वैज्ञानिकों ने कोविड-19 बीमारी की वजह बने नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 को लेकर नया दावा किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि हो सकता है यह वायरस इस बीमारी में होने दर्द से राहत देने का काम करता हो। इस दावे के आधार पर शोधकर्ताओं ने यह भी कहा है कि इस जानकारी से यह भी पता किया जा सकता है कि आखिर क्यों कोविड-19 से ग्रस्त आधे लोगों में इस बीमारी के कुछ या कोई भी लक्षण नहीं दिखते हैं। जानी-मानी समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह जानकारी मेडिकल पत्रिका पेन में प्रकाशित हुई है।

इस अध्ययन में शामिल अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ ऐरिजोना (यूओए) के शोधकर्ता और लेखक राजेश खन्ना ने बताया, 'इससे कोविड-19 के लगातार बढ़ने की वजह को समझने में काफी मदद मिली है। बीमारी की शुरुआत में आप बिल्कुल ठीक लगते हैं, जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि आपका दर्द दबा दिया गया है। वायरस आपके अंदर है, लेकिन आप खराब (पीड़ा) महसूस नहीं करते, क्योंकि दर्द जा चुका है। अगर हम यह साबित कर सकें कि दर्द में मिलने वाली राहत की वजह से कोविड-19 फैल रही है तो इसका काफी महत्व होगा।' अध्ययन में शामिल वैज्ञानिकों का कहना है कि संभवतः कोविड-19 की शुरुआत में होने वाले दर्द को कोरोना वायरस का स्पाइक प्रोटीन कम करता है।

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यह बात पहले से ज्ञात है कि तमाम वायरस कोशिका झिल्लियों पर मौजूद प्रोटीन रिसेप्टर्स की मदद से सेल्स को संक्रमित करते हैं। कोविड-19 की वजह बना कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 मानव अंगों की सतह पर मौजूद एंजियोटेनसिन-कन्वर्टिंग एंजाइम 2 यानी एसीई2 रिसेप्टर के जरिये कोशिका में घुसता है। इस तथ्य के संबंध में जून महीने में दो मेडिकल शोधपत्र मेडआरकाइव प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित हुए थे। इन में सार्स-सीओवी-2 के कोशिका में घुसने के पीछे भूमिका निभाने वाले एक अन्य रिसेप्टर न्यूरोपिलिन-1 का जिक्र किया गया था। इस बारे में यूओए के राजेश खन्ना का कहना है, 'इस बात ने हमारा ध्यान खींचा। पिछले 15 सालों से मेरी लैब प्रोटीनों और उन कारणों पर अध्ययन कर रही है, जिनका संबंध न्यूरोपिलिन वाले पेन प्रोसेसिंग से है। इसलिए हमने इस बारे में गौर किया और हमें लगा कि शायद दर्द संबंधी प्रक्रिया में स्पाइक प्रोटीन कुछ हद तक शामिल हो सकता है.'

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शोधकर्ताओं के मुताबिक, शरीर में ऐसे कई जैविक मार्ग होते हैं, जो उसे दर्द होने का सिग्नल भेजते हैं। यह काम कई प्रोटीनों के जरिये होता है, जिनमें से एक का नाम है वसक्यूलर एंडोथीलियल ग्रोथ फैक्टर-ए (वीईजीएफ-ए)। रक्त वाहिकाओं के विकास में यह प्रोटीन अहम भूमिका निभाता है। लेकिन इसका संबंध कैंसर, आर्थराइटिस जैसी बीमारियों से भी माना जाता है। अब वैज्ञानिक कोविड-19 से भी वीईजीएफ-ए को जोड़ कर देख रहे हैं। यह प्रोटीन न्यूरोपिलिन रिसेप्टर को ताले की तरह लॉक कर देता है। इससे शरीर में कई प्रकार की हलचल होने लगती है, जिससे तंत्रिका कोशिकाएं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो जाती हैं। इसी कारण हमें दर्द महसूस होने लगता है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि नए कोरोना वायरस का स्पाइक प्रोटीन न्यूरोपिलिन को वीईजीएफ-ए जैसी किसी लोकेशन पर बांध कर पेन प्रोसेस को रोक देता है।

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इस जानकारी के साथ शोधकर्ताओं ने लैब में कई प्रयोग किए। उन्होंने चूहों और अन्य रॉडन्ट एनीमल्स पर अपनी हाइपोथीसिस को आजमाया, जिसके मुताबिक सार्स-सीओवी-2 का स्पाइक प्रोटीन वीईजीएफ-ए/न्यूरोपिलिन के पीड़ा संबंधी मार्गों को प्रभावित करता है। उन्होंने न्यूरॉन को उत्तेजित करने के लिए वीईजीएफ-ए को बतौर ट्रिगर इस्तेमाल किया, जिससे चूहों में दर्द पैदा हुआ। फिर उसमें कोरोना वायरस का स्पाइक प्रोटीन एड किया। प्रोफेसर खन्ना ने बताया, 'स्पाइक प्रोटीन ने वीईजीएफ के कारण पैदा हुए पैन सिग्नल को पूरी तरह दबा दिया था। इससे कोई अंतर नहीं पड़ा कि स्पाइक का कम डोज इस्तेमाल किया गया या ज्यादा। दोनों ही में दर्द पूरी तरह रिवर्स हो गया।' अध्ययन के परिणामों से उत्साहित राजेश खन्ना और उनकी लैब के वैज्ञानिक अब ऐसे मॉलिक्यूल्स बनाने की तैयार कर रहे हैं, जिन्हें न्यूरोपिलिन के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सके।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 में होने वाले दर्द से राहत देता है कोरोना वायरस का स्पाइक प्रोटीन, जिससे बढ़ रही है बीमारी: वैज्ञानिक है

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