कोविड-19 में आमतौर पर बुखार, खांसी और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं और यह बीमारी शरीर में एक साथ कई अंग प्रणालियों को प्रभावित करती है। इस बीमारी के बारे में अब तक जितने भी शोध हुए हैं उनसे पता चलता है कि कोरोना वायरस बीमारी के लगभग आधे मरीजों में कोविड-19 के न्यूरोलॉजिकल यानी तंत्रिका तंत्र संबंधी लक्षण देखने को मिलते हैं जिनमें भ्रम, उन्माद या बेहोशी, सिरदर्द और चक्कर आना शामिल है। एक अन्य न्यूरोलॉजिकल लक्षण- सूंघने की क्षमता का अचानक नुकसान- कोविड-19 संक्रमण के सबसे मजबूत संकेत में से एक माना जाता है जब यह स्थिति फ्लू जैसे लक्षणों के साथ देखने को मिलती है।
कोविड-19 से जुड़े कुछ न्यूरोलॉजिकल लक्षण अस्थायी होते हैं जो संक्रमण के साथ धीरे-धीरे खुद ही ठीक हो जाते हैं। हालांकि साल 2020 की शुरुआत में हुए कोविड-19 के मरीजों के शव परीक्षण रिपोर्ट से पता चलता है कि यह वायरस मस्तिष्कमेरु द्रव (सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड) में भी प्रवेश कर सकता है और इसकी वजह से इन्सेफेलाइटिस (मस्तिष्क में सूजन) और मस्तिष्क को नुकसान होने का बन सकता है। महामारी के शुरुआती दिनों से ही शोधकर्ताओं ने इस बात की चेतावनी दी है कि बीमारी के तीव्र लक्षणों का समाधान हो जाने के बाद भी मरीज में कोविड-19 के संभावित दीर्घकालिक न्यूरोलॉजिकल प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
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पिछले कुछ महीनों में, मरीजों ने तंत्रिका और मस्तिष्क संबंधी सुस्त बनाने वाले लक्षणों जैसे- ब्रेन फॉग से लेकर डिप्रेशन और सूंघने की क्षमता के लगातार नुकसान होने की सूचना दी। हालांकि, विशेषज्ञों का सुझाव है कि मस्तिष्क पर कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभावों के पूर्ण दायरे को समझने के लिए अभी भी अधोमुखी या लंबवत अध्ययन करने की आवश्यकता है। मस्तिष्क पर कोविड-19 के संभावित दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में अब तक हमारे पास जो जानकारी मौजूद है वह हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं।