जब मरीज को ऑक्सीजन की कमी होती है, तो ऐसे में अक्सर ऑक्सीजन थेरेपी की मदद से स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है। सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज), अस्थमा, निमोनिया और सिस्टिक फाइब्रोसिस से पीड़ित मरीजों को ऑक्सीजन थेरेपी की जरूरत हो सकती है। मरीज को ऑक्सीजन देने के लिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर या ज्यादातर ऑक्सीजन सिलेंडर का प्रयोग किया जाता है। ऑक्सीजन सिलेंडर एक तरह का टैंक है, जिसमें कंप्रेस्ड ऑक्सीजन होती है। बता दें, आमतौर पर वायुमंडल में मौजूद जो हवा हम खींचते हैं उसमें 21% ऑक्सीजन और 79% नाइट्रोजन होता है। जबकि कंप्रेस्ड ऑक्सीजन गैस 99.5% शुद्ध ऑक्सीजन होती है। इसका उपयोग केवल चिकित्सा उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाता है, बल्कि स्टील के खनन जैसे औद्योगिक मामलों, पर्वतारोहण व डाइविंग के दौरान भी इस्तेमाल किया जाता है।
इनके उपयोग के दौरान सावधानी बरतने की बेहद आवश्यकता होती है, क्योंकि उचित तरीका न अपनाने से यह हानिकारक हो सकता है और इसकी वजह से चोट लग सकती है। यदि सिलेंडर ज्यादा क्षमता वाला है तो उसे एक से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए ट्रॉली या बैकपैक की आवश्यकता हो सकती है। इन्हें उचित तापमान में रखने की जरूरत होती है, इन्हें ज्यादा गर्मी वाले माहौल में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे सिलेंडर के दबाव में उतार-चढ़ाव हो सकता है। चूंकि, यह अत्यधिक ज्वलनशील हो सकते हैं, इसलिए इन्हें सुरक्षित तरीके से रखा जाना चाहिए।
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