अमेरिका में शोधकर्ताओं की एक टीम ने कोविड-19 महामारी की वजह बने सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस की उन जगहों (पार्ट या रीजन) को आइडेंटिफाई किया है, जिन्हें वैक्सीन के जरिये टार्गेट करके इस बीमारी को खत्म किया जा सकता है। अमेरिका स्थित चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल ऑफ फिलडेल्फिया (सीएचओपी) के शोधकर्ताओं ने कैंसर से जुड़ी इम्युनोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की मदद से सार्स-सीओवी-2 के इन रीजन्स की पहचान की है। 

रिपोर्टों के मुताबिक, इस प्रयास में वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के खिलाफ रोग-प्रतिकारक प्रतिक्रिया यानी इम्यून रेस्पॉन्स को प्रोत्साहित करने के लिए वही तरीका अपनाया है जैसा कि कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ अपनाया जाता है। इस रणनीति के तहत मिले परिणाम के आधार पर वैज्ञानिकों ने कहा है कि उन्हें विश्वास है कि इस तरह बनने वाली वैक्सीन लोगों को कोविड-19 से सुरक्षा प्रदान करने के साथ उनमें दीर्घकालिक इम्यून रेस्पॉन्स पैदा करेगी।

(और पढ़ें - कोविड-19: शोधकर्ताओं का दावा, इस विशेष ब्लड ग्रुप वाले लोगों को कोरोना वायरस से सबसे कम खतरा)

यूनिवर्सिटी पेनसिल्वेनिया और सीएचओपी में बच्चों को होने वाले कैंसर के चिकित्सा विशेषज्ञ जॉन मैरिस का कहना है, 'कैंसर कई प्रकार से एक वायरस की तरह व्यवहार करता है। इसलिए फैसला किया गया कि बच्चों में कैंसर और उससे जुड़े पहलुओं का पता लगाने के लिए जो उपकरण हमने विकसित किए, उन्हें सार्स-सीओवी-2 के सही प्रोटीन सीक्वेंस का पता लगाने में भी किया जाए ताकि वायरस को (वैक्सीन से) टार्गेट किया जा सके। हम समझते हैं कि हमारा दृष्टिकोण (कोविड-19 की) वैक्सीन बनाने का रास्ता दिखाता है, जो न सिर्फ प्रभावी और सुरक्षित हो, बल्कि बड़े पैमाने पर बनाई भी जा सके।'

(और पढ़ें - रेमडेसिवियर ने बंदरों में कोरोना वायरस फैलने से रोका, जल्दी से जल्दी कोविड-19 का इलाज मानकर इस्तेमाल करने का सुझाव)

रिसर्च से जुड़े शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविड-19 महामारी ने जल्दी से जल्दी एक असरदार और सुरक्षित वैक्सीन बनाने की जरूरत पैदा की है। उन्होंने बताया कि सबसे अच्छी वैक्सीन वह है जो वायरस के खिलाफ शरीर में लंबे समय तक चलने वाला इम्यून रेस्पान्स तैयार करे, जिसके दुष्प्रभाव कम हों और जो स्वप्रतिरक्षा यानी ऑटोइम्यूनिटी पैदा करे। इस अप्रोच को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने सार्स-सीओवी-2 वायरस के कुछ ऐसे विशेष हिस्सों की पहचान की, जो शरीर के इम्यून सिस्टम की सबसे महत्वपूर्ण कोशिका टी-सेल को (संक्रमण के खिलाफ) उत्तेजित कर सकें। ऐसा करने का मकसद यह था कि सक्रिय होने के बाद टी-सेल एक और रोग-प्रतिकारक कोशिका बी-सेल के साथ मिलकर एक मजबूत और स्थायी इम्यून सिस्टम पैदा करे।

(और पढ़ें - कोविड-19: प्रतिष्ठित हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोध में नए कोरोना वायरस के अगस्त 2019 में फैलने के संकेत मिले, चीन ने कहा- यह बेतुका है)

जानी-मानी बायोमेडिकल पत्रिका 'सेल रिपोर्ट्स मेडिसिन' में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने कोई 65 वैक्सीन पेप्टाइड (प्रोटीन के अंश) की सूची तैयार की है। इन सीक्वेंस को लेकर शोधकर्ताओं का कहना है कि इन्हें टार्गेट करके बड़ी संख्या में लोगों में कोविड-19 के खिलाफ इम्यूनिटी पैदा करने की काफी संभावना है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इन प्रोटीन सीक्वेंस की पहचान करने के बाद अब उनका इरादा करीब एक दर्जन सीक्वेंस कॉम्बिनेशन को जानवरों पर आजमाने का है ताकि वैक्सीन के प्रयोग करने पर इनकी सुरक्षा और प्रभाव का पता लगाया जा सके। 


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 की वैक्सीन के लिए वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के कुछ विशेष हिस्सों की पहचान की, जानें क्या है इसका महत्व है

ऐप पर पढ़ें