कोराना वायरस से फैली महामारी के बीच तमाम देश इसका इलाज तलाशने में जुटे हैं। देश-विदेश के हजारों वैज्ञानिक और मेडिकल स्कॉलर कोविड-19 के उपचार के लिए दवा और वैक्सीन बनाने पर काम कर रहे हैं। डब्ल्यूएचओ भी दुनियाभर के वैज्ञानिकों को इकट्ठा कर सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण की दवा बनाने पर काम कर रहा है। कई जगहों पर अलग-अलग वैक्सीन बनाई भी गई हैं, जिनका ट्रायल किया जा रहा है। इस सिलसिले में भारत में भी कोविड-19 बीमारी की एक संभावित वैक्सीन विकसित किए जाने का दावा किया गया है।
खबरों के मुताबिक, हैदराबाद यूनिवर्सिटी के जैव रसायन विभाग की सदस्य डॉक्टर सीमा मिश्रा ने कोरोना वायरस के इलाज से जुड़ी टेस्टिंग के लिए इस 'वैक्सीन कैंडिडेट' को तैयार किया है। यूनिवर्सिटी की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। इस वैक्सीन को ‘टी सेल एपिटोप्स’ का नाम दिया गया है जो नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के सभी स्ट्रक्चरल और नॉन स्ट्रक्चरल प्रोटीन्स को खत्म करने के लिए तैयार की गई है। अभी इस वैक्सीन की एक्सपेरिमेंटल टेस्टिंग की जा रही है।
पेप्टाइड्स क्या हैं?
पेप्टाइड्स मतलब प्रोटीन के अंश। ये छोटे-छोटे अंश अमीनो एसिड की एक श्रृंखला या चैन बनाते हैं। पत्रिका ‘नेचर’ में बताया गया है कि अमीनो के रूप में पेप्टाइड्स एक क्रम में एक-दूसरे से जुड़े होते हैं, जिसे 'एसिड पेप्टाइड बॉन्ड' कहते हैं। आमतौर पर, पेप्टाइड्स छोटे और अलग-अलग हिस्सों में प्रोटीन में शामिल होते हैं। वहीं, प्रोटीन मॉलिक्यूल से बने होते हैं जिनमें कई पेप्टाइड सबयूनिट के रूप में मौजूद होते हैं। इन्हें पॉलीपेप्टाइड भी कहा जाता है।
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कैसे तैयार की गई वैक्सीन?
यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद की रिपोर्ट में बताया गया है कि कम्प्यूटेशनल सॉफ्टवेयर के साथ पावरफुल इम्यूनोफॉर्मेटिक्स एप्रोचेज का उपयोग करते हुए डॉक्टर सीमा मिश्रा ने इन पोटेंशियल एपिटोप्स को तैयार किया है। डिजाइन करते हुए यह ध्यान में रखा गया है कि इसका इस्तेमाल पूरी आबादी को वैक्सीनेट या टीकाकरण करने के लिए किया जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक, सामान्य तौर पर वैक्सीन को तैयार करने में कई सालों का समय लगता है, लेकिन पावरफुल कम्प्यूटनेशनल उपकरणों की मदद से इन ‘वैक्सीन कैंडिडेट्स’ को महज 10 दिन में ही तैयार कर लिया गया।
रिपोर्ट में बताया गया है कि वायरस को रोकने के लिए ‘ह्यूमन सेल्स’ यानी मानव कोशिकाओं द्वारा इनका इस्तेमाल कितना प्रभावी ढंग से होता है यह आगे के एक्सपेरिमेंट में पता चलेगा। रिपोर्ट में यह साफ किया गया है कि ये कोरोना वायरल एपिटोम मानवीय कोशिकाओं पर किसी तरह का नकारात्मक प्रभाव नहीं डालते, इसलिए शरीर के इम्युन सिस्टम की प्रतिक्रिया विषाणुजनित प्रोटीन के खिलाफ होगी, न कि मानव प्रोटीन के खिलाफ। इन परिणामों को निर्णायक रूप से साबित करने के लिए इन्हें उचित प्लेटपॉर्म के जरिये वैज्ञानिक समुदाय को भेज दिया गया है।
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