कोविड-19 महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में शामिल यूनाइटेड किंगडम में इस बीमारी को रोकने के लिए सूजन संबंधी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दो दवाओं का टेस्ट किया जा रहा है। खबर के मुताबिक, यूके स्थित ऑक्सफोर्ड और बर्मिंघम यूनिवर्सिटी ने बुधवार को इसकी घोषणा की है। गौरतलब है कि इस नए ट्रायल का नाम 'कैटलिस्ट' रखा गया है, जिसमें चार दवाओं का टेस्ट किया जाना है।
इस नए ट्रायल के तहत फिलहाल जिन दो ड्रग्स का इस्तेमाल किए जाने की घोषणा की गई है, उनमें से एक है 'नैमिलुमैब'। यह एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है। यूके की बायोफार्मा कंपनी आइजाना बायोसाइंस द्वारा बनाई जाने वाली यह दवा आर्थराइटिस (गठिया रोग) और ऐंकलोजिंग स्पोंडिलाइटिस नामक एक सूजन संबंधी रोग के ट्रीटमेंट में उपयोग की जाती है।
रिपोर्टों के मुताबिक, नैमिलुमैब शरीर में इम्यून सिस्टम के अतिसक्रिय होने के चलते पैदा होने वाले साइटोकिन स्टॉर्म 'जीएम-सीएमएफ' को टार्गेट करती है। माना जा रहा है कि कोविड-19 के मरीजों के फेफड़ों में होने वाली सूजन के बढ़ने के पीछे जीएम-सीएमएफ साइटोकिन जिम्मेदार है, जिसके चलते नैमिलुमैब को ट्रायल में शामिल किया गया है। अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इस दवा को इटली में भी कोविड-19 की रोकथाम के लिए इस्तेमाल किया जा चुका है।
कैटलिस्ट ट्रायल में शामिल की गई दूसरी दवा है 'इनफ्लिक्सीमैब'। यूके स्थित एक और दवा कंपनी सेलट्रायन हेल्थकेयर इस एंटी-ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर (या टीएनएफ) ड्रग का उत्पादन करती है। बताया गया है कि यह दवा स्वप्रतिरक्षित या ऑटोइम्यून से जुड़ी आठ बीमारियों के इलाज में काम आती है। इनमें संधिवात गठिया रोग और इरिटेबल बोवेल सिन्ड्रोम (जिसे उद्दीप्य आन्त्र सहलक्षण कहते हैं) जैसी बीमारियां शामिल हैं।
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इन ड्रग्स का इस्तेमाल क्यों?
यह तथ्य अब सर्वमान्य होता जा रहा है कि कोविड-19 बीमारी सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते शरीर के इम्यून सिस्टम के जरूरत से ज्यादा सक्रिय होने की वजह से होती है। इस अतिसक्रियता को मेडिकल विशेषज्ञ साइटोकिन स्टॉर्म कहते हैं, जिसे नियंत्रित करने के लिए दुनियाभर में कई ड्रग्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये ड्रग्स अतिसक्रिय इम्यून सिस्टम के कुछ विशेष तत्वों को दबाने का काम करते हैं, जिससे बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
इसीलिए कई कंपनियां ऑटोइम्यून से जुड़ी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कई अन्य ड्रग्स को कोविड-19 के खिलाफ आजमा रही हैं। इनमें रेजेनरॉन एंड सनोफी की 'केवजारा', रॉश कंपनी की 'एक्टेम्रा' और मोर्फोसिस एंड ग्लैक्सोस्मिथकेलाइन की 'ओटिलिमैब' दवा शामिल है। इसी सिलसिले में अब बर्मिंघम और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने नैमिलुमैब और टीएनएफ ड्रग को आजमाने का फैसला किया है। वहीं, कैसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं से भी कोविड-19 की काट ढूंढने की कोशिश की जा रही है। इसी कारण टीएनएफ ड्रग को ट्रायल में शामिल किया गया है।
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कैटलिस्ट ट्रायल करने वाली टीम के एक सदस्य बेन फिशर का कहना है, 'ऐसे कई सबूत सामने आ रहे हैं कि जो बताते हैं कि कोविड-19 के संक्रमण से जुड़े साइटोकिन स्टॉर्म में एंटी-इनफ्लेमेटरी (सूजनरोधी) ड्रग्स की भूमिका काफी अहम है। कैटलिस्ट के अध्ययन में हम इन ड्रग्स की एक डोज अस्पतालों में भर्ती मरीजों को देंगे। हम उम्मीद करते हैं कि इससे बीमारी को तेजी से बढ़ने से रोकने या टालने में कामयाब रहेंगे।'