मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का सही से पालन करके भारत में कोविड-19 से जुड़ी दो लाख संभावित मौतों को रोका जा सकता है। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने मॉडलिंग स्टडी के आधार पर यह बात कही है। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में हुए इस अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिकों ने अनुमान के तहत कहा है कि भारत में कोविड-19 इस साल के अंत तक एक बड़े स्वास्थ्य खतरे के रूप में बनी रहेगी। हालांकि मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के जरिये इससे होने वाली करीब दो लाख अनुमानित मौतों को टाला जा सकता है। अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता क्रिस्टॉफर मुर्रे ने कहा है, 'भारत में महामारी का खत्म होना अभी दूर की बात है। वहां आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी इसके खतरे में है।'
वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड एवैलुएशन (आईएचएमई) के निदेशक मुर्रे ने आगे कहा, 'हमारी मॉडलिंग में पता चला है कि आज, कल और भविष्य में सरकारों और लोगों द्वारा उठाए गए कदमों के चलते महामारी से जुड़े कई नए परिणाम देखने मिलेंगे। ऐसे में मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना कोरोना वायरस को फैलने से रोकने की दिशा में काफी महत्वपूर्ण है।' इस अध्ययन पर प्रतिष्ठित समाचार एजेंसी पीटीआई ने हरियाणा की अशोक यूनिवर्सिटी के फिजिक्स और बायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर गौतम मेनन से बात की। उन्होंने कहा, 'मेरे विचार में आईएचएमई मॉडल दिसंबर की शुरुआत और मध्य के बीच संक्रमण के चरम पर जाने की भविष्यवाणी करता है। उस समय प्रतिदिन सामने आने वाले मामलों की संख्या 60 लाख (अध्ययन के हिसाब से) के आसपास रह सकती है और पांच लाख तक मौतें हो सकती हैं।'
गौतम मेनन का यह भी कहना है कि मास्क पहनकर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करके बीमारी को और बढ़ने से रोकने में मदद मिल सकती है। इससे वायरस के प्रति कमजोर लोगों को सुरक्षा मिलेगी। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि इस अध्ययन में बीमारी के चरम पर होने पर बढ़े हुए केसों की संख्या अन्य मॉडलों से ज्यादा बताई गई है। वहीं, यह अध्ययन इस मायने में भी अलग है कि अन्य स्टडीज में भारत में कोविड-19 का पीक दिसंबर से पहले आने का अनुमान लगाया गया है।
बहरहाल, आईएचएमई का अध्ययन कहता है कि कोविड-19 के खिलाफ भारत ने जिस तरह की प्रतिक्रिया दी है, उससे इस बीमारी के खिलाफ कुछ उल्लेखनीय कामयाबियां मिली हैं। इनसे बीमारी को सीमित करने का अवसर पैदा हुआ है। दिल्ली जैसे शहरी इलाकों का उदाहरण देते हुए शोधकर्ताओं ने कहा है कि संक्रमण के ट्रांसमिशन के लिहाज से ज्यादा संवेदनशील इलाकों को कनटेंमेंट जोन घोषित करके वहां कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, व्यापक टेस्टिंग और मास्क वियरिंग और सोशल डिस्टेंसिंग अनिवार्य करने जैसी रणनीतियां अपनाकर वायरस को फैलने से रोकने में काफी मदद मिली है।
इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए मॉडलिंग के तहत किए गए विश्लेषण के आधार पर वैज्ञानिकों ने कहा है कि भारत में एक दिसंबर, 2020 तक कोविड-19 से दो लाख 91 हजार 145 मौतें हो सकती हैं। लेकिन अगर लॉकडाउन संबंधी पाबंदियों में छूट दी जाती रही और फेस मास्क पहनने का चलन मौजूदा स्तर जितना बना रहा तो मृतकों का आंकड़ा चार लाख 92 हजार तक हो सकता है। यह संकेत देता है कि भारत में इस समय मास्क वियरिंग और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अपेक्षित रूप से नहीं हो रहा है। