दिसम्बर 2019 में चीन के वुहान शहर से मिला कोरोना वायरस का यह नया स्ट्रेन दुनियाभर में कहर मचा रहा है। इससे होने वाले संक्रमण की लहरें एक के बाद एक आ रही हैं, जिससे मृत्यु का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है।

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रसार को रोकने और संक्रमण से होने वाले गंभीर परिणामों को कम करने के लिए कोविड 19 की समय पर जांच करवाकर उचित उपाय व इलाज करना बेहद जरूरी है। हालांकि, एक सटीक जांच करने के लिए यह पता होना जरूरी है कि कोविड 19 की किस स्टेज में कौन सा टेस्ट करवाना चाहिए।

इस लेख में बताया गया है कि यदि आपको कोविड 19 संक्रमण हो जाता है तो आपको कौन सा टेस्ट कब करवाना चाहिए। साथ ही इस लेख की मदद से आप कोरोनावायरस के सभी टेस्टों से मिलने वाले परिणाम व उनके मतलब भी जान पाएंगे। वैसे तो कोविड 19 संक्रमण का पता लगाने के लिए अधिकतर ऐसे टेस्ट किए जाते हैं, जिनमें मुंह व नाक से सैंपल लिए जाते हैं, लेकिन आपके स्वास्थ्य व संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए कुछ ब्लड टेस्ट व इमेजिंग स्कैन भी किए जा सकते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है।

  1. कोरोना वायरस की पुष्टि के लिए टेस्ट
  2. कोविड-19 संक्रमण की गंभीरता जानने के लिए टेस्ट
  3. अन्य टेस्ट अगर कोई अन्य बीमारी हो
  4. कोरोना ठीक होने के बाद एंटीबॉडी टेस्ट
कोरोना वायरस टेस्ट के डॉक्टर

1. आरटी-पीसीआर

कोविड-19 संबंधी लक्षण होने पर और संक्रमण की पुष्टि करने के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जाता है।

रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमर चेन रिएक्शन एक लैब टेस्ट है, जो कोविड 19 संक्रमण पैदा करने वाले वायरस की पहचान करता है। यह टेस्ट सार्स कोव 2 (Sars-Cov 2) का पता लगाने के लिए है। आरटी पीसीआर टेस्ट से मिलने वाले परिणाम व उनका मतलब कुछ इस प्रकार होता है -

आरटीपीसीआर रिपोर्ट

स्कोर वायरल लोड
आरटी पीसीआर सीटी (साइकिल थ्रेशॉल्ड) टेस्ट को वायरल लोड और संक्रामकता का पता लगाने के लिए किया जाता है।
इसकी वैल्यू जितनी कम आती है, वायरल लोड उतना ही ज्यादा होता है।
17 - 24 अधिक वायरल लोड
24 - 35 मध्यम वायरल लोड
> 35 कम वायरल लोड

2. सीओ-आरएडीएस

एक अन्य माप है जो कोविड के दौर में आपकी मदद कर सकता है। इसका नाम सीओ-आरडीएस (CO-RADS) है जिसका मतलब 'कोविड-19 रिपोर्टिंग एंड डेटा सिस्टम' है। इसका उद्देश्य कोविड-19 मामलों में फेफड़ों संबंधी समस्याओं का मूल्यांकन करना है। सीओ-आरएडीएस की सात श्रेणियां हैं, जो कि 0 से ले​कर 6 तक में बटी हैं। जब आरटी-पीसीआर की रिपोर्ट उपलब्ध नहीं हो पाती है तो यह वर्गीकरण 'नॉन-इंहेंस्ड सीटी स्कैन परिणामों' और लक्षण के आधार पर तय किया जाता है।

कोविड 19 का संदेह होने का स्तर
सीओ-आरएडीएस 1 कोई संदेह नहीं
सीओ-आरएडीएस 2 कम संदेह होना
सीओ-आरएडीएस 3 मध्यम संदेह होना
सीओ-आरएडीएस 4 अधिक संदेह होना
सीओ-आरएडीएस 5 बहुत अधिक संदेह होना
सीओ-आरएडीएस 6 बहुत अधिक संदेह होने के साथ पीसीआर+
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कोविड 19 संबंधी लक्षण होने पर और संक्रमण की पुष्टि होने पर उसकी गंभीरता की जांच करने के लिए किए जाने वाले टेस्टों में निम्न शामिल हैं -

1. एचआरसीटी चेस्ट स्कैन

इसे हाई रेसोल्यूजन कंप्यूटर टोमोग्राफी ऑफ टेस्ट, एचआरसीटी लंग्स के नाम से भी जाना जाता है। यह सीने के लिए किया गया एक विशेष सीटी स्कैन होता है। यह एक्स रे तकनीक के अनुसार काम करता है, जिसे गर्भवती महिलाओं के लिए नहीं किया जाता है। एचआर सीटी चेस्ट स्कैन की मदद से कई पतली स्लाइस की साफ छवियां प्राप्त की जाती हैं। कोविड 19 संक्रमण के मरीजों में उनके फेफड़ों की स्थिति का पता लगाने के लिए एचआरसीटी चेस्ट किया जाता है। इसके रिजल्ट व उनके मतलब के बारे में नीचे बताया गया है -

