कोविड-19 बीमारी के इलाज की खोज की दौड़ में सबसे आगे दिख रही दवाओं में से एक रेमडेसिवियर चर्चा का विषय बनी हुई है। अध्ययनों के हवाले से मेडिकल विशेषज्ञ इस दवा को लेकर अलग-अलग दावे कर रहे हैं। कोई कह रहा है कि रेमडेसिवियर कोरोना वायरस के संक्रमण को रोक सकती है तो किसी का कहना है कि इस दवा से कोविड-19 के मरीजों को कोई फायदा नहीं मिलता है। इस सिलसिले में एक नई राय और एक नया शोध सामने आया है।
रेमडेसिवियर ड्रग के सकारात्मक पहलुओं की बात करें तो कुछ रिपोर्टों से पता चलता है कि इसके प्रयोग से कोविड-19 के कुछ मरीजों में सुधार हुआ है। अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, इसी के आधार पर अमेरिका के शीर्ष महामारी विशेषज्ञ एंथनी फॉसी ने कहा है, 'डेटा से पता चलता है कि रेमडेसिवियर ड्रग में वह क्षमता है जिससे कम समय में (बीमारी के खिलाफ) रिकवरी की जा सकती है।'
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दरअसल, हाल में हुए एक नए टेस्ट ट्रायल के दौरान रेमडेसिवियर की क्षमता को परखा गया था। ट्रायल के तहत रोगियों को पांच दिन और 10 दिन के लिए रेमडेसिवियर ड्रग की खुराक दी गई, जिसके बाद कोविड-19 के गंभीर मरीजों के स्वास्थ्य में कथित रूप से सुधार देखा गया। गौरतलब है कि यह परीक्षण इस दवा की निर्माता कंपनी 'गिलीड साइंसेज' की ओर से किया गया था।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस रिसर्च में पता चला कि पांच दिन की छोटी सी अवधि के दौरान रेमडेसिवियर से बेहतर परिमाण नजर आए हैं तो 10 दिन के कोर्स के नतीजे और अच्छे हो सकते हैं। इस दवा के सेवन से मरीजों की सांस लेने की प्रक्रिया में सुधार होने का दावा किया गया है। खबरों की मानें तो दवा के पांच दिन के कोर्स से लगभग 50 प्रतिशत रोगी 10 दिनों में बेहतर महसूस करने लगे तो 10 दिन के उपचार के बाद 11वें दिन स्वास्थ्य में सकारात्मक प्रभाव देखा गया।
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लेकिन जानी-मानी विज्ञान और स्वास्थ्य पत्रिका ‘दि लांसेट’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट चीनी वैज्ञानिकों के शोध के हवाले से बताती है कि उन्हें रेमडेसिवियर के संतोषजनक परिणाम नहीं दिखाई दिए। दवा के असर को देखने के लिए बीती छह फरवरी से लेकर 12 मार्च के बीच 237 मरीजों पर यह अध्ययन किया गया था। लेकिन शोधकर्ताओं ने बताया कि रेमडेसिवियर लेने वाले रोगियों में क्लीनिकल सुधार नहीं पाया गया, जबकि उनके पास प्लेसिबो ड्रग लेने वाले मरीजों की तुलना में ज्यादा समय था।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 237 मरीजों में से 155 को रेमडेसिवियर दी गई थी। इनमें से 102 (66 प्रतिशत) रोगियों में कोई सुधार नहीं हुआ। बजाय उसके उनमें विपरीत या दुष्प्रभाव देखने को मिले। शोध की शुरुआत में 12 प्रतिशत यानी 18 मरीजों में दवा के दुष्प्रभाव देखने को मिले थे। इसके चलते रेमडेसिवियर के प्रयोग को जल्दी रोक दिया गया था। गौरतलब है कि इसी हफ्ते एक अंतरराष्ट्रीय अखबार की रिपोर्ट में भी इस शोध से जुड़ी जानकारी दी गई थी। उसमें कहा गया था कि चीन में रेमडेसिवियर पर हुए प्रयोग के अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं।
उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 के इलाज में रेमडेसिवियर का इस्तेमाल, कहीं 'असरदार' कहीं 'बेअसर' है
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- Anovate Cream - ₹140
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- Molulife 200 Capsule - ₹1399
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- Covihalt 200 Tablet - ₹465
- Ciplenza Tablet - ₹646
- Itolizumab Injection - ₹8220