देश में कोरोना वायरस के बढ़ते संकट के बीच पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरॉलजी (एनआईवी) ने कोविड-19 की जांच के लिए सात टेस्ट को स्वीकृति दी है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर ने इन टेस्ट की जानकारी दी है। इसमें बताया गया है कि पुणे स्थित एनआईवी ने इन टेस्ट को कोविड-19 की जांच के लिए संतोषजनक माना है। बता दें कि ये सभी एंटीबॉडी-आधारित रैपिड टेस्ट हैं, जिनकी मदद से कम समय में कोरोना वायरस के संदिग्ध व्यक्ति में संक्रमण होने का पता लगाया जा सकता है।
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स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो एंटीबॉडीज या रोग-प्रतिकारक प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा विकसित किए गए वे प्रोटीन हैं जो मनुष्य के शरीर को संक्रमण से लड़ने में सहायता करते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया है कि खून में मौजूद एंटीबॉडी यह पता लगाने में मदद कर सकते हैं कि किसी व्यक्ति में कोविड-19 या अन्य किसी प्रकार का संक्रमण है या नहीं। इसके लिए संदिग्ध व्यक्ति के खून का नमूना लिया जाता और कुछ मिनटों बाद परिणाम का पता चल जाता है।
देश में कोरोना वायरस तेजी से फैलता दिख रहा है। ऐसे में एंटीबॉडी रैपिड टेस्ट की काफी आवश्यकता महसूस की जा रही है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने इस सिलसिले में कई लैब खोली हैं। साथ ही, निजी लैबों को भी एंटीबॉडी रैपिड टेस्ट करने की अनुमति दी जा रही है। इसी को लेकर एनआईवी ने सात टेस्टों को मान्यता दी है। ये सातों टेस्ट इस प्रकार हैं-
- सार्स-सीओवी-2 एंटीबॉडी टेस्ट (लेट्रल फ्लो मेथड)
- सीओवीआईडी-19 आईजीएम/आईजीजी रैपिड टेस्ट
- सीओवीआईडी-19 आईजीएम/आईजीजी एंटीबॉडी रैपिड टेस्ट
- न्यू कोरोनावायरस (सीओवीआईडी-19) आईजीएम/आईजीएल रैपिड टेस्ट
- सीओवीआईडी-19 आईजीएम/आईजीजी एंटीबॉडी डिटेक्शन कार्ड टेस्ट
- मेकश्योर सीओवीआईडी-19 रैपिड टेस्ट
- वाईएचएलओ सार्स-सीओवी-2 आईजीएम और आईजीजी डिटेक्शन किट (अतिरिक्त उपकरण आवश्यक)
एंटीबॉडी रैपिड टेस्ट क्या है?
शरीर में रोग-प्रतिकारकों का पता लगाने के लिए किया जाने वाला टेस्ट, एंटीबॉडी टेस्ट कहलाता है। इसके लिए व्यक्ति के खून की एक-दो बूंद की जरूरत होती है, जिसे उंगली के जरिए लिया जाता है। इस टेस्ट से यह पता चल जाता है कि हमारे इम्युन सिस्टम ने संक्रमण के प्रभाव को कम करने के लिए एंटीबॉडीज बनाए हैं या नहीं। अगर जांच में नतीजा सकारात्मक होता है तो संक्रमित व्यक्ति को आइसोलेशन में रहने या फिर अस्पताल भर्ती किया जाता है।