चीन में जब नए कोरोना वायरस के मामले तेज गति से बढ़े तो उससे निपटने के लिए चीन ने कुछ ही दिनों में हजार और 1,500 बेड के अस्थायी अस्पताल बना कर पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरी थीं। अब युनाइटेड किंगडम (यूके) ने पूर्वी लंदन में 4,000 बेड्स की क्षमता वाला अस्थायी अस्पताल बना कर सभी को हैरान कर दिया है। इस देश ने यह कारनामा ऐसे समय में किया है, जब अंतरराष्ट्रीय स्तर की यूरोपीय स्वास्थ्य व्यवस्था कोरोना वायरस के प्रकोप के आगे लाचार दिखाई दे रही है। ऐसे में एक ही जगह इतने बड़े पैमाने पर अस्थायी अस्पताल बना कर यूके ने मानवीय प्रयास की मिसाल पेश की है।
ब्रेक्जिट से पहले इटली, फ्रांस, स्पेन, जर्मनी जैसे प्रमुख यूरोपीय देशों के साथ शुमार ब्रिटेन का हाल भी कोरोना वायरस से बेहाल है। यहां सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण से जुड़े अब तक 33,718 मामले सामने आए हैं। इनमें से 3,000 के करीब लोगों की मौत हो चुकी है। हालात ये हैं कि यूके में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से लड़खड़ा गई है। लेकिन ब्रिटिश प्रशासन हालात को काबू करने में जुटा है। इसी के तहत लंदन स्थित एक पूरे एग्जीबिशन हॉल को अस्थायी अस्पताल में तब्दील कर दिया गया है।
सेना की मदद से बनाया अस्पताल, 500 बेड में ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की व्यवस्था
ब्रिटिश मीडिया रिपोर्टों की मानें तो यूके ने चीन के रिकॉर्ड (दस दिन) को तोड़ते हुए महज नौ दिनों में 4,000 बेड वाला यह अस्थायी अस्पताल तैयार किया है। इस नए अस्पताल को यूके की एक स्वास्थ्य संस्था 'नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) इंग्लैंड' ने तैयार किया है। इसी के नाम पर अस्पातल को 'एनएचएस नाइटेंगल' का नाम दिया गया है। 87,328 वर्ग मीटर के एक डबल एग्जीबिशन हॉल में बनाए गए इस अस्पताल में 80 से अधिक वार्ड हैं और हर वार्ड में 42 बेड लगाए हैं। वहीं, 500 बेड्स ऐसे हैं जिनमें ऑक्सीजन और वेंटिलेटर समेत सभी जरूरी व्यवस्थाएं की गई हैं। वहीं, 3,500 बेड को अलग से जगह दी गई है।
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ब्रिटेन ने इस अस्पताल को बनाने के लिए अपनी सेना को भी मदद ली है। इसमें रॉयल एंग्लियन रेजिमेंट और रॉयल गोरखा राइफल्स के जवान शामिल थे जिन्होंने नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) स्टाफ और कॉर्डिनेटर्स के साथ अलग-अलग शिफ्टों में काम करके लक्ष्य को अंजाम तक पहुंचाया।
अस्पताल स्टाफ की पूर्ति कैसे होगी?
इतना बड़ा अस्पताल तैयार करने के बाद सवाल आता है कि इसके लिए पर्याप्त संख्या में मेडिकल स्टाफ कहां से आएगा? बताया जा रहा है कि इस काम के लिए आठ वरिष्ठ कर्मचारियों की एक टीम को जिम्मा सौंपा गया है। इन सदस्यों को स्थानीय अस्पतालों और ट्रस्टों से लिया जाएगा। अस्पताल को चालू रखने के लिए इसकी क्षमता के अनुसार लगभग 16,000 कर्मचारियों की आवश्यकता होगी। इसके लिए बड़ी संख्या में डॉक्टर, नर्स और स्वयंसेवक (वॉलिंटियर्स) अपनी सेवाएं देंगे।
स्टाफ से जुड़ी जानकारी देते हुए मुख्य परिचालन अधिकारी नताली फॉरेस्ट ने कहा कि वॉलिंटियर्स के साथ मिल कर अन्य अस्पतालों से नर्सिंग स्टाफ की व्यवस्था की जा रही है। वहीं, ईजीजेट और वर्जिन अटलांटिक एयरलाइन के कर्मचारियों से भी संपर्क किया गया है। केबिन क्रू के पास स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़ी योग्यता की मंजूरी है और उनमें से कई प्राथमिक चिकित्सा के लिए प्रशिक्षित भी हैं। अस्पताल बनाने वाली संस्था एनएचएस का कहना है कि वे बेड बदलते रहेंगे और डॉक्टरों और नर्सों की भी मदद करेंगे। इसके अलावा अन्य नॉन-क्लीनिक्ल कार्यों में भी मदद की जाएगी।
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अस्पताल में किस प्रकार सुविधाएं होंगी?
एनएचएस के मुताबिक, यह एक अस्थायी अस्पताल है और इस लिहाज से यहां किसी मरीज के बाहर से आने-जाने की व्यवस्था नहीं होगी। केवल पहले से ही वेंटिलेटर पर भर्ती मरीज और लंदन में अन्य जगहों से ट्रांसफर या रेफर किए गए आईसीयू वाले मरीजों को यहां रखा जाएगा। ये मरीज अस्पताल में तब तक रहेंगे जब तक उनका वेंटिलेशन कोर्स पूरा नहीं हो जाता। अस्पताल में सुविधाओं की बात करें तो यहां फार्मेसी और चिकित्सा उपचार जैसी सहायता सेवाएं उपलब्ध होंगी। वहीं, अस्पताल में एक शवगृह यानी मॉर्चरी की व्यवस्था भी दी गई है।
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यूके में बन रहे और अस्थायी अस्पताल
ब्रिटिश मीडिया के मुताबिक, 'एनएचएस नाइटेंगल' की तर्ज पर यूके में और भी अस्थायी अस्पताल बनाए जा रहे हैं ताकि मरीजों का सारा बोझ केवल इस एक ही अस्पताल पर न पड़े। खबरों की मानें तो बर्मिंगम, मैनचेस्टर, ग्लास्गो, हैरोगेट और ब्रिस्टल स्थित वेस्ट इंग्लैंड यूनिवर्सिटी में भी आपातकालीन अस्पताल बनाए जाएंगे। इनमें से कुछ इसी महीने के अंत तक शुरू हो जाएंगे। ये सभी एनएचएस द्वारा ही तैयार किए जाएंगे।
वहीं, उत्तरी आयरलैंड में भी पहला नाइटेंगल अस्पताल बनाने की तैयारी हो रही है। इसके अलावा यूके के तहत ही आने वाले वेल्स में भी स्पोर्टस और अन्य क्षेत्र से जुड़े केंद्रों में कुल 6,000 बेड की क्षमता वाले स्वास्थ्य केंद्र तैयार किए जा रहे हैं। इनमें वेल्स के शहर कार्डिफ में बने प्रिंसीपैलिटी स्टेडियम में बनने जा रहा फील्ड हॉस्पिटल भी शामिल है, जिसकी क्षमता 2,000 बेडों तक बढ़ाई जाने की बात कही गई है।