमारी और आपातकालीन चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. हाशम हासाबेला ने कुछ दिनों पहले कोविड-19 के मरीजों से जुड़े अपने निजी अनुभव शेयर किए थे। उनकी मानें तो कोविड-19 जैसी बीमारी पहले कभी नहीं देखी गई है।
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‘मैंने अपने करियर में कभी ऐसा नहीं देखा’
एक लेख में डॉ. हाशम बताते हैं, ‘मैं बीमार लोगों को देखने का आदी हो गया हूं। मैंने सांस रोग से पीड़ित व्यक्तियों को देखा है। किडनी के मरीजों को देखा है। लेकिन मैंने कभी कोविड-19 के रोगी को नहीं देखा था। मैं फेफड़े के रोग का विशेषज्ञ हूं। फेफड़ों में सामान्य ऑक्सीजन का स्तर 90 प्रतिशत से अधिक होता है। मैंने (कोविड-19 के प्रभाव में) 70 प्रतिशत से कम ऑक्सीजन वाले मरीज देखे हैं। हमारे अस्पताल में तो 50 प्रतिशत से भी कम ऑक्सीजन वाले मरीज आए हैं। लेकिन ज्यादा हैरानी की बात यह है कि इन मरीजों में ऑक्सीजन लेवल इतना कम होने के बावजूद उनमें इसके लक्षण दिखाई नहीं देते। एक लंग या क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट के रूप में मैंने अपने करियर में ऐसा पहले कभी नहीं देखा है।'
कोविड-19 से जुड़े अपने अनुभव के बारे में बताते हुए डॉ. हाशम आगे कहते हैं, 'ये ऐसी बीमारी है जो हमने इससे पहले कभी नहीं देखी। कोविड-19 ने दुनियाभर में स्वास्थ्य विशेषज्ञों को हैरत में डाल दिया है, क्योंकि कोविड-19 का हर मरीज अलग तरह से व्यवहार करता है। यही वजह है कि हमें हर रोगी का अलग तरह से इलाज करने की आवश्यकता पड़ रही है। मतलब जो उपचार एक मरीज के लिए ठीक है, वह दूसरे के लिए नहीं हो सकता।'
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डॉ. हाशम के मुताबिक, कोविड-19 के मरीजों में अक्सर सांस की समस्या देखने में आती है। उनकी तबीयत अचानक तेजी से बिगड़ती है और इस स्थिति में उन्हें सीधे आईसीयू में भर्ती करना पड़ता है। वे बताते हैं, 'उन्हें कई दिनों तक बुखार रहता है, जो उनके लिए बाद में डिहाइड्रेशन (शरीर में पानी की कमी) का कारण बनता है। अगर इस दौरान हम उन्हें तरल पदार्थ नहीं देते हैं तो उन्हें किडनी की समस्या होगी। इसलिए उन्हें कुछ मात्रा में तरल पदार्थ दिया जाता है। परिणामस्वरूप हम मरीजों की किडनी बचाने में सफल हुए हैं। हमें वास्तव में कोविड-19 के चलते भर्ती हुए सभी रोगियों के इलाज के साथ देखभाल के लक्ष्यों पर चर्चा करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह बीमारी जान ले सकती है।'
हाशम हासाबेला को यकीन है कि कोविड-19 एक दिन जरूर खत्म होगी, लेकिन यह बीमारी मेडिकल प्रोफेशन, अस्पतालों, हेल्थकेयर सिस्टम और यहां तक कि समाज को काफी ज्यादा प्रभावित करेगी। वे उम्मीद करते हैं कि इस संकट से उबरने के बाद लोग पहले से बेहतर और मजबूत बन कर निकलेंगे।