कोविड-19 महामारी की शुरुआत से ही पता है कि कोरोना वायरस कुछ विशेष स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े लोगों के लिए बेहद घातक है। मतलब पहले से किसी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी से ग्रसित व्यक्ति के कोरोना से संक्रमित होने की आशंका अधिक है। चूंकि कोरोना वायरस एक श्वसन संबंधी संक्रमण है और फेफड़ों को प्रभावित करता है, इसलिए पहले से फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के वायरस के संपर्क में आने से गंभीर समस्या पैदा हो सकती है। वहीं, इस बीमारी को लेकर वैज्ञानिकों की अलग-अलग रिसर्च में कई नए खुलासे भी हुए हैं, जिसमें से एक यह भी है कि हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) और डायबिटीज के मरीज अगर वायरस के संपर्क में आते हैं तो इन्हें भी ज्यादा स्वास्थ्य नुकसान झेलने पड़ सकते हैं।
अगर खर्राटे लेते हैं तो सावधान!
नए अध्ययन में कोविड-19 पर नई जानकारी मिली है। ताजा रिसर्च में पता चला है कि जो लोग खर्राटे लेते हैं उनको भी कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ज्यादा खतरा है। स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़ी पत्रिका “स्लीप मेडिसिन रिव्यू” में प्रकाशित एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया यानी सोते वक्त खर्राटे लेने वाले लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ज्यादा खतरा है। शोधकर्ताओं का यह अध्ययन यूनाइटेड किंगडम की वारविक यूनिवर्सिटी की रिसर्च पर आधारित है और शोधकर्ताओं ने इस निष्कर्ष के लिए अध्ययन की एक व्यवस्थित समीक्षा की है।
खर्राटे लेने की समस्या कोविड-19 से कैसे जुड़ी है?
यूएस नेशनल स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक स्लीप एपनिया (सोते समय खर्राटे लेना) की समस्या एक प्रकार का स्लीप डिसऑर्डर है, जो कि असामान्य रूप से सांस से जुड़ी परेशानी है। देखा जाए तो स्लीप एपनिया तीन प्रकार के होते हैं -
- ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया या ओएसए- जहां गले के पीछे का वायुमार्ग अवरुद्ध या बंद हो जाता है। इससे सांस लेने में अस्थायी रूप से परेशानी होने लगती है और खर्राटे आने लगते हैं।
- सेंट्रल स्लीप एपनिया या सीएसए - यह सांस में शामिल मांसपेशियों को नियंत्रित करने के लिए मस्तिष्क की प्रणाली से जुड़ी एक समस्या है, जिससे धीमी और उथली सांस आती है।
- स्लीप एपनिया की स्थिति में ऐसी जटिलताएं भी पैदा होती हैं, जहां एक मरीज ओएसए और सीएसए दोनों से पीड़ित होता है।
स्लीप मेडिसिन रिव्यू के अध्ययन से पता चलता है कि न केवल ओएसए की समस्या अधिक लोगों को होती है बल्कि इससे नींद के दौरान वायुमार्ग के आंशिक या पूर्ण रुकावट के कारण नींद भी खराब होती है। साथ ही खून में ऑक्सीजन के उतार-चढ़ाव और कामोत्तेजना यानी सेक्स करने की इच्छा में भी कमी आती है। आपको जानकार हैरानी होगी कि ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) कई अन्य बीमारियों के प्रसार से भी जुड़ा है। जैसे उच्च रक्तचाप 39 प्रतिशत, मोटापा 34 प्रतिशत, डिप्रेशन (अवसाद) 19 प्रतिशत, गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी) 18 प्रतिशत, डायबिटीज (मधुमेह) 15 प्रतिशत, हाई कोलेस्ट्रॉल 10 प्रतिशत और अस्थमा 4 प्रतिशत है। यहां आपको बता दें कि इन में से कई बीमारियां सेंट्रल स्लीप एपनिया के रोगी को हो सकती हैं जो कि बाद में कोरोना वायरस से संक्रमित होने का कारण बनती हैं।
OSA रोगियों के लिए कोविड-19 का जोखिम कितना?
ओएसए और कोविड-19 के बीच संबंध को समझने के लिए, शोधकर्ताओं ने जून 2020 तक प्रकाशित 18 अध्ययनों को देखा, जिनमें स्लीप एपनिया और कोविड-19 दोनों का उल्लेख किया गया था। इनमें से केवल आठ मामले मुख्य रूप से कोविड-19 से होने वाली मृत्यु दर के जोखिम से संबंधित थे और दस डायग्नोसिस, उपचार और प्रबंधन से संबंधित थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि ओएसए के विभिन्न जैव रासायनिक और उत्तेजित करने वाले कारक कोविड-19 के साथ भी जुड़े हुए हैं।
सोते समय सांस लेने में तकलीफ यदि ओएसए के साथ है तो यह मोटापे और हाइपोक्सिमिया (खून में ऑक्सीजन की कमी) से जुड़ी होती है। इसमें सूजन भी कारण हो सकती है। अगर ओएसए का रोगी कोरोना वायरस से संक्रमित होता है तो इसमें हाइपोक्सिमिया और साइटोकिन स्टॉर्म का खतरा हो सकता है। इससे मरीज की हालत न सिर्फ और ज्यादा बिगड़ सकती है, बल्कि कई अंग काम करना बंद (मल्टीपल ऑर्गन फेलियर) कर सकते हैं।
कुछ अध्ययनों से पता चला है कि मेलाटोनिन के साथ विटामिन डी के स्तर में वृद्धि होना कोविड-19 के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है। स्लीप मेडिसिन के रिव्यू में बताया गया है कि ओएसए मरीजों में मेलाटोनिन रेगुलेशन बिगड़ जाता है और उनमें विटामिन डी की भी कमी होती है। यदि कोविड-19 के मरीजों का मेलाटोनिन और विटामिन डी का टेस्ट किया जाए और उन्हें इसके लिए सप्लीमेंट दिए जाएं तो फायदा हो सकता है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि दुनियाभर में मरीजों को उचित सहायता उपलब्ध कराने के लिए कोविड-19 और ओएसए के बीच के संबंध जानने के लिए अभी और रिसर्च की जरूरत है।