कोविड-19 बीमारी के वायरल इन्फेक्शन के चलते जिन मरीजों को आईसीयू में भर्ती होना पड़ा है, उनमें कार्डियक अरेस्ट या हृदय गति से जुड़ी अन्य समस्याएं पैदा होने की संभावना दस गुना बढ़ जाती है। एक हालिया शोध में यह जानकारी सामने आई है। अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ पिनसिल्वेनिया के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि आईसीयू में भर्ती होने वाले कोविड-19 के गंभीर श्रेणी वाले कुछ मरीजों को कार्डियक अरेस्ट और दिल की धड़कन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 के गंभीर होने के चलते मरीजों को होने वाली यह एकमात्र समस्या भी नहीं है।
हृदय रोग से जुड़े विषयों पर रिपोर्टें प्रकाशित करने वाली पत्रिका 'हर्ट रिदम जर्नल' के मुताबिक, इस हालिया अध्ययन के परिणाम पिछले शोधों में सामने आई जानकारियों से थोड़े अलग दिखते हैं। उन शोधों में कहा गया था कि कोविड-19 के गंभीर मरीजों में एरिथमिया के मामले काफी ज्यादा देखने को मिले हैं।
पत्रिका में छपी रिपोर्ट की मानें तो नए शोध से इस संबंध में ज्यादा स्पष्ट जानकारी मिलती है कि आखिर नया कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 शरीर के साथ क्या करता है और इससे होने वाली बीमारी कोविड-19 के और क्या परिणाम हो सकते हैं। शोध के सदस्य और पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के सदस्य व लेखक रजत देव का कहना है, 'हमारे लिए यह समझना मुश्किल है कि यह बीमारी अलग-अलग अंगों को किस तरह प्रभावित करती है और शरीर में किस तरह फैलती है। इसमें हृदय की गति में आने वाली समस्याएं भी शामिल हैं।'
शोध के परिणामों को लेकर रजत देव कहते हैं, 'हमें पता चला है कि वायरल इन्फेक्शन से ज्यादा गैर-हृदय संबंधी कारण, जैसे सिस्टमैटिक इन्फेक्शन, सूजन और अन्य बीमारी, (कोविड-19 होने पर) कार्डियक अरेस्ट और एरिथमिया होने की संभावना ज्यादा बढ़ाते हैं।'
वहीं, इससे पहले के अध्ययनों में बताया गया है कि कार्डियक एरिथमिया के बढ़ते मामलों का कोविड-19 से संबंध है, खासतौर पर गंभीर मरीजों से जुड़े मामलों में। इसकी बड़ी वजह यह बताई गई कि आईसीयू में भर्ती कोरोना वायरस के 44 प्रतिशत मरीजों की हार्टबीट में परेशानी देखने को मिली थी। शोधकर्ताओं के मुताबिक, ऐसा तब होता है जब हृदय गति के साथ कोऑर्डिनेट करने वाली इलेक्ट्रिकल इम्पल्सेज ठीक से काम नहीं करतीं। इसके चलते दिल अनियमित रूप से बहुत तेजी या धीमी गति से धड़कने लगता है अगर इस समस्या पर ध्यान न दिया जाए या इसका इलाज न मिले तो मरीज की हालत गंभीर हो सकती है और वह स्ट्रोक या कार्डियक अरेस्ट का भी शिकार हो सकता है।
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बहरहाल, ताजा अध्ययन के तहत शोधकर्ताओं ने अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कोई 700 कोविड-19 मरीजों का विश्लेषण किया। इनमें 11 प्रतिशत मरीज ऐसे थे, जिन्हें आईसीयू में भर्ती करना पड़ा था। इन मरीजों की औसत आयु 50 वर्ष थी। विश्लेषण के दौरान पता चला कि इन 700 मरीजों में से 53 को एरिथमिया की समस्या हुई थी। इनमें से नौ को कार्डियक अरेस्ट आया था। 25 मरीजों को एट्रियल फिब्रिलेशन की दिक्कत का सामना करना पड़ा था। नौ अन्य मरीज ऐसे थे जिनके हृदय की गति धीमी हो गई थी और दस मरीजों की दिल की धड़कन तेज हो गई थी, जो 30 सेकंड के लिए अपनेआप रुक जाती थी। हालांकि शोध की अपनी सीमाओं को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस संबंध में अभी और अध्ययन किया जाना चाहिए।