शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के मरीजों के खून में ऐसे प्रोटीनों की पहचान की है, जिनका संबंध इस बीमारी के गंभीर होने से जुड़ा है। कहा जा रहा है कि इस खोज से कोविड-19 की गंभीरता का पता लगाने में मदद मिल सकती है। 'सेल सिस्टम्स' नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, कोविड-19 के मरीजों के खून में मौजूद प्लाज्मा के जरिये बीमारी के संकेतकों यानी बायोमार्कर से यह पता लगाया जा सकता है कि कोविड-19 के किसी मरीज में कोरोना वायरस के संक्रमण की स्थिति क्या है।

यूनाइटेड किंगडम स्थित फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट के मार्कस रैल्सर के नेतृत्व में हुए इस अध्ययन में विश्लेषण आधारित एक ऐसी अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया, जिससे प्लाज्मा के अलग-अलग घटकों (कॉम्पोनेंट) में प्रोटीनों का स्तर सुनिश्चित करने में मदद मिलती है। इसी तकनीक की मदद से शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के 31 मरीजों के खून में कई प्रोटीन बायोमार्कर्स की पहचान कर उनका विश्लेषण किया है। अध्ययन के समय इन मरीजों का इलाज किया जा रहा था और इनमें बीमारी का स्तर अलग-अलग था।

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खबर के मुताबिक, जांच के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि इन 31 मरीजों में से 27 के खून में प्रोटीन की मात्रा बीमारी की गंभीरता पर निर्भर थी। शोधकर्ताओं को इसी तरह के मॉलिक्यूलर संकेत एक अन्य समूह से भी मिले थे, जिनमें 17 कोविड-19 मरीज और 15 स्वस्थ लोग शामिल थे। शोधकर्ताओं ने दोनों के रक्त के विश्लेषण के बाद यह बात कही है। इन संकेतों की मदद से ही वैज्ञानिक समूह में शामिल कोविड-19 मरीजों को कोरोना वायरस के संक्रमण की गंभीरता के लिहाज से वर्गीकृत कर पाए। ऐसा कोविड-19 को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के नियमों को ध्यान में रखते हुए ही किया गया है।

इस अध्ययन में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के साथ शामिल वैज्ञानिकों ने कहा है कि कोरोना वायरस संक्रमण के प्रभाव में कोविड-19 के मरीज अलग-अलग प्रकार की प्रतिक्रियाएं देते हैं। इस बीमारी के किसी मरीज में कोई भी लक्षण नहीं दिखते तो किसी की हालत गंभीर हो जाती है और कोई-कोई मरीज मारा भी जाता है। 

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अब अध्ययन के परिणामों पर रैल्सर का कहना है, 'इससे भविष्य में बीमारी का पूर्वानुमान लगाने में मदद मिल सकती है।' रैल्सर के मुताबिक, शुरुआती ब्लड टेस्ट में ही इलाज करने वाला डॉक्टर यह अनुमान लगा पाएगा कि कोविड-19 के किस मरीज में इसके कितने गंभीर लक्षण सामने आएंगे। इस आधार पर अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे कई जानें बचाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा है, 'डॉक्टरों को जितनी जल्दी यह पता चलेगा कि मरीज को किस स्तर के इलाज की आवश्यकता है, उतनी जल्दी उसका उचित विकल्पों के तहत इलाज संभव होगा।'

कोविड-19 के मरीजों के खून में प्रोटीन मॉलिक्यूलर का पता लगाने का एक और महत्वपूर्ण फायदा यह है कि इससे बीमारी की गंभीरता से जुड़ी सही तस्वीर पता लग सकेगी। यह इस मायने में महत्वपूर्ण है कि कई बार मरीज अपनी समस्या के बारे में सही जानकारी डॉक्टर के सामने नहीं रख पाते। इससे उनका इलाज प्रभावित हो सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, उनके द्वारा अपनाई गई तकनीक मदद से यह समस्या दूर हो सकती है।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें खून में प्रोटीन बायोमार्कर्स का पता लगा कर मरीज में कोविड-19 की गंभीरता का पूर्वानुमान लगाना संभव, जानें वैज्ञानिकों के इस दावे के क्या मायने हैं है

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