विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना वायरस के संक्रमण से उबर चुके लोगों को लेकर बड़ा बयान दिया है। इसमें उसने कहा है कि फिलहाल इस बात के सबूत नहीं है कि इस वायरस से होने वाली बीमारी कोविड-19 से रिकवर हो चुके लोग दूसरी बार फैलने वाले संक्रमण से सुरक्षित हैं। डब्ल्यूएचओ ने यह बात ऐसे समय में कही है, जब कई लोगों के कोविड-19 से उबरने के बाद कुछ देशों की सरकारें लॉकडाउन से राहत देने और अलग-अलग प्रकार की सेवाओं और सुविधाओं की बहाली की बात कर रही हैं।

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खबर के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि संक्रमण से ठीक हुए जिन लोगों के शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज पैदा हो गए हैं, उनमें से कुछ में इन रोग-प्रतिकारकों की क्षमता का स्तर काफी कम है, यानी उनके दोबारा संक्रमित होने की संभावना बनी हुई है। वहीं, चीन और दक्षिण कोरिया में ऐसे मामलों की पुष्टि भी हो चुकी है।

चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, इसे लेकर संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने कहा, '24 अप्रैल, 2020 तक ऐसा कोई अध्ययन सामने नहीं आया है, जो बताता हो कि सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ (शरीर में) मौजूद एंटीबॉडीज इस वायरस के आगामी संक्रमण (या दूसरी लहर) के खिलाफ भी सुरक्षा प्रदान करते हैं।'

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डब्ल्यूएचओ ने उन देशों को लेकर भी बयान दिया, जो एंटीबॉडीज के आधार पर कुछ लोगों को 'इम्युनिटी पासपोर्ट' या 'रिस्क-फ्री सर्टिफिकेट' देने की बात कर रहे हैं। उसने कहा कि ऐसा करके दूसरे देशों के लोगों को अपने देश में आने की अनुमति देना खतरा मोल लेना है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इससे वायरस के ट्रांसमिशन का खतरा लगातार बना रहेगा। उसने कहा कि संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडीज की सुरक्षा से जुड़ी सत्यता और निर्भरता को लेकर अभी आगे और प्रमाण जुटाने की जरूरत है।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: डबल्यूएचओ ने कहा, 'इसके सबूत नहीं कि ठीक हो चुके मरीजों के एंटीबॉडीज कोरोना वायरस के दूसरे संक्रमण को रोक लेंगे' है

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