देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस का संक्रमण कितना फैल चुका है, यह जानने के लिए अब हर महीने सेरोलॉजिकल सर्वेक्षण किया जाएगा। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने यह जानकारी ऐसे समय में दी है, जब मंगलवार को सामने आए सेरो सर्वे के परिणाम चर्चा का विषय बने हुए हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस चर्चा के बीच बुधवार को सत्येंद्र जैन ने कहा, 'दिल्ली सरकार ने फैसला किया है कि अब हर महीने सेरो सर्विलेंस (निगरानी) की जाएगी। हर महीने की पहली तारीख से पांचवीं तारीख के बीच यह निगरानी की जाएगी।'
इससे पहले जून के महीने के अंत और जुलाई की शुरुआती दिनों के बीच दिल्ली में बड़े लेवल पर सेरो सर्वे किया गया था। दिल्ली सरकार और नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल यानी एनसीडीसी के सहयोग से किए गए इस सर्वेक्षण में 21 हजार से ज्यादा लोगों के ब्लड सैंपल लिए गए थे। जांच में पता चला कि उनमें से 23 प्रतिशत से भी अधिक लोगों में कोरोना वायरस को रोकने वाले एंटीबॉडी मिले हैं। इससे यह संकेत गया है कि दिल्ली की 23 प्रतिशत आबादी कोरोना वायरस की चपेट में आई है और बड़ी संख्या में लोगों ने विषाणु को रोकने वाले रोग प्रतिरोधक यानी एंटीबॉडी विकसित कर लिए हैं। हालांकि उनमें से ज्यादातर में कोविड-19 के लक्षण दिखाई नहीं दिए। वहीं, एक बड़ी आबादी पर अभी भी वायरस का खतरा मंडरा रहा है। यही कारण है कि दिल्ली सरकार ने अब हर महीने सेरो सर्वे करने का फैसला किया है।
पिछले सर्वे के विश्लेषण पर आधारित मीडिया रिपोर्टों में यह दावा किया गया है कि दिल्ली में हर चार या पांच लोगों में से एक व्यक्ति सार्स-सीओवी-2 वायरस की चपेट में आ चुका है। इन परिणामों ने दिल्ली सरकार की चिंता बढ़ा दी है। गौरतलब है कि दिल्ली की आबादी का एक बड़ा हिस्सा छोटे-छोटे इलाकों में रहता है, जहां वायरस तेजी से लोगों को शिकार बना सकता है। एनसीडीसी के निदेशक डॉ. सुजीत कुमार सिंह ने सर्वे के परिणामों के मद्देनजर कहा है कि दिल्ली की 77 प्रतिशत आबादी अभी भी कोविड-19 के खतरे में है, लिहाजा वायरस को नियंत्रित करने से संबंधित उठाए गए कदमों को आगे भी जारी रखने की जरूरत है।
गौरतलब है कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण की चपेट में आए लोगों की संख्या सवा लाख से ज्यादा हो गई है। यह रिपोर्ट लिखे जाने तक दिल्ली में कोविड-19 के एक लाख 26 हजार 323 मरीजों की पुष्टि हो चुकी थी। इनमें से 3,719 की मौत हो गई है। हालांकि एक लाख 7,650 मरीजों का बचा भी लिया गया है। आंकड़े बताते हैं कि राजधानी में कोविड-19 की मृत्यु दर तीन प्रतिशत से कम है, जबकि रिकवरी रेट 85 फीसदी से ज्यादा हो चुका है। अब दिल्ली में केवल 11.84 प्रतिशत यानी करीब 15 हजार मरीज ऐसे हैं, जिनका इलाज किया जा रहा है।