एक शोध में कहा गया है कि 'ओ' ब्लड ग्रुप वाले लोगों पर नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित होने और कोविड-19 का शिकार होने पर अस्पताल में भर्ती होने का कम खतरा है। जेनेटिक टेस्टिंग कंपनी '23एंडमी' ने अपने शोध के हवाले से यह दावा किया है, जो ओ रक्त समूह को लेकर आए दो हालिया शोधों का समर्थन करता है। यहां बता दें कि इस शोध की समीक्षा होना अभी बाकी है और फिलहाल यह किसी मेडिकल पत्रिका में प्रकाशित नहीं हुआ है। 

शोधकर्ताओं के मुताबिक, साढ़े सात लाख से ज्यादा प्रतिभागियों को शामिल कर किए गए इस शोध के शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि टाइप ओ ब्लड वाले लोगों के कोविड-19 के टेस्ट में पॉजिटिव आने की संभावना नौ से 18 प्रतिशत ही है। वहीं, जो लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं, उनमें ओ रक्त समूह वाले लोगों के पॉजिटिव निकलने की संभावना 13 से 26 प्रतिशत है।

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कोरोना वायरस के खिलाफ इस ब्लड ग्रुप की क्षमता का पता करने के लिए शोधकर्ताओं ने एक विशेष प्रकार के एबीओ जीन का पता लगाया, जो संभवतः लोगों के कोविड-19 टेस्ट में नेगेटिव आने की वजह हो सकता है। यह जानकारी इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि कोविड-19 के मरीजों में ब्लड क्लॉटिंग और हृदयवाहिनी से जुड़ी बीमारी के लक्षण भी दिखे हैं। 23एंडमी का कहना है, 'हमारा अध्ययन और इसके तहत रिक्रूटमेंट की प्रक्रिया अभी जारी है। हमें आशा है कि हम हमारे शोध का इस्तेमाल यह समझने में इस्तेमाल कर सकते हैं कि लोग कैसे किसी वायरस के खिलाफ अलग-अलग प्रतिक्रिया देते हैं। हम चाहेंगे कि वैज्ञानिक समुदाय तक कोविड-19 से जुड़ी और जानकारी पहुंचाने के लिए हमारे शोध के परिणाम प्रकाशित हों।'

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इस शोध के लिए 23एंडमी ने अलग-अलग तरह से डेटा इकट्ठा किया है। उसने सर्वेक्षण के जरिये सीधे लोगों से संपर्क किया और उनसे जानकारी ली। कंपनी ने लोगों से पूछा कि क्या उनका कभी कोविड-19 टेस्ट हुआ है या वायरस के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है और संक्रमित होने पर उनमें क्या लक्षण दिखे। इसके अलावा, दो अन्य शोधों का डेटा भी इस्तेमाल किया गया था, जिनकी समीक्षा अभी तक नहीं हुई है। इन दोनों शोधों का संबंध भी कोविड-19 और एबीओ जीन से था। एक शोध में बताया गया था कि कैसे चीन में ओ ब्लड ग्रुप वाले लोग कोविड-19 के कम खतरे वाली सूची से जुड़े थे। दूसरे शोध में भी कोलंबिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कुछ इसी तरह के तथ्य का पता लगाया था। वहीं, 23एंडमी के शोधकर्ताओं ने जाना है कि ओ पॉजिटिव और ओ नेगेटिव दोनों ही प्रकार के रक्त समूहों वाले लोगों में कोरोना वायरस से होने वाले प्रभाव में कोई अंतर नहीं होता।

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ओ ब्लड ग्रुप का फायदा
कोविड-19 से पहले शरीर में किसी अन्य संक्रमण (जैसे मलेरिया) की पहचान के लिए ब्लड ग्रुप की जांच की जाती रही है। बताया जाता है कि ब्लड ग्रुप्स ऐसे रिसेप्टर्स की तरह काम कर सकते हैं, जो किसी वायरस, विषैले तत्व या पैरासाइट को शरीर के ऊतकों से बंधने नहीं देते। 23एंडमी के शोधकर्ताओं ने जब आयु, लिंग, नस्ल, बॉडी मास इंडेक्स तथा अन्य परिस्थितियों के हिसाब से ओ रक्त समूह के प्रभावों की जांच की तो पता लगा कि इस ब्लड ग्रुप वाले लोगों में यह विशेषता सबसे अधिक थी। इन वैज्ञानिकों ने कहा है कि उनकी यह खोज कोविड-19 के संबंध में ओ ब्लड ग्रुप को लेकर पहले आए शोधों के परिणामों का समर्थन करती है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: शोधकर्ताओं का दावा, इस विशेष ब्लड ग्रुप वाले लोगों को कोरोना वायरस से सबसे कम खतरा है

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