कोविड-19 संकट के बीच कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश में प्रवासी मजदूरों पर प्रशासन द्वारा कीटनाशक का छिड़काव किया गया था। इस घटना से पूरे देश में हंगामा मचा था और राज्य सरकार की काफी फजीहत हुई थी। प्रशासन का कहना था कि उसने उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस की रोकथाम के तहत ऐसा किया था, लेकिन बाद में राज्य सरकार ने इसके संबंधित अधिकारी को फटकार लगाई थी। वहीं, अब केंद्र सरकार की तरफ से भी साफ कहा गया है कि कोविड-19 के चलते किसी भी स्थिति में लोगों पर कीटनाशक ता इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
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दरअसल, सार्स-सीओवी-2 की रोकथाम को लिए शहरों को सैनिटाइज किया जा रहा है। इस सिलसिले में कुछ जगह पर लोगों पर भी कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किए जाने के मामले सामने आए हैं। खबरों के मुताबिक, कुछ लोगों ने इसकी शिकायत करते हुए कहा है कि उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आई हैं। इसी को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने किसी भी परिस्थिति में लोगों पर कीटाणुनाशक (डिसइंफेक्टेंट दवा) का छिड़काव करने से मना किया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि अगर कोई व्यक्ति कोविड-19 के संपर्क में है, तो शरीर के बाहरी हिस्सों पर कीटाणुनाशक का छिड़काव करने से उस वायरस को नहीं मारा जाता है, जो असल में व्यक्ति के शरीर में है। सरकार ने साफ कहा कि केमिकल डिसइंफेक्टेंट दवाओं का छिड़काव शारीरिक और मानसिक रूप से हानिकारक है।
वहीं, जानकार भी बताते हैं कि डिसइंफेक्टेंट दवा (जैसे क्लोरीन) में केमिकल मिले होते हैं, जो केवल बीमारी पैदा करने वाले कीटाणुओं या अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को नष्ट करते हैं। लेकिन इनका इस्तेमाल बाहरी सतहों के लिए होता है, ना कि इन्सानों पर। अगर किसी व्यक्ति पर क्लोरीन का छिड़काव किया जाए तो उसे आंखों और त्वचा में जलन और मतली और उल्टी जैसी समस्या आ सकती है। वहीं, सोडियम हाइपोक्लोराइट के प्रभाव में गले और सांस संबंधी परेशानियां (जैसे जलन) हो सकती हैं। इनमें ब्रोन्कोस्पास्म यानी श्वासनलिका के सिकुड़ने की समस्या भी शामिल है।