अमेरिका की शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने कोविड-19 के रीइन्फेक्शन को लेकर बड़ा बयान दिया है। करीब 15 अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय अध्ययनों के परिणामों के आधार पर उसने कहा है कि अमेरिका में कोरोना वायरस को मात देने वाले मरीजों में कोई भी रिकवरी के तीन महीनों के अंदर फिर से इस वायरस के संक्रमण (रीइन्फेक्शन) की चपेट में नहीं आया है। हालांकि सीडीसी ने यह जरूर कहा है कि रिकवर हुए मरीजों में वायरस कम मात्रा में बना रहता है और यह मौजूदगी कोविड-19 की पहचान किए जाने के बाद से तीन महीनों तक कायम रह सकती है। सीडीसी ने कहा कि इसी के चलते टेस्ट में वायरस डिटेक्ट हो सकता है।

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सीडीसी के मुताबिक, यही कारण है कि रिकवर होने के बाद तीन महीनों के अंदर फिर से टेस्ट करने पर लोग दोबारा पॉजिटिव निकल रहे हैं। हालांकि उसने साफ किया है कि शरीर में वायरस होने के बावजूद ये रिकवर मरीज अन्य लोगों को वायरस ट्रांसमिट नहीं करते। शीर्ष अमेरिकी हेल्थ एजेंसी ने बीते सप्ताहांत बकायदा नई गाइडलाइन जारी करते हुए यह बात कही है। गौरतलब है कि कुछ इसी तरह की जानकारी करीब तीन-चार महीने पहले दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों ने भी दी थी। वहां कोविड-19 के रीइन्फेक्शन के 50 से ज्यादा मामलों की पुष्टि के बाद वैज्ञानिकों ने कहा था कि वायरस के पार्टिकल काफी दिनों तक शरीर में बने रहते हैं, लेकिन वे इतने सक्षम नहीं होते कि दूसरों को संक्रमित कर सकें।

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मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, अमेरिका के स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाले सीडीसी ने अपनी गाइडलाइन में कहा है, 'अभी तक किसी भी रिकवर पेशंट में सार्स-सीओवी-2 के रीइन्फेक्शन की स्पष्ट पुष्टि नहीं हुई है। चूंकि अभी तक ऐसा कोई मामला जानने में नहीं आया है, इसलिए यह अभी जांच का विषय है।' हालांकि, गाइडलाइन में सीडीसी ने यह नहीं का कि कोविड-19 के संक्रमण से रिकवर होने वाले मरीज तीन महीनों के लिए इम्यूनिटी भी डेवलेप कर लेते हैं। उसने केवल इतना कहा है कि इस अवधि के दौरान फिर से संक्रमति होने का कोई मामला सामने नहीं आया, लिहाजा इस दौरान ऐसे मरीजों का रीटेस्ट 'गैरजरूरी' है।

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गाइडलाइन में सीडीसी ने यह भी कहा है कि अगर रिकवर होने के बाद मरीज फिर से रीइन्फेक्ट पाया जाता है तो ऐसा शरीर में बचे रह गए वायरस के पार्टिकल्स के कारण होगा। यानी यह वास्तव में रीइन्फेक्शन का मामला नहीं होगा। इसके अलावा एजेंसी ने कहा कि कोरोना संक्रमण से ग्रस्त हल्के और मध्यम स्तर के मरीजों को दस दिन के आइसोलेशन के बाद डिस्चार्ज किया जा सकता है। वहीं, गंभीर लक्षणों वाले मरीजों के लिए आइसोलेशन पीरियड को ज्यादा से ज्यादा 20 दिन तक कर दिया गया है। गाइडलाइन के मुताबिक, हल्के और मध्यम कोविड-19 मरीज लक्षण दिखने के दस दिनों के बाद संक्रामक नहीं रह जाते, जबकि गंभीर मरीजों के मामले में संक्रमण फैलाने की यह क्षमता 20 दिन तक रहती है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 के रिकवर मरीजों में रीइन्फेक्शन का एक भी मामला नहीं, कम मात्रा में मौजूद रह सकता है कोरोना वायरस- सीडीसी है

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