कोविड-19 इंफेक्शन सिर्फ आम लोगों को ही नहीं बल्कि दुनियाभर के मरीजों के इलाज में जुटे स्वास्थ्यकर्मियों को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। इस बेहद संक्रामक बीमारी की वजह से चिकित्सा जगत से जुड़े सैंकड़ों स्वास्थ्यकर्मी अपनी जान भी गंवा चुके हैं। आंकड़ों की मानें तो 8 अप्रैल 2020 तक दुनियाभर के करीब 14 लाख लोग कोविड-19 इंफेक्शन से संक्रमित हो चुके हैं और करीब 82 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में भी अब तक 5 हजार से ज्यादा लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं और 150 लोगों की मौत हो चुकी है।
भारत में भी अब तक 100 से ज्यादा डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ कोविड-19 संक्रमण से पीड़ित हो चुके हैं। इसकी वजह यह है कि इस बेहद गंभीर श्वास संबंधी बीमारी से पीड़ित लोगों का इलाज करने के लिए डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मचारी ही सबसे आगे खड़े रहते हैं। यही वजह है कि इस वैश्विक पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की स्थिति में स्वास्थ्यकर्मियों को भी कोविड-19 संक्रमण होने का गंभीर खतरा है। बावजूद इसके वे अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों का इलाज करने में जुटे हैं।
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स्वास्थ्यकर्मियों को न सिर्फ वायरस से संक्रमित होने का खतरा है, बल्कि वे दिन-रात एक कर लगातार कई-कई घंटों तक काम कर रहे हैं जिस वजह से उन्हें हद से ज्यादा थकान (fatigue) होती है, इतने सारे बीमार मरीजों को देखकर साइकोलॉजिकल स्ट्रेस होता है और कई बार तो मरीजों के परिजन डॉक्टरों के साथ शारीरिक दुर्व्यवहार भी करने लगते हैं।
स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मचारियों को न सिर्फ खुद इंफेक्शन होने का खतरा रहता है बल्कि अस्पतालों में स्थानीय स्तर पर बीमारी का प्रकोप फैलने का भी खतरा रहता है। कुछ ऐसा ही पिछले दिनों मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल में हुआ जहां अस्पताल की 26 नर्स और 3 डॉक्टर्स कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए जिसके बाद पूरे अस्पताल को बंद करके अस्पताल के अंदर ही सभी लोगों को क्वारंटाइन किया गया। लिहाजा बेहद जरूरी है कि स्वास्थ्यकर्मी खुद को इस इंफेक्शन से बचाकर रखें। इस आर्टिकल में हम आपको विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO द्वारा जारी किए विभिन्न दिशा-निर्देशों के बारे में बता रहे हैं जिसकी मदद से स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना वायरस इंफेक्शन से सुरक्षित रखने में मदद मिल सकती है।
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