जब हम रोगजनक सूक्ष्मजीवों की बात करते हैं तो इस संदर्भ में म्यूटेशन यानी परिवर्तन या तब्दीली सबसे बदतर चीज है, जो हमारे दिमाग में आती है। हॉलिवुड की कई फिल्मों में आपने ये देखा भी होगा कि किस तरह से एक वायरस अपना रूप बदलकर कयामत जैसी परिस्थिति पैदा कर देता है। कुछ ऐसा ही इन दिनों सच में हमारी दुनिया में देखने को मिल रहा है जहां सार्स-सीओवी-2 नाम के वायरस ने महामारी फैला रखी है और आए दिन इस वायरस में म्यूटेशन हो रहा है, जिसकी वजह से इसके एक नए स्ट्रेन के बारे में जानकारी मिल रही है। नए कोरोना वायरस के कई स्ट्रेन ऐसे भी हैं जो पिछले वाले से ज्यादा संक्रामक और खतरनाक हैं।
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म्यूटेशन हकीकत में होने वाली अवधारणा है और यह लैब में अचानक हो जाने वाली किसी घटना से कहीं अधिक है। (कोविड-19 के लिए जिम्मेदार वायरस को जानवरों से इंसान में ट्रांसफर होने के लिए खुद को म्यूटेट करना पड़ा होगा) म्यूटेशन की वजह से हमेशा ही वायरस की उग्रता बढ़ जाए ऐसा जरूरी नहीं है। बल्कि जब बात वायरस की वजह से होने वाली बीमारी की आती है तो कई बार म्यूटेट वायरस अपने मूल वर्जन से अलग नहीं होता। और कई बार इस बात की भी संभावना होती है कि वायरस, इंसानों को संक्रमित करने की अपनी सारी क्षमता ही खो दे।
इन दिनों यूके में सामने आए सार्स-सीओवी-2 वायरस के नए स्ट्रेन की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है और ऐसा कहा जा रहा है कि इस नए स्ट्रेन में संक्रमण फैलाने की क्षमता काफी अधिक है और इस वजह से यह सुपरस्प्रेडर हो सकता है। लेकिन वायरल म्यूटेशन को लेकर अक्सर पूछे जाने सवाल जैसे - आखिर ये म्यूटेशन क्या है और ये होता क्यों है? म्यूटेशन होने के बाद क्या वायरस ज्यादा खतरनाक हो जाता है? इस तरह के कई और सवालों के बारे में हम आपको यहां जानकारी दे रहे हैं।