स्कोर सीटी की गंभीरता
<8 हल्के
9-15 मध्यम
>15 गंभीर

2. सीआरपी टेस्ट

सीआरपी टेस्ट की मदद से रक्त में सी-रिएक्टिव प्रोटीन की मात्रा का पता लगाया जाता है। यह टेस्ट शरीर के अंदर सूजन, लालिमा व जलन जैसी स्थितियों को बताता है, जिससे संबंधित बीमारी की गंभीरता का अंदाजा लगाया जाता है। कोविड 19 से संक्रमित लोगों में सीआरपी का स्तर काफी बढ़ा हुआ देखा गया है। जिन लोगों में कोविड 19 का संक्रमण गंभीर हो गया है, उनमें से 86 प्रतिशत लोगों के रक्त में सी रिएक्टिव प्रोटीन का स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है। सीआरपी टेस्ट के रिजल्ट व उसके मतलब के बारे में नीचे टेबल में बताया गया है -

सीआरपी इन्फ्लमेशन की गंभीरता
0 - 6 सामान्य
< 26 कम
26 - 100 मध्यम
> 100 गंभीर

3. आईएल 6 टेस्ट

इंटरल्यूकिन-6 एक प्रोटीन है, जो कई प्रकार की कोशिकाओं में पाया जाता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करने का काम करता है, जिस कारण से आईएल 6 टेस्ट को एक महत्वपूर्ण परीक्षण माना जाता है। कुछ स्थितियां हैं, जिनमें आईएल 6 का स्तर बढ़ जाता है, जैसे संक्रमण, स्व प्रतिरक्षित रोगहृदय संबंधी रोग व कुछ प्रकार के कैंसर आदि। इस टेस्ट की मदद से रक्त में इंटरल्यूकिन-6 प्रोटीन के स्तर को मापा जाता है।

कोविड 19 व अन्य किसी वायरल संक्रमण के बाद फाइब्रोब्लास्ट, मेसेंकाईमल व एंडोथेलियल जैसे कई कोशिकाओं से आईएल 6 का स्तर बढ़ने लग जाता है।

आइएल 6

(पिकोग्राम प्रति मिलीलीटर)

इन्फ्लमेशन की गंभीरता
0 - 7 सामान्य
< 15 कम
15 - 100 मध्यम
100 - 500 गंभीर
> 500 अत्यंत गंभीर

4. डी डिमर टेस्ट

डी डिमर टेस्ट एक ब्लड टेस्ट है, जिसकी मदद से गंभीर रक्त के थक्कों का पता लगाया जाता है। कुछ अध्ययनों के अनुसार कोविड 19 का संक्रमण गंभीर होने से ब्लड क्लॉटिंग की सामान्य प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है। हालांकि, डी डिमर और कोविड 19 की गंभीरता के बीच का संबंध अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।

डी डिमर

(माइक्रोग्राम प्रति मिलीलीटर)

इन्फ्लमेशन की गंभीरता
< 0.5 सामान्य
< 1 कम
> 1 मध्यम - गंभीर

5. एनएलआर टेस्ट

न्यूट्रोफिल टू लिम्फोसाइट रेशियो (Neutrophil-to-lymphocyte ratio) को कई अलग-अलग बीमारियों व उनकी गंभीरता का पता लगाने के लिए किया जाता है जैसे हृदय रोग, संक्रमण, सूजन और कुछ प्रकार के कैंसर आदि। एनएलआर की मदद से कोविड 19 से संक्रमित मरीजों में गंभीरता और मृत्यु दर का अनुमान लगाने में भी काफी मदद मिलती है।

  नॉर्मल रेंज
फेरिटिन 13-150 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर
एलडीएच एलडीएच 0-250 यूनिट प्रति लीटर
ईएसआर 0-22 मिलीमीटर प्रति घंटा

इसके अलावा यदि कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति कोई दीर्घकालिक या अन्य किसी बीमारी से ग्रस्त हैं जैसे हाई ब्लड प्रेशरडायबिटीजकोरोनरी धमनी रोगडिस्लिपिडेमियाअस्थमासीओपीडी व अन्य रोग आदि, तो कुछ अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं। कुछ मामलों में इन टेस्टों का कोविड 19 संक्रमण से कोई संबंध नहीं होता है, लेकिन यह मरीज के स्वास्थ्य की स्थिति का अंदाजा लगाने में मदद करते हैं। इन टेस्टों में निम्न शामिल हैं -

