नए कोरोना वायरस के चलते पैदा हुए वैश्विक स्वास्थ्य संकट के खत्म होने के बाद क्या दुनिया पहले जैसी हो पाएगी, इस सवाल ने आज शायद सभी लोगों को अलग-अलग संभावनाएं और अंदेशे लगाने पर मजबूर किया हुआ है। फिलहाल जो खबरें आ रही हैं, वे सामान्य भविष्य की ओर संकेत नहीं कर रही हैं। दरअसल, कोरोना संकट के बीच अब संयुक्त राष्ट्र ने कोविड-19 महामारी की वजह से भुखमरी मचने की चेतावनी दी है। ब्रिटेन के चर्चित समाचार संस्थान ‘बीबीसी’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि मौजूदा स्वास्थ्य संकट के चलते पूरी दुनिया पर भूख की 'महामारी’ का खतरा मंडरा रहा है। संयुक्त राष्ट्र की शाखा वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (डब्ल्यूएफपी) के प्रमुख डेविड बेस्ले ने कहा है कि इस तबाही से बचने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है।
25 करोड़ से ज्यादा लोगों पर भुखमरी का खतरा
डब्ल्यूएफपी का अनुमान है कि कोविड-19 की वजह से भुखमरी की समस्या और विकराल हो सकती है। इसके पीड़ितों की संख्या साढ़े 13 करोड़ से लेकर 25 करोड़ से भी अधिक हो सकती है। डब्ल्यूएफपी का कहना है कि इस समस्या से 10 देश सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले हैं। उसने बताया कि खाद्य संकट पर आधारित चौथी वार्षिक वैश्विक रिपोर्ट में पता चला है कि यमन, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, अफगानिस्तान, वेनेजुएला, इथियोपिया, दक्षिण सूडान, सूडान, सीरिया, नाइजीरिया और हैती में भुखमरी का सबसे अधिक संकट है। ये देश पहले से आंतरिक संघर्ष, आर्थिक संकट और जलवायु परिवर्तन से लगातार जूझ रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल दक्षिण सूडान में 61 प्रतिशत आबादी खाद्य संकट से प्रभावित थी। इतना ही नहीं कोविड-19 महामारी से पहले भी दशकों से पूर्वी अफ्रीका और दक्षिण एशिया के कुछ हिस्सों में सूखे के कारण गंभीर खाद्य कमी का संकट रहा है। अब कोविड-19 महामारी के चलते यह संकट और बड़ा हो सकता है। इसी को लेकर हाल में हुई एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए डब्लूएफपी प्रमुख बेस्ले ने कहा, ‘हमें समझदारी से और तेजी से काम करना है, क्योंकि सच्चाई यह है कि हमारे पास अब समय नहीं है।’
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वहीं, एक इंटरव्यू के माध्यम से बेस्ले ने आशंका जताते हुए कहा कि अगर संयुक्त राष्ट्र धन और भोजन को सुरक्षित नहीं करता है तो ‘भुखमरी’ के चलते 3 करोड़ से अधिक लोग मारे जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल अधिकांश देश कोविड-19 से उबरने में लगे हैं, इसलिए अभी तक कोई मदद के लिए आगे नहीं आया है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी स्थिति में दुनियाभर में अराजकता वापस फैल सकती है। वहीं, डब्ल्यूएफपी के वरिष्ठ अर्थशास्त्री आरिफ हुसैन का कहना कि इस महामारी का आर्थिक प्रभाव संभावित रूप से लाखों लोगों के लिए विनाशकारी साबित होगा और ये वे लोग हैं जो पहले से ही इस समस्या से जूझते आए हैं।