कोविड-19 संकट से बुरी तरह प्रभावित ब्राजील को लेकर एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी की वजह बना नया कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 नवंबर 2019 से ब्राजील में मौजूद था और सर्कुलेट हो रहा था। यानी दिसंबर 2019 के अंत में चीन द्वारा सार्स-सीओवी-2 के दुनिया में नए वायरस के रूप में आने की पुष्टि किए जाने से एक महीना पहले ही यह विषाणु ब्राजील में मौजूद था। यह नई जानकारी इस तथ्य को एक और चुनौती है कि नया कोरोना वायरस सबसे पहले चीन के वुहान शहर के एक मांस बाजार से फैलना शुरू हुआ था। इससे पहले शोधकर्ताओं ने दावा किया था कि इटली में भी नया कोरोना वायरस चीन द्वारा की गई घोषणा से पहले मौजूद था।
इस सिलसिले में ताजा अध्ययन मेडिकल व चिकित्सा संबंधी शोधों की समीक्षा से पहले उन्हें ऑनलाइन स्टडी के लिए उपलब्ध कराने वाले प्लेटफॉर्म 'मेडआरकाइव' पर पढ़ा जा सकता है। अध्ययन के मुताबिक, दक्षिण और उत्तरी अमेरिकी देशों में कोविड-19 का पहला मामला सामने आने से काफी पहले से नया कोरोना वायरस ब्राजील में मौजूद था। बताया गया है कि वायरस नवंबर 2019 में सैंटा कैटालीना शहर में सर्कुलेट हो रहा था, जबकि इस दक्षिण अमेरिकी में देश कोविड-19 के पहले मरीज की पुष्टि 25 फरवरी, 2020 को हुई थी।
मानव मल में मिला वायरस
ब्राजील में सार्स-सीओवी-2 कब पहुंचा यह पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने छह अलग-अलग समयावधि के तहत सैंटा कैटलीना में मानव मल के सैंपल इकट्ठा किए। ये सैंपल अक्टूबर 2019 से लेकर मार्च 2020 के बीच शहर के सीवेज सिस्टम से इकट्ठा किए गए थे। शहर के फ्लोरियानोपोलिस इलाके में स्थित जिस सीवेज सिस्टम से नमूने लिए गए, वहां करीब 5,000 लोगों का मानव मल इकट्ठा होता है।
जांच में शुरुआती सैंपल नेगेटिव निकले। इन नमूनों को 30 अक्टूबर 2019 और छह नवंबर 2019 को लिया गया था। लेकिन इसके बाद 27 नवंबर 2019 से लेकर चार मार्च 2020 के बीच लिए गए सारे सैंपलों में वायरस मिलने की पुष्टि हुई। इस तरह यह दिलचस्प तथ्य सामने आया कि ब्राजील में कोविड-19 का पहला मामला सामने आने से 91 दिन पहले ही सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस वहां फैल रहा था। वहीं, सैंटा कैटलीना में पहले मरीज की पुष्टि होने से 97 दिन पहले वायरस वहां मौजूद था। इस तथ्य को और आगे ले जाएं तो पता चलता है कि उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका में यह नया वायरस यहां के लोगों को संक्रमित करने से काफी पहले फैल चुका था।
बहरहाल, शोध में यह जानकारी सामने आने के बाद वैज्ञानिकों ने कहा है कि वेस्टवॉटर या अर्बन सीवेज की निगरानी कर सार्स-सीओवी-2 के संभावित खतरे का अनुमान लगाया जा सकता है। साथ ही सार्वजिनक स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों व अधिकारियों को इस संबंध में सुरक्षा कदम उठाने में काफी मदद मिल सकती है।
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नोट: यह अध्ययन अभी तक किसी भी मेडिकल जर्नल में प्रकाशित नहीं किया गया है। इसके लिए पहले अध्ययन की समीक्षा की जाएगी। हम इस अध्ययन में सार्स-सीओवी-2 के ब्राजील में होने से जुड़े किसी भी तथ्य समर्थन या विरोध नहीं करते हैं। पाठक इस अध्ययन को मेडआरकाइव पर जाकर पढ़ सकते हैं।