कोविड-19 संकट के बीच रविवार को दिल्ली में एक निजी अस्पताल में एक नर्स की कोरोना वायरस से मौत हो गई। इस मामले में पीड़िता के साथ काम करने वाले लोगों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अंग्रेजी अखबार 'दि इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, मृतक नर्स के सहयोगियों का कहना है कि अस्पताल ने उसे इस्तेमाल हो चुके पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्वपमेंट) दोबारा पहनने को मजबूर किया था, यहां तक कि ग्लव्स और मास्क भी बदले नहीं गए थे।
पीड़िता अंबिका पीके दिल्ली स्थित कालरा अस्पताल में नर्स थीं। बीती 24 मई को उन्होंने सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया था। उन्हें बीती 21 मई को यहां भर्ती किया गया था। बताया गया है कि वे दिल्ली में कोरोना वायरस के संक्रमण से मारी गई पहली नर्स हैं।
अंबिका की मौत के बाद अखबार ने उनके स्टाफ के दस लोगों से बातचीत की है। इसके अलावा, उनके बेटे से भी बातचीत की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन सभी का कहना है कि ड्यूटी के दौरान पीपीई दोबारा इस्तेमाल किए जा रहे थे। अस्पताल की एक सीनियर नर्स ने कहा, 'डॉक्टरों को फ्रेश पीपीई दिए गए और नर्सों को कहा गया कि वे (इस्तेमाल हो चुके) पीपीई दोबारा पहनें। हमने इस पर आपत्ति जताई तो कहा गया कि यह विशेष कोविड-19 अस्पताल नहीं है, इसलिए हम पर खतरा कम है, लिहाजा पीपीई दोबारा इस्तेमाल किए जा सकते हैं।'
इस जानकारी के आधार पर जब अस्पताल के मालिक से संपर्क किया गया तो उन्होंने इन आरोपों से इनकार कर दिया। उनका दावा है कि अस्पताल के सभी कर्मचारियों को पर्याप्त पीपीई और हैंड सैनिटाइजर दिए गए हैं। उनके अलावा, अस्पताल की नर्सों की इनचार्ज ने भी पीड़िता के सहयोगियों के आरोपों का खंडन किया है। उनका कहना है कि अस्पताल में पीपीई, ग्लव्स और सैनिटाइजर काफी मात्रा में उपल्बध हैं।
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लेकिन एक अन्य सीनियर नर्स ने कहा कि कोई एक हफ्ता पहले उसने अंबिका को नर्सिंग इनचार्ज के साथ बहस करते देखा था। पीड़िता की 'करीबी' इस नर्स ने बताया कि अंबिका नए पीपीई और मास्क नहीं मिलने को लेकर ही इनचार्स से बहस कर रही थी। अस्पताल के आईसीयू में कार्यरत एक और सीनियर नर्स ने इस बात की पुष्टि की है। इन लोगों का कहना है कि अंबिका ने बीती 18 मई तक काम किया। उसने सुबह की शिफ्ट करने के बाद रात में ड्यूटी करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि उसे अपनी तबीयत खराब लग रही थी। इस बारे में नर्स ने कहा, 'उसे बुखार था। गला खराब था और बदन में दर्द हो रहा था। इसलिए हमने उसे आराम की सलाह दी थी। 19 मई को भी उसकी तबीयत खराब रही और 21 मई को उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी। फिर उसे सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया।' इसके बाद रविवार को अंबिका की मौत हो गई।
उधर, केरल से दिल्ली आए अंबिका के बेटे ने अखबार को बताया, 'कोई एक हफ्ता पहले उन्होंने बताया था कि उन्हें पीपीई दोबारा पहनने को कहा गया था और मास्क के लिए पैसे चार्ज किए जा रहे थे। मैं यह जानकार परेशान हो गया और उनसे घर में ही रहने को कहा, लेकिन उन्होंने मेरी नहीं सुनी। वे काम करती रहीं और अब उनकी मौत हो गई है।' बहरहाल, इस मामले के सामने आने के बाद केरल के पत्तनमतिट्टा के सांसद एंटो एंटनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने अंबिका के बीमा कवर को रिलीज करने का अनुरोध किया है। साथ ही, निजी अस्पतालों पर कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण नहीं देने का आरोप लगाया है। उधर, अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ के कई सदस्यों ने पर्याप्त सुरक्षा उपकरण मिलने तक अस्पताल नहीं जाने का फैसला किया है।