1. सीरम ट्रोपोनिन - आई लेवल

ट्रोपोनिन टेस्ट की मदद से रक्त में ट्रोपोनिन नामक प्रोटीन के स्तर की जांच की जाती है। ट्रोपोनिन हृदय की मांसपेशियों में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है। यह आमतौर पर रक्त में नहीं होता है, लेकिन जब हृदय की मांसपेशियां क्षतिग्रस्त होती हैं, तो ट्रोपोनिन रक्त से मिल जाता है। इस टेस्ट की मदद से हृदय की मांसपेशियों में क्षति व अन्य समस्याओं का पता लगाया जाता है।

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2. सीरम एनटी प्रो बीएनपी

यदि आपका एनटी प्रो बीएनपी का स्तर सामान्य से अधिक है, तो यह हार्ट फेलियर की तरफ संकेत करता है। एनटी प्रो बीएनपी टेस्ट का स्तर जितना अधिक होगा स्थिति उतनी ही गंभीर होती है। यदि बीएनपी या एनटी-प्रो बीएनपी का स्तर सामान्य है, तो आपको हो रहे लक्षण हार्ट फेलियर से संबंधित नहीं है।

3. एचबीएन1सी टेस्ट

इसे हीमोग्लोबिन ए1सी टेस्ट की मदद पिछले 2 से 3 महीनों में आपके ब्लड शुगर के स्तर का औसत पता चल जाता है। इस टेस्ट को ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट और ग्लाइकोहीमोग्लोबिन टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है। एचबीए1सी टेस्ट को डायबिटीज रोग का पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है।

(और पढ़ें - नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल कितना होना चाहिए)

4. लिपिड प्रोफाइल टेस्ट

लिपिड प्रोफाइल टेस्ट एक प्रकार का ब्लड टेस्ट है, जिसकी मदद से रक्त में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड नामक वसा के स्तर को मापा जाता है। इस टेस्ट की मदद डॉक्टर आपको रक्त में होने वाली समस्याओं की एक त्वरित जानकारी मिल जाती है। रक्त में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड धमनियों में रुकावट पैदा कर सकते हैं, जिससे हृदय रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।

(और पढ़ें - हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण)

5. सीरम प्रोलैक्टिनोनिन

सेप्सिस या सिस्टेमिक बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने पर रक्त में प्रोलैक्टिनोनिन का स्तर बढ़ जाता है। सीरम प्रोलैक्टिनोनिन की मदद से रक्त में इसके स्तर की जांच की जा सकती है।

प्रोलैक्टिनोनिन एक विशेष पदार्थ है जिसे शरीर में कई अलग-अलग कोशिकाओं के द्वारा बनाया जाता है। ये कोशिकाएं आमतौर पर संक्रमण या ऊतकों में चोट लगने पर उसकी प्रतिक्रिया के रूप में प्रोलेक्टिनोनिन को बनाती हैं और सीरम प्रोलैक्टिनोनिन टेस्ट की मदद से स्थिति का पता लग जाता है।

इसके अलावा एंटीबॉडी टेस्ट भी है, जिसे आमतौर पर कोविड 19 संक्रमण खत्म होने के बाद किया जाता है। एंटीबॉडी या सीरोलॉजी टेस्ट की मदद से से शरीर में मौजूद एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है, जो शरीर में कोविड 19 संक्रमण के विरुद्ध बनी हैं।

एंटीबॉडी टेस्ट एक विशेष प्रकार का प्रोटीन होता है, जो आपके संक्रमण के संपर्क में आने या वैक्सीन लगवाने के बाद शरीर में बनता है। एंटीबॉडी को शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा वायरस, बैक्टीरिया या वैक्सीन में मौजूद सामग्री के विरुद्ध बनाया जाता है।

(और पढ़ें - प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के तरीके)

एंटीबॉडी आपके शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं और आपको दोबारा संक्रमित होने से भी बचाती हैं। हालांकि, आप संक्रमण या रोग से कितने समय तक बचे रहेंगे यह रोग और व्यक्ति के स्वास्थ्य के अनुसार अलग-अलग हो सकता है।

एंटीबॉडी टेस्ट को कोविड 19 संक्रमण के दौरान नहीं किया जाना चाहिए। यदि आपको संक्रमण है, तो हो सकता है आपके शरीर में एंटीबॉडी न मिलें। ऐसा इसलिए क्योंकि आपके संक्रमित होने के 1 से 3 हफ्तों के बाद शरीर में एंटीबॉडी बनने लगते हैं।

एंटीबॉडी टेस्ट करने का मुख्य उद्देश्य यह जानना है कि आपके शरीर में एंटीबॉडी बन चुके हैं या नहीं, ताकि यह सुनिश्चित किया जाए कि कुछ निश्चित समय तक आपको फिर से संक्रमण होने का खतरा नहीं है।

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