कोविड-19 महामारी के दौरान विटामिन डी अक्सर चर्चा का विषय रहा है। हाल में आए दो नए अध्ययनों से यह ऑर्गैनिक कंपाउंड एक बार फिर बहस का विषय बनता दिख रहा है। एक अध्ययन से जुड़ी खबर के मुताबिक, स्पेन के शोधकर्ताओं ने विटामिन डी के एक प्रकार 'कैल्सिफिडायल' के हाई डोज को अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के मरीजों के लिए लाभदायक बताया है। उनके मुताबिक, कैल्सिफिडायल को उच्च मात्रा में लेने से कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों की आईसीयू में भर्ती होने की मांग में कमी देखी गई है। यह जानकारी ऐसे समय में सामने आई है, जब कोरोना वायरस के संक्रमण के इलाज के लिए एंटी-वायरल और पहले से मौजूद सस्ती दवाओं को तैयार करने की मुहिम में तेजी आई है। फिलहाल दुनियाभर में डेक्सामेथासोन स्टेरॉयड कोविड-19 के सस्ते इलाज के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। अगर विटामिन डी के संबंध में स्पेन के वैज्ञानिकों का दावा बड़े ट्रायल में भी सही साबित हुआ तो दुनियाभर में कोविड-19 के मरीजों को बचाने का एक और किफायती इलाज मिल सकता है।

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साइंस डायरेक्ट पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, स्पेन के एक अस्पताल में भर्ती 76 मरीजों में से 50 का कैल्सिफिडायल की मदद से इलाज किया गया था। इस परीक्षण को अंजाम देने वाले शोधकर्ताओं का दावा है कि इन मरीजों में से केवल एक को आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत पड़ी थी। बाकी सभी 49 मरीजों को बीमारी से जुड़ी जटिलताओं के सामने आए बिना ही डिस्चार्ज कर दिया गया था। वहीं, जिन 26 मरीजों को विटामिन डी का यह विशेष प्रकार बतौर डोज नहीं दिया गया था, उनमें से 13 को आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत पड़ गई। इन 13 मरीजों में से दो की मौत हो गई। 

इस अध्ययन से जुड़े रेना सोफिया यूनिवर्सिटी अस्पताल की डॉ. मार्ता एंत्रेनास कैस्तीलो का कहना है, 'हमारे शुरुआती अध्ययन में यह सामने आया है कि कैल्सिफिडायल या 25-हाईड्रॉक्सिविटामिन डी (जो विटामिन डी से जुड़ा शरीर के एंडोक्राइन सिस्टम का प्रमुख मेटाबोलाइट है) की हाई डोज देने से अस्पताल में भर्ती कोविड-19 मरीजों की आईसीयू में जाने की जरूरत में कमी आई है।' अध्ययन की प्रमुख लेखक के रूप में मार्ता ने बताया कि कैल्सिफिडायल कोविड-19 की तीव्रता को कम करने में कारगर मालूम होती है। हालांकि उनका यह भी कहना है कि इसी तरह के परिणाम हासिल करने के लिए अलग-अलग समूह पर आधारित बड़े ट्रायल करने होंगे ताकि कैल्सिफिडायल के प्रभाव के संबंध में ठोस जानकारी रखी जा सके।

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विटामिन डी की उचित मात्रा वायरस से बचाने में 'मददगार'
कोविड-19 और विटामिन डी के संबंध को स्थापित करती यह पहली स्टडी नहीं है। हाल के समय में ऐसी अन्य अध्ययन रिपोर्टें भी आई हैं, जो बताती हैं कि कोरोना वायरस से बचने के लिए विटामिन डी कितना जरूरी है। इस सिलसिले में एक और अध्ययन इसी महीने सामने आया था। इसमें अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो मेडिसिन के शोधकर्ताओं का कहना था कि शरीर में विटामिन डी की कमी कोरोना वायरस से संक्रमित होने की संभावना को बढ़ा सकती है।

गौरतलब है कि यह पहले भी कहा जाता रहा है कि इम्यून सिस्टम की मजबूती के लिए विटामिन डी की भूमिका अहम होती है। इस से इत्तफाक जाहिर करते हुए अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता डेविड मेल्टजर का कहना था, 'इम्यून सिस्टम के कार्य करने के लिए विटामिन डी जरूरी है। श्वसन मार्ग से जुड़े संक्रमणों का खतरा कम करने में विटामिन डी सप्लिमेंट्स पहले भी काम के साबित होते रहे हैं। हमारा सांख्यिकीय विश्लेषण कहता है कि ऐसा कोविड-19 के मामले में भी हो सकता है।'

अध्ययनकर्ताओं ने शिकागो मेडिसिन अस्पताल के 489 मरीजों को अध्ययन में शामिल करते हुए उनमें विटामिन डी के स्तर का पता लगाया था। इसमें यह जानने की कोशिश की गई कोविड-19 का टेस्ट किए जाने से पहले के एक साल के दौरान उनमें विटामिन डी कितनी मात्रा में मौजूद था। जांच में पाया गया कि जिन मरीजों में विटामिन डी एक विशेष मात्रा से कम था, उनके कोविड-19 टेस्ट में पॉजिटिव आने की आशंका ज्यादा थी या कहें उनके नए कोरोना वायरस से संक्रमित होने का अंदेशा अधिक था। वहीं, जिन मरीजों में विटामिन डी उचित मात्रा के साथ मौजूद था उनके संक्रमित होने की संभावना तुलनात्मक रूप से कम थी। यह महत्वपूर्ण जानकारी बीती तीन सितंबर को जानी-मानी मेडिकल पत्रिका जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित हुई थी।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: विटामिन डी की यह फॉर्म कोरोना वायरस के मरीजों को आईसीयू में जाने से रोक सकती है और इसका किफायती वैकल्पिक इलाज भी बन सकती है है

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