पिछले साल के अंत के आसपास नए कोरोना वायरस से फैली कोविड-19 महामारी ने जब लोगों को बीमार करना शुरू किया तो उस समय इसके केवल तीन प्रमुख लक्षण सामने आए थे- खांसी, तेज बुखार और सांस लेने में तकलीफ। बाद में यह सूची बढ़ती चली गई। साथ ही यह भी साफ होता गया कि सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस केवल सांस संबंधी समस्यााएं पैदा नहीं करता, बल्कि शरीर के लगभग हर बड़े और महत्वपूर्ण हिस्से पर इसका हमला होता है। इन हिस्सों में फेफड़ों से लेकर हृदय और मस्तिष्क जैसे बेहद अहम मानव अंग शामिल हैं। लेकिन आखिर यह एक वायरस शरीर के इतने हिस्सों पर कैसे हमला कर पा रहा है। एक हालिया अध्ययन में इस सवाल का जवाब देने की कोशिश की गई है।

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फ्रांस स्थित न्यूरोसाइंस सेंटर ऑफ एक्सिलेंस एंड स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने सार्स-सीओवी-2 वायरस की मल्टीपल ऑर्गन्स को डैमेज करने की क्षमता को एनजियोटेनिस-कनवर्टिंग एंजाइम 2 यानी एसीई2 रिसेप्टर से जोड़ा है। बता दें कि नया कोरोना वायरस शरीर की कोशिकाओं में घुसकर उन्हें संक्रमित करने के लिए इसी प्रोटीन रिसेप्टर की मदद लेता है। शोधकर्ताओं ने बताया है कि यह रिसेप्टर शरीर में मौजूद कई प्रकार के अंगों (फेफड़े, हृदय, लिवर, किडनी, रक्त वाहिकाएं, आंतें) की कोशिकाओं में पाया जाता है। चूंकि इसके जरिये वायरस के लिए मानव अंगों में घुसना आसान होता है, इसलिए शरीर के कई अंगों के सार्स-सीओवी-2 से क्षतिग्रस्त होने की रिपोर्टें सामने आती रहती हैं।

अध्ययन में सार्स-सीओवी-2 के शरीर के लगभग हर हिस्से में फैलने की पुष्टि हुई है, यहां तक की आंख में भी। इससे पता चलता है कि हमारा विजुअल सिस्टम भी वायरस को शरीर में घुसने का रास्ता दे सकता है। बता दें कि ऐसा दावा करने वाली अध्ययन रिपोर्टें पहले भी सामने आ चुकी हैं। सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर न्यूरोबॉयोलॉजी नामक मेडिकल पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि मानव शरीर में एसीई2 रिसेप्टर का बहुतायत में पाया जाना सार्स-सीओवी-2 से कई अंगों के डैमेज होने का बड़ा कारण है।

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यह जानने के लिए वैज्ञानिकों ने 85 मानव ऊतकों में मौजूद एसीई2 रिसेप्टर की मौजूदगी का अध्ययन किया। ये ऊतक रेस्पिरेटरी, डाइजेस्टिव, रीप्रॉडक्टिव और रेनल (गुर्दा संबंधी) सिस्टम से जुड़े अंगो से लिए गए थे। इसके अलावा आंखों और दिमाग के 21 अलग-अलग हिस्सों से भी टिशू सैंपल लिए गए थे। स्टडी के दौरान वैज्ञानिकों को पता चला कि उपरोक्त दिए गए अंगों के अलावा मस्तिष्क के आसपास के कुछ अन्य अंगों (जैसे सेरेब्रल कॉर्टेक्स, ब्रेनस्टेम आदि) में भी एसीई2 रिसेप्टर काफी मात्रा में मौजूद रहता है।

टीम का मानना है कि इस अध्ययन से पता चल सकता है कि आखिर क्यों सांस लेने में दिक्कत पैदा होना, कोविड-19 के सबसे प्रमुख लक्षणों में से एक है। उन्होंने कहा कि दरअसल श्वसन प्रणाली से जुड़े दो जरूरी अंगों पोन्स और मेडुला ऑब्लांगेटा में एसीई2 रिसेप्टर भारी मात्रा में मौजूद रहता है। इस कारण कोरोना संक्रमण के प्रभाव में पीड़ितों को सांस की तकलीफ सबसे ज्यादा होती है। इस बारे में शोधकर्ताओं ने अपने शोधपत्र में लिखा है, 'एसीई2 का सबसे ज्यादा स्तर पोन्स और मेडुला में पाया गया है, जोकि ब्रेनस्टेम का हिस्सा हैं। इनमें दिमाग के मेडुलरी रेस्पिरेटरी सेंटर होते हैं। इससे पता चल सकता है कि क्यों कोविड-19 के मरीज सिवियर रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस का शिकार होते हैं।'

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शोधकर्ताओं को आंख में भी एसीई2 की गतिविधि का पता चला है। इससे उन्होंने अनुमान लगाया है कि वायरस ड्रॉपलेट या एयरोसोल के रूप में भी आंख के जरिये शरीर में फैल सकता है। उन्होंने आंख को वायरस के लिए एंट्री पॉइंट माना है। ऐसे में आईग्लास, फेस शील्ड और गॉगल्स को भी फेस मास्क की तरह महत्वपूर्ण बताया गया है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: एकसाथ कई मानव अंगों को कैसे क्षतिग्रस्त कर रहा कोरोना वायरस, इस अध्ययन में सामने आई वजह है

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