कोविड-19 संक्रमण होने पर किसी मरीज में कई तरह की अवस्थाएं नजर आ सकती हैं। पहला है- अलक्षणी या asymptomatic जिसमें मरीज में कोई लक्षण नहीं दिखते, दूसरा है- paucisymptomatic कंडिशन जिसमें बेहद कम लक्षण नजर आते हैं, तीसरा है- हल्के-फुल्के या मध्यम श्रेणी के लक्षण और चौथा है- गंभीर या बेहद नाजुक लक्षण।
इस बीमारी के लक्षण फ्लू से मिलते जुलते हो सकते हैं, जठरांत्र (gastrointestinal) से जुड़े लक्षण हो सकते हैं या फिर सांस से संबंधी लक्षणों की गंभीर स्थिति या निमोनिया जैसा भी हो सकता है। चूंकि यह बीमारी कोविड-19 बिलकुल नई है (पहली बार दिसंबर 2019 में यह बीमारी सामने आयी) इसलिए लक्षणों में होने वाले इस अंतर की वजह से आम लोगों के लिए इसे समझना बेहद मुश्किल है। यही वजह है कि लक्षणों के आधार पर पता ही नहीं चलता कि कब डॉक्टर के पास जाना चाहिए और कब नहीं।
अब तक जो भी आंकड़े या डेटा इस बारे में मिल पाया है उसके मुताबिक कोविड-19 के सभी मामलों में से करीब 80 फीसदी मामले माइल्ड यानी हल्के-फुल्के लक्षण वाले होते हैं, करीब 14 प्रतिशत गंभीर मामले होते हैं और सिर्फ 5 प्रतिशत ही बेहद नाजुक (क्रिटिकल) मामले होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने कोविड-19 के गंभीर और हल्के लक्षणों के बीच क्या अंतर बताया है इस बारे में यहां जानें।