शोधकर्ताओं ने एक ऐसे ड्रग ट्रीटमेंट का पता लगाया है, जिसे कोविड-19 की शुरुआती स्टेज में इस्तेमाल करने से इस बीमारी के गंभीर लक्षणों से होने वाली मौतों को कम करने में मदद मिल सकती है। इस ड्रग का नाम है प्रेजोसिन। प्रतिष्ठित जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के किमेल कैंसर सेंटर स्थित लुडविग सेंटर के शोधकर्ताओं के मुताबिक, अमेरिकी ड्रग एजेंसी एफडीए से मान्यता प्राप्त यह ड्रग रक्तवाहिकाओं को रिलैक्स करने का काम करता है।

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शोधकर्ताओं का मत है कि प्रेजोसिन कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण के प्रभाव में शरीर में पैदा होने वाले साइटोकिन स्टॉर्म सिंड्रोम (सीएसएस) पर हमला करती है। यह स्थिति ज्यादातर उन बुजुर्ग मरीजों में देखने को मिलती है, जो पहले से किसी बीमारी से पीड़ित होते हैं। कोविड-19 से ग्रस्त होने पर ऐसे बुजुर्गों की मौत ज्यादा होती है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर फेफड़ों और शरीर के दूसरे अंगों में सूजन और जलन के लक्षणों का पूर्वानुमान लगाते हुए प्रेजोसिन का इस्तेमाल किया जाए तो इससे ऐसे बुजुर्गों की मौतों को कम किया जा सकता है। लेकिन उन्होंने यह साफ किया है कि ऐसा तभी संभव है, जब बीमारी की वक्त रहते पहचान कर ली जाए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की एडवांस स्टेज में यह ड्रग शायद काम नहीं करेगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि प्रेजोसिन को इस्तेमाल करने से पहले एहतियात के तौर पर इसके नियंत्रित क्लिनिकल ट्रायल किए जाने चाहिए।

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जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर और इस शोध के वरिष्ठ लेखक डॉ. चेतन बेटेगोड़ा बताते हैं कि कोरोना वायरस के प्रभाव में साइटोकिन (शरीर में मौजूद कुछ विशेष केमिकल पदार्थ) और कैटिकॉलमीन्ज (एक प्रकार हार्मोन) शरीर में सूजन और जलन बढ़ा देते हैं। इसीलिए यूनिवर्सिटी की रूमटॉलजी और संक्रामक रोगों की डिविजन और न्यूरॉलजी तथा न्यूरोसर्जरी के विभागों के शोधकर्ताओं ने साइटोकिन और कैटिकॉलमीन्ज की प्रतिक्रियाओं को सुरक्षित रूप से ब्लॉक करने के तरीकों पर काम किया।

चूहों पर आधारित मॉडलों के तहत किए गए शोध के दौरान उन्होंने पाया कि आमतौर पर ब्लड प्रेशर, प्रोस्टेट ग्लैंड के बढ़ने आदि समस्याओं में इस्तेमाल होने वाली इस दवा ने साइटोकिन का लेवल कम कर दिया था। इससे चूहों को उसी प्रकार के लक्षणों से बचाने में कामयाबी मिली, जो कोविड-19 के प्रभाव में शरीर में सीएसएस का कारण बनते हैं। शोध के शुरुआती परिणामों के आधार पर बताया गया कि प्रेजोसिन ने अन्य वायरल बीमारियों से चूहों के मरने की दर 55 प्रतिशत तक कम कर दी थी।

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नोट: यह स्पष्ट किया जाता है कि हम केवल इस शोध से जुड़ी जानकारी पाठकों तक पहुंचा रहे हैं। इसके परिणामों को लेकर किसी तरह का दावा इस रिपोर्ट में नहीं किया गया है। पाठकों को इस दवा के सेवन की सलाह भी नहीं दी गई है। वे इस बारे में सोचते हुए अपने विवेक का इस्तेमाल करें।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें शोधकर्ताओं को क्यों लगता है कि इस दवा से कोविड-19 ग्रस्त बुजुर्गों की मौतों को कम किया जा सकता है, जानें है

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