कोविड-19 महामारी की वजह बने नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 को सामान्य स्वास्थ्य वाले युवा लोगों के लिए जानलेवा नहीं माना जाता है। हालांकि दुनियाभर में ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें पहले से कोई बीमारी नहीं होने के बावजूद युवा लोग न सिर्फ नए कोरोना वायरस से ग्रस्त हुए, बल्कि गंभीर रूप से कोविड-19 बीमारी की चपेट में आए और उनमें से कुछ की मौत भी हुई। इस बारे में जानी-मानी मेडिकल पत्रिका जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (जामा) ने एक शोध प्रकाशित किया है। इसके मुताबिक, सामान्य स्वास्थ्य होने के बाद भी कुछ युवाओं के कोरोना वायरस से गंभीर रूप से बीमार पड़ने की वजह जेनेटिक डिफेक्ट यानी वंशाणुगत कमियां हो सकती है। दूसरे शब्दों में कहें तो प्राथमिक प्रतिरक्षा की कमी या प्राइमरी इम्युनोडेफिशिएंसी स्वस्थ युवाओं के गंभीर कोरोना संक्रमित होने का कारण हो सकती है।

(और पढ़ें - कोविड-19: बड़ी उम्र के बच्चे वयस्कों की तरह ही कोरोना वायरस फैला सकते हैं- अध्ययन)

शोधकर्ताओं का कहना है कि इम्युनोडेफिशिएंसी की स्थिति में शरीर कोविड-19 से लड़ने के लिए जरूरी इंटरफेरॉन नहीं बना पाता। इंटरफेरॉन असल में ऐसे प्रोटीन संकेतक होते हैं, जिन्हें मुख्य कोशिका (होस्ट सेल) वायरस के प्रवेश के बाद शरीर को सिग्नल देने के लिए रिलीज करती है। होस्ल सेल से इन संकेतकों को भेजे जाने के बाद आसपास की कोशिकाएं अपनी एंटी-वायरस सुरक्षा को बढ़ा लेती हैं। जामा में प्रकाशित शोध में बताया गया है कि शोधकर्ताओं को टाइप 1 और टाइप 2 वाले इंटरफेरॉन के प्रोडक्शन में इम्युनोलॉजिकल डिफेक्ट के साथ एक्स-क्रोमोसोमल टीएलआर7 के काम नहीं करने का पता चला है। टीएलआर7 यानी टोल-लाइक रिसेप्टर 7 एक प्रकार का प्रोटीन है, जिसे टीएलआर7 नाम का वंशाणु पैदा विकसित करता है। टीएलआर7 रोगाणुओं की पहचान कर इम्यूनिटी को सक्रिय करने में अहम भूमिका निभाता है। कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार पड़े दो अलग-अलग परिवारों के अध्ययन में शोधकर्ताओं को इस तथ्य का पता चला है कि उनके चार युवा सदस्य भी कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित हुए थे। इसकी वजह टीएलआर7 के सही ढंग से काम नहीं करने (लॉस ऑफ फंक्शन) को बताया गया है।

(और पढ़ें - कोविड-19: पालतू जानवरों में नए कोरोना वायरस को खत्म करने वाले एंटीबॉडी मिले, इटली में हुए अध्ययन से रिवर्स ट्रांसमिशन के दावे को मिला समर्थन)

पत्रिका के मुताबिक, दोनों परिवारों के मरीजों को आईसीयू में वेंटिलेटर पर लिटाने की जरूरत पड़ी थी। उनमें से एक की मौत भी हो गई थी। वहीं, अध्ययन पढ़ने वाले कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह छोटे सैंपल पर आधारित है, लिहाजा इसकी अपनी सीमाएं हैं। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए अभी और अध्ययन करने की आवश्यकता है कि युवाओं के कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार होने के पीछे की वजह वंशाणुओं का महत्वपूर्ण प्रोटीन बनाना बंद कर देना है। बहरहाल, जामा में प्रकाशित रिपोर्ट की आगे और पुष्टि की जाती है तो यह पूरी दुनिया के साथ भारत के लिए भी काफी महत्वपूर्ण होगा। गौरतलब है कि यहां 60 साल से कम उम्र के कई लोगों की कोविड-19 से मौत हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण से हुई 43 प्रतिशत मौतें 30 से 44 और 45 से 59 साल के बीच के मरीजों की हुई हैं।

(और पढ़ें - कोविड-19: फ्रांस में ब्रेथलाइजर जैसी मशीन से सेकेंडों में कोरोना वायरस का पता लगाने का दावा, साल के अंत तक होगी पूरी तरह तैयार)


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: प्राइमरी इम्युनोडेफिशिएंसी हो सकती है स्वस्थ युवाओं के कोरोना वायरस से गंभीर रूप से बीमार होने की वजह- वैज्ञानिक है

ऐप पर पढ़ें