कोविड-19 ने दुनियाभर में तीन करोड़ 40 लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित किया है। हालांकि इनमें से ढाई करोड़ से ज्यादा लोगों ने इस बीमारी को मात दे दी है। लेकिन इन लोगों में कुछ ऐसे भी हैं, जो कोरोना वायरस के संक्रमण से उबर तो गए हैं, लेकिन उससे पूरी तरह मुक्त नहीं हुए हैं। इस वायरस के लक्षण महीनों से इन लोगों में बने हुए हैं। इसके चलते इन लोगों की जिंदगी अब पहले जैसी नहीं रही है। वे इंतजार कर रहे हैं कि वे कब वाकई में वायरस के प्रभावों से पूरी तरह मुक्त होकर वापस पहले जैसी जिंदगी में लौटेंगे। लेकिन यह इंतजार हर दिन के साथ लंबा होता जा रहा है। कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कई महीनों बाद भी ये लोग अभी भी घरों में कैद हैं और चार दीवारी में सांस लेते हुए हांफते रहते हैं। ये मरीज अब दूसरों को संक्रमण नहीं दे सकते, लेकिन खुद को अभी भी बीमार महसूस करते हैं और अपने घर से थोड़ी दूर भी बमुश्किल चल पाते हैं। हैरानी की बात यह है कि इन लोगों में हर महीने कोई नए लक्षण दिखते हैं, जिसके चलते वे अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं और डॉक्टरों से जवाब मांग रहे हैं कि आखिर उन्हें इस बीमारी से कब निजात मिलेगी।
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अमेरिका के चर्चित अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स (एनवाईटी) ने ऐसे कुछ लोगों के अनुभव प्रकाशित किए हैं। इन लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमति हुए कई महीने बीत चुके हैं और वे अभी भी इसके गंभीर, रहस्यमय और दुर्बल करने वाले लक्षणों से जूझ रहे हैं। एनवाईटी के मुताबिक, ऐसे पीड़ितों की संख्या हजारों में बताई जाती है और उनके लक्षणों को मेडिकल कम्युनिटी बहुत कम जान पाई है। अभी तक की गई जांच-पड़ताल के मुताबिक, इन मरीजों में सीने में दर्द, गहरी थकान और दिल की धड़कन बढ़ने जैसे लक्षण दिखते हैं। हैरानी की बात यह है कि बुजुर्ग और पहले से किसी और बीमारी से ग्रस्त लोगों के अलावा युवा और स्वस्थ लोगों में कोविड-19 के लक्षण महीनों से बने हुए हैं। इनके चलते ऐसे कई पीड़ित काम करने लायक नहीं रह गए हैं और कइयों को कहा गया है कि उनका इलाज अभी और लंबा चलेगा। इन तमाम बातों के अलावा इन लोगों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उन्हें अपनी समस्या के बारे में लोगों को यकीन दिलाना पड़ता है। ऐसे चार लोगों ने अपने अनुभव एनवाईटी से साझा किए हैं।
कार्ला मॉन्टेरेसो (39), लॉस एंजेलिस
संक्रमण: 199 दिन
कोविड-19 से पहले मैं एक वेट लिफ्टर थी, नाव चलाती थी, यात्रा करती थी और राफ्टिंग किया करती थी। अब मैं खुद को तकलीफ दिए बिना शारीरिक रूप से कुछ भी नहीं कर सकती। ऐसा लगता है किसी ने आपकी ऊर्चा आधी कर दी हो और चार्जिंग टाइम दोगुना कर दिया हो। मुझे नहाने तक के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करना पड़ता है। शुरू के कुछ महीनों में अपनेआप पर विश्वास नहीं होता था। इस बारे में कोई पब्लिक हेल्थ कैंपेन नहीं चलाया गया है। मेडिकल कम्युनिटी में भी कोई आपका विश्वास नहीं करता। मेरे कई रिश्तेदार हैं जिनका मानना है कि अगर आप गर्म पानी में नींबू डालकर पिएंगे तो कोविड-19 से ठीक हो जाएंगे। ऐसे भी रिश्तेदार हैं, जिन्हें लगता है कि मैं ज्यादा काम करने की वजह से बीमार हूं। मेरा इस पर कोई नियंत्रण नहीं है। यह एक असहज वास्तविकता है।
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कैंडेस टेलर (38), ऐटलांटा
संक्रमण: 189 दिन
मुझे मार्च से ही चेस्ट पेन हो रहा है। मेरे अंदर आंतरिक थरथराहट विकसित हो गई है। बोलते वक्त दिक्कत होती है। हृदय की धड़कन तेज होने लगती है। शरीर में छोटे ब्लड क्लॉट हो गए हैं। सुनने में परेशानी होती है। मैंने अपनी आवाज भी खो दी है। ऐसे भी दिन आते हैं जो बिना बात किए गुजर जाते हैं। मैं बस यही पूछती रहती हूं कि यह कब बंद होगा। मैं सीधा नहीं लेट सकती थी। ढाई महीने तक मुझे रीक्लाइनर पर सोना पड़ा। एक समय लगा कि क्या मैं जिंदा रहूंगी। मैं काम नहीं कर पा रही हूं। मेरा काम ऐसा ही कि मुझे आठ से 12 घंटें बोलना पड़ता है, जबकि अभी में 15 मिनट भी नहीं बोल सकती। मेरी कंपनी मुझे मई महीने से वेतन नहीं दे रही है। मेरी परेशानी को सच मानने से इनकार कर दिया गया। वे मेरा यकीन नहीं करते और मेरे जैसे हजारों लोग हैं, जिनमें ये लक्षण हैं।
टोनी पिनेरो (57), लॉस वेगस
संक्रमण: 76 दिन
लोग कहते हैं अब तुम्हें कोई कोविड-19 नहीं है, तुम इससे मुक्त हो। लेकिन यह सच नहीं है। मैं अब पोस्ट-कोविड से पीड़ित हूं और यह ज्यादा बुरा है। मुझे अब भी सिरदर्द होता है। मैं भ्रमित महसूस करता हूं। सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि मैं हमेशा हांफता रहता हूं। मेरे लिए सीढ़ियां चढ़ना भी मुश्किल है। मेरा बिजनेस वर्चुअली खत्म हो चुका है। मैं गाड़ी नहीं चला सकता। मेरा डॉक्टर कहता है, 'देखो टोनी, यह (बीमारी) सिर्फ तुम्हारे दिमाग में है।' नहीं, ऐसा नहीं है। यह मेरे दिमाग में नहीं है। मैं यह नहीं चाहता कि यहां बैठा रहूं और सांस भी न ले पाऊं। मैं यहां बैठे रहना और कुछ न करना नहीं चाहता। मैं काम पर जाना चाहता हूं। मुझे मेरी कार का भुगतान करना है। क्रेडिट कार्ड्स का भुगतान करना है। बिल भरने हैं। मैं यहां क्यों बैठना चाहूंगा?
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मैन्युला फेरटॉय (61), मिडलटाउन
संक्रमण: 188 दिन
यह डिप्रेशन में डालने वाला है। मैं अब भी पहले की तरह बीमार हूं। मेरा बुखार अब भी चरम पर रहता है। चेस्ट पेन पहले की तरह बना हुआ है। सांस लेने में दिक्कत होती है। कई दिन बिस्तर से उठे बिना बीत जाते हैं। मई के अंत में मुझे माइनर स्ट्रोक भी आया था। आज भी मेरे चेहरे का दायां हिस्सा सुन्न है। मेरे बाल झड़ने की बात मत करिए। मैं शीशे में देखने की हिम्मत नहीं कर पाती। यह बेहद निराशाजनक है। मैं अपने बाल कलर किया करती थी और सब तरह का मेकअप करती थी। लेकिन अब मैं, मैं नहीं हूं।
लोग जब इस हद तक बुरा महसूस करते हैं, दर्द और अनजान चिंता में रहते हैं तो डॉक्टर के पास जाते हैं, और वह भी कहता है कि उसे कुछ नहीं पता। तब आप भी निराश हो जाते हैं। मैं बस पहले जैसी होना चाहती हूं। जिंदादिल और मजाकिया। मुझे काम करना पसंद है। मेरे सहयोगी कर्मियों से मुझे प्यार है। बच्चों के साथ रहना अच्छा लगता है। समुद्र किनारे जाना, तैरना और टेनिस खेलना भी भाता है। लेकिन मैं कुछ नहीं कर पाती। अपने घर के पिछवाड़े में भी घूम नहीं सकती।