दुनिया के सबसे बड़े और ताकतवर देशों में कोरोना वायरस एक बार फिर तेजी से फैल रहा है। यूरोपीय देशों से लेकर अमेरिका तक में कोविड-19 की दूसरी और तीसरी लहर के चलते वहां बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए हैं और हो रहे हैं। लेकिन दूसरी ओर ताइवान जैसा छोटा सा देश कोविड-19 की रोकथाम के लिहाज से इन बड़े और ताकतवर देशों के लिए एक मिसान बन कर उभरा है। मात्र 2.38 करोड़ की आबादी वाले इस पूर्वी एशियाई देश में पिछले 200 दिनों से स्थानीय स्तर पर कोरोना वायरस का एक भी मामला सामने नहीं आया है। वायरस को नियंत्रण करने के मामले में ताइवान का यह रिकॉर्ड दुनिया में सबसे बेहतर है। गौरतलब है कि ताइवान में सार्स-सीओवी-2 वायरस के आखिरी लोकल ट्रांसमिशन केस की पुष्टि बीती 12 अप्रैल को की गई थी। उसके बाद से बीते छह महीनों से भी ज्यादा समय से या कहें 200 दिनों से वहां एक भी नया लोकल केस दर्ज नहीं हुआ है और न ही किसी दूसरी लहर के आसार दिखाई दिए हैं।

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ताइवान के आंकड़े कोविड-19 को नियंत्रित करने के उसके कामयाब प्रयासों की गवाही देते हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां अब तक केवल 553 लोग कोरोना वायरस की चपेट में आए हैं। इनमें से केवल सात मरीजों की मौत हुई है। जानकार बताते हैं कि ताइवान ने कोरोना संकट को काफी पहले पहचान लिया था। इसलिए उसने अपनी सीमाओं को समय रहते बंद कर दिया और यात्राओं को सख्ती के साथ रेग्युलेट किया। साथ ही उसने कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, तकनीकी क्वारंटीन और व्यापक स्तर पर मास्क पहनने का काम काफी तेजी से करवाया है। इसके अलावा, 2003 में आए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-1 से फैली सार्स महामारी के अनुभव ने लोगों को सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित किया, जिससे सार्स-सीओवी-2 को नियंत्रण में करना इस देश के लिए संभव हो सका।

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जानकार बताते हैं कि कई देश ताइवान से सीख सकते हैं कि इस वैश्विक संकट को और बढ़ने से किस तरह रोका जा सकता है। यहां के पूर्व उप-राष्ट्रपति और एपिडेमियोलॉजिस्ट चेन चिएन-जेन बताते हैं कि पॉजिटिव आने वाले लोगों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और उनको क्वारंटीन किए बिना वायरस को कंट्रोल करना संभव नहीं है। वे बताते हैं कि ताइवान में यह काम बहुत अच्छे तरीके से किया गया है। क्वारंटीन में ले जाए जाने के बाद लोगों को सेंटरों में रोके रखना आसान नहीं है। इसके लिए ताइवान में कई कदम उठाए गए हैं। इनके तहत क्वारंटीन सेंटरों में रह रहे लोगों को खाना और ग्रॉसरी की डिलिवरी की गई। तमाम सुविधाओं के बाद भी जो लोग क्वारंटीन का उल्लंघन करते पकड़े गए उन पर दस लाख न्यू ताइवान डॉलर या 35 हजार अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लगाया गया। भारतीय मुद्रा में यह जुर्माना 26 लाख रुपये से भी ज्यादा का है। इस तरह समय रहते सीमाएं नियंत्रित कर, व्यापक स्तर पर मास्क वितरित कर, तेजी से कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और लोगों को क्वारंटीन कर और सार्स महामारी के अनुभव से सीखकर ताइवान कोविड-19 महामारी को अभी तक सबसे सफल तरीके से बढ़ने से रोकने में कामयाब रहा है।

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हालांकि वायरस को इस हद तक रोकने के बाद भी ताइवान कोविड-19 के खतरे से पूरी तरह मुक्त नहीं हुआ है। यहां दूसरे देशों से इस बीमारी के केस अभी भी सामने आ रहे हैं। गुरुवार को ही ताइवान की सरकार ने तीन मामलों की पुष्टि की है। ये तीनों मरीज फिलिपींस, अमेरिका और इंडोनेशिया से आए हैं। पिछले दो हफ्तों में यहां ऐसे 20 केस सामने आ चुके हैं। यही स्थिति सिंगापुर और जापान जैसे देशों के साथ भी है, जहां की सरकारों ने कोरोना संक्रमण को रोकने में खासी कामयाबी हासिल की है। स्थानीय स्तर पर ट्रांसमिशन को नियंत्रण के बाद यहां बाहर से कोरोना मरीजों का आगमन अभी भी देखने को मिल रहा है। ऐसे में संकट का खत्म होने का दावा करना सही नहीं होगा।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें ताइवान में 200 दिनों से कोविड-19 का कोई लोकल मामला दर्ज नहीं, जानें किस तरह कोरोना वायरस को किया नियंत्रित है

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