एसीई2 रिसेप्टर्स वास्तव में हमारे शरीर में हार्मोन प्रणाली का एक हिस्सा है जो ब्लड प्रेशर, तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को कंट्रोल करता है। इस प्रणाली को आरएएस (रेनिन-एंजियोटेनसिन प्रणाली) कहा जाता है।
इस प्रणाली में तीन हार्मोन होते हैं - रेनिन, एन्जियोटेंसिन और ऐल्डोस्टेरॉन- जो एन्जाइम की तरह काम करते हैं और शरीर में 3 अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं देते हैं।
हार्मोन एक रासायनिक यौगिक है जो विशेष ग्रंथि द्वारा सीधे खून में रिलीज होता है। इस ग्रंथि को एंडोक्राइन (अंत: स्रावी) ग्रंथि कहा जाता है। हार्मोंस शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में संदेशों का प्रसार करते हैं और शरीर में विभिन्न प्रतिक्रियाओं को नियमित करने में मदद करते हैं। हार्मोन का एक उदाहरण इन्सुलिन है जो अग्नाशय द्वारा रिलीज होता है और लिवर द्वारा शुगर के उत्थान को बढ़ावा देता है।
दूसरी तरफ, एंजाइम ऐसे यौगिक हैं जो शरीर में सभी जैविक प्रतिक्रियों को गति देते हैं। पेप्सिन एक एंजाइम है जो पेट में रिलीज होता है। यह खाने में मौजूद प्रोटीन को तोड़ने में मदद करता है।
आरएएस प्रणाली में फेफड़े, किडनी, लिवर, मस्तिष्क और परिसंचरण तंत्र जैसे कई अंग शामिल हैं।
आरएएस प्रणाली का कार्य : शरीर का ब्लड प्रेशर कम होने पर किडनी की विशेष कोशिकाएं खून में रेनिन हार्मोन रिलीज करती हैं। यह रेनिन एन्जियोटेंसिनोजेन नाम के प्रोटीन को तोड़कर एन्जियोटेंसिन-1 में बदलती है। एन्जियोटेंसिनोजेन को लिवर रिलीज करता है और यह लगातार रक्त में मौजूद रहता है।
एन्जियोटेनसिन-1 एक निष्क्रिय प्रोटीन है, जिसे सक्रिय होने के लिए एन्जियोटेंसिन-2 में बदलना होता है। यह बदलाव एन्जियोटेंसिन-कन्वर्टिंग एन्जाइम (एसीई) द्वारा किया जाता है। यह एंजाइम हमारे फेफड़ों और किडनी की रक्त वाहिकाओं में प्रचूर मात्रा में मौजूद होता है।
इसके बाद एसीई फेफड़ों और किडनी की रक्त वाहिकाओं की सतह पर मौजूद एसीई रिसेप्टर्स को बांधता है और रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर देता है। इससे ब्लड प्रेशर में वृद्धि होती है और अगर आपका ब्लड प्रेशर पहले से ही कम है तो यह अब संतुलित हो जाता है। एसीई2 भी किडनी से एल्डोस्टेरोन नामक एक हार्मोन को रिलीज करता है, जो किडनी फंक्शन को सुधारता है और शरीर में सोडियम-पोटैशियम (इलेक्ट्रोलाइट) को संतुलित रखता है।
इसी वजह से हाई ब्लड प्रेशर और लंबे समय से किडनी संबंधी बीमारी से पीड़ित मरीज को एसीई रिसेप्टर ब्लॉकर्स या एसीई अवरोधक दिया जाता है।
कोशिका की सतह पर मौजूद रिसेप्टर्स एक खास तरह के अणु (आमतौर पर प्रोटीन) होते हैं जो सतह पर मौजूद होते हैं या शरीर की सभी कोशिकाओं के माध्यम से सतह (एक सुरंग की तरह) पर मौजूद होते हैं। ये रिसेप्टर्स बाहर से किसी चीज जैसे- एन्जाइम या हार्मोन को शरीर के अंदर प्रवेश करने और अपना काम करने में मदद करते हैं।
एंजियोटेंसिन-कंवर्टिंग एंजाइम 2
एसीई2 की संरचना बिलकुल एसीई जैसी है। हालांकि, यह एसीई के विपरीत कार्य करता है यानी यह रक्तचाप को कम करता है।
एसीई2 सक्रिय एंजियोटेंसिन 2 को एंजियोटेंसिन (1-7) में बदल देता है, जो रक्त वाहिकाओं का विस्तार करता है। एसीई2 शरीर में फाइब्रोसिस और हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद करता है।
एसीई2 के लिए रिसेप्टर्स फेफड़े, लिवर, मुंह और नाक के बलगम, पेट, आंत, किडनी और मस्तिष्क में पाए जाते हैं।