एक हालिया अध्ययन में एक महिला के एयरप्लेन के टॉयलेट में कोरोना वायरस से संक्रमित होने का दावा किया है। हाल के दिनों में ऐसी कई रिपोर्टें आई हैं, जिनमें बताया गया है कि कैसे चीन के खाली मकानों में कोरोना वायरस मिलने की पुष्टि हुई है। इस आधार पर इन रिपोर्टों में अनुमान जताया गया है कि नया कोरोना वायरस टॉयलेट के जरिये भी हवा में फैलता है। बता दें कि इस तरह का दावा करने वाले अध्ययन पहले भी सामने आते रहे हैं। इसी सिलसिले में एक नए अध्ययन में मिले साक्ष्यों के आधार पर वैज्ञानिकों ने कहा है कि उन्हें नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के टॉयलेट के जरिये फैलने के सबूत मिले हैं।
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खबर के मुताबिक, यह अध्ययन मेडिकल पत्रिका 'इमर्जिंग इनफेक्शियस डिसीजिज' में प्रकाशित हो चुका है। इसमें बताया गया है कि कैसे इटली के मिलान शहर से दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल गई एक इवैकुएशन फ्लाइट के टॉयलेट में कोरोना वायरस के ट्रांसमिशन के साक्ष्य पाए गए हैं। स्टडी की मानें तो विमान में जाने से पहले उसमें सवार होने वाले 300 यात्रियों की जांच की गई थी। मेडिकल स्टाफ ने विमान के बाहर इन यात्रियों का फिजिकल एग्जामिनेशन, मेडिकल इंटरव्यू और शरीर का तापमान चेक किया था। इस दौरान करीब 11 यात्रियों में कोविड-19 के लक्षण दिखाई दिए थे, जिसके चलते उन्हें विमान में जाने नहीं दिया गया। बाकी यात्रियों को मेडिकल स्टाफ की तरफ से एन95 मास्क मुहैया कराए गए थे। वहीं, विमान के अंदर उनके बीच दो मीटर की दूरी रखी गई थी। उड़ान के दौरान यात्रियों ने केवल खाते समय और टॉयलेट जाते समय ही मास्क उतारा था। बाकी पूरी उड़ान के दौरान उन्होंने मास्क पहने रखा था।
रिपोर्टों के मुताबिक, कोई 11 घंटें की उड़ान के बाद ये यात्री जब दक्षिण कोरिया पहुंचे तो उन्हें दो हफ्तों के क्वारंटीन पीरियड में भेज दिया गया। इन लोगों को दक्षिण कोरियाई सरकार द्वारा तैयार किए गए आइसोलेशन सेंटर में लाया गया था। यहां आरटी-पीसीआर टेस्ट की मदद से उनके दो बार कोरोना वायरस टेस्ट किए गए। पहला टेस्ट आइसोलेशन के पहले ही दिन किया गया, जबकि दूसरा टेस्ट 14वें दिन।
पत्रिका के मुताबिक, पहले दिन छह यात्रियों के टेस्ट पॉजिटिव निकले। इनमें से किसी में भी कोविड-19 के लक्षण नहीं दिख रहे थे। वहीं, क्वारंटीन पीरियड के सातवें दिन एक अन्य यात्री का टेस्ट पॉजिटिव पाया गया। उससे पहले उसका टेस्ट नेगेटिव निकला था। इस महिला यात्री ने फ्लाइट के दौरान एन95 मास्क पहना था, लेकिन बाथरूम जाते वक्त नहीं। विमान में वह असिम्प्टोमैटिक संक्रमितों से काफी दूर बैठी थी। इस पर अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं का कहना है, 'इटली में रहते समय वह कहीं बाहर नहीं गई थी और फ्लाइट पकड़ने से पहले तीन हफ्ते तक घर में ही थी। एयरपोर्ट पहुंचने के लिए भी उसने पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल नहीं किया था। इसलिए इसकी काफी संभावना है कि विमान में किसी असिम्प्टोमैटिक मरीज के अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क में आने पर ही वह संक्रमित हुई थी।' दक्षिण कोरिया में क्वारंटीन के आठवें दिन इस मरीज में खांसी, नाक बहने और बदन दर्द जैसे लक्षण दिखाई दिए। बाद में उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
पिछले अध्ययन बताते हैं कि कोरोना वायरस से होने वाली एक अन्य बीमारी सार्स (सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) और इन्फ्लूएंजा के संक्रमण भी फ्लाइट के दौरान ट्रांसमिट होते हैं। उड़ान के दौरान किसी संक्रमित व्यक्ति की बगल में बैठने से वायरस स्वस्थ मरीज में फैल सकता है। संक्रमण के एयरबोर्न ट्रांसमिशन के नियंत्रण को लेकर इसे एक मुश्किल माना जाता है। आमतौर पर यात्रियों के विमान में चढ़ने और हिलने-डुलने के चलते वायरस ट्रांसमिट हो सकता है। इस मामले में वैज्ञानिकों को यकीन है कि पीड़ित महिला विमान के टॉयलेट में वायरस से संक्रमित हुई थी। चूंकि कोरियाई सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के संक्रमण नियंत्रण संबंधी नियम काफी कड़े हैं, ऐसे में विमान के अंदर केवल टॉयलेट के जरिये ही इन्फेक्शन फैलने की संभावना बचती है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि जरूर महिला से पहले किसी संक्रमित यात्री ने टॉयलेट यूज किया होगा, जिसके बाद महिला के वहां पहुंचने से वायरस उसके शरीर में प्रवेश कर गया।