शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के इलाज के लिए ऐसे छह वायरसरोधी दवाओं की पहचान की है, जिन्होंने लैब टेस्ट में सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस के खिलाफ सकारात्मक परिणाम दिए हैं। इनमें से दो ड्रग्स ऐसे हैं, जिन्हें मिश्रण के रूप में दिए जाने पर संक्रमित कोशिकाएं और बेहतर तरीके से रेस्पॉन्ड करती हैं। इस शोध को लिखने वाले विशेषज्ञों में से एक और नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर मैग्नर जोरास का कहना है कि शोध से जुड़े नए डेटा उत्साहवर्धक हैं। 

इसके अलावा, नॉर्वे और एस्टोनिया के शोधकर्ताओं ने एक अन्य शोध में बिना किसी दवा के एंटीबॉडी-लैडेन प्लाज्मा के जरिये कोविड-19 का इलाज ढूंढने की कोशिश की है। इस प्रयास के परिणाम आंशिक रूप से ही सकारात्मक हैं। दरअसल, इस शोध में यह सामने आया है कि प्लाज्मा थेरेपी के जरिये कोविड-19 के गंभीर मरीजों को केवल उन्हीं लोगों के प्लाज्मा से ठीक किया जा सकता है, जो हाल ही में इस बीमारी को मात देकर इससे उबरे हैं। यानी जिनके शरीर में कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 को रोकने वाले एंटीबॉडी हाल ही में विकसित हुए हैं। शोध में सामने आए इस तथ्य पर नॉर्वे यूनिवर्सिटी के क्लिनिकल एंड मॉलिक्यूलर मेडिसिन डिपार्टमेंट (डीसीएमएम) के प्रोफेसर स्वेन आर्ने का कहना है, 'इसका मतलब है कि अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति से ब्लड लेकर अन्य मरीजों को दे रहे हैं, जिसे कोविड-19 के डायग्नॉसिस के बाद ठीक हुए दो महीने हो चुके हैं, तो शायद कोई फायदा न मिले।'

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पहले शोध के परिणाम
इसके तहत शोधकर्ताओं ने कोशिकाओं के एक समूह या सेल कल्चर का इस्तेमाल सार्स-सीओवी-2 वायरस की संख्या बढ़ाने में किया। इसमें वेरो-ई6 नाम की कोशिका की भूमिका सबसे अहम रही। कोशिकाओं में वायरस की मात्रा में हुई बढ़ोतरी की वजह से ही वैज्ञानिक उन पर कोई 136 ड्रग्स का प्रयोग कर पाए। इस प्रयोग में उन्हें छह ऐसे ड्रग्स का पता चला, जिन्होंने वायरस के खिलाफ अपेक्षित परिणाम दिए। इनमें कुछ ड्रग्स कॉम्बिनेशन भी शामिल हैं।

शोधकर्ताओं ने जिन छह ड्रग्स का पता लगाया है, इनमें नेलफिनावीर, सैलिनोमाइसिन, अमोडियाक्विन, ओबैटोक्लैक्स, एमिटिन और होमोहैरिंग्टोनाइन शामिल हैं। डीसीएमएम के एक और (एसोसिएट) प्रोफेसर और शोधपत्र के एक वरिष्ठ लेखक डेनिस कैनोव ने बताया कि इन छह ड्रग्स में से नेलफिनावीर और अमोडियाक्विन के कॉम्बिनेशन ने वायरस के खिलाफ सबसे कारगर प्रभाव दिखाया। शोधकर्ता इन परिणामों से इतने उत्साहित हैं कि उन्हें लगता है कि अब दूसरे वैज्ञानिकों और शोधकर्ताों को भी कोविड-19 के मरीजों पर इन ड्रग कॉम्बिनेशन्स को आजमाना चाहिए। इस बारे में डेनिस ने कहा है, 'आसानी से उपलब्ध होने वाला यह ड्रग कॉम्बिनेशन कोशिकाओं में वायरस संक्रमण को रोकता है। आगे होने वाली प्री-क्लिनिकल स्टडीज और क्लिनिकल ट्रायलों में इसका परीक्षण किया जाना चाहिए।'

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दूसरे शोध के परिणाम
इसके अलावा, ये शोधकर्ता यह भी देखना चाहते थे कि कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीजों का ब्लड प्लाज्मा (जिन्हें शोधकर्ता कॉन्वलेसेंट सिरम भी कहते हैं) दूसरे कोरोना मरीजों को ठीक कर पाता है अथवा नहीं। इस शोध में भी वेरो-ई6 सेल कल्चर की मदद ली गई। इन कोशिकाओं का इस्तेमाल करके ही शोधकर्ता वायरस को 'खत्म करने वाले एंटीबॉडी' का टेस्ट विकसित कर पाए। इस टेस्ट के जरिये उन्हें इन एंटीबॉडीज की मजबूती का आंकलन करने में मदद मिली। शोधकर्ताओं का कहना है कि इन रोग-प्रतिकारकों ने अपने नाम (न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी) के अनुरूप ही काम किया है।

टेस्ट के तहत शोधकर्ताओं ने रिकवर हुए मरीजों के शरीर से ब्लड प्लाज्मा लिए और उन्हें उन सेल कल्चर में डाला, जिनमें वायरस पहले से मौजूद था। इस प्रयास में शोधकर्ताओं ने पाया कि ठीक हुए कुछ मरीजों के प्लाज्मा से इतने एंटीबॉडी विकसित नहीं हो पाए कि वे वायरस को खत्म कर पाते। उन्होंने यह भी पाया कि जो मरीज टेस्ट किए जाने के समय के आसपास ही बीमारी से उबरे थे, उनके एंटीबॉडी उतने ज्यादा प्रभावी थे। शोधकर्ताओं के मुताबिक, दो महीनों के बाद ऐसे मरीजों के कॉन्वलेसेंट सिरम में इतने एंटीबॉडी नहीं रह गए थे कि वे कोशिकाओं में फैल चुके वायरस को खत्म कर पाते। इस आधार पर शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि कोविड-19 के इलाज में लगे डॉक्टरों को बीमारी से ठीक हुए मरीजों से जल्दी से जल्दी प्लाज्मा ले लेना चाहिए, क्योंकि समय के साथ एंटीबॉडी की मात्रा कम होती जाती है।

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लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसे लोग आगे चलकर वायरस से असुरक्षित हो जाएंगे। नॉर्वे यूनिवर्सिटी में इम्यूनॉलजी एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की प्रोफेसर मोना फेन्स्टेड ने बताया कि इस जानकारी का मतलब यह नहीं है कि ठीक हुए मरीजों की स्थायी इम्यूनिटी खत्म हो जाती है। उन्होंने कहा कि अगर ठीक हुआ मरीज फिर से वायरस की चपेट में आता है तो इसकी काफी ज्यादा संभावना है कि इम्यून सिस्टम की कोशिकाएं सार्स-सीओवी-2 वायरस को खत्म करने वाले एंटीबॉडीज फिर से पैदा कर लेंगी।

नोट: यह शोध 'वायरसेज' नामक मेडिकल पत्रिका में प्रकाशित हो चुका है। हम इसमें दी गई जानकारियों की पुष्टि नहीं करते हैं। पाठकों से अनुरोध है कि वे तथ्यों पर विश्वास करने से पहले अपने विवेक का इस्तेमाल करें।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें इस ड्रग कॉम्बिनेशन में कोविड-19 का इलाज करने की क्षमता, प्लाज्मा थेरेपी के लिए नए-नए ठीक हुए मरीजों के एंटीबॉडी का इस्तेमाल करें: शोधकर्ता है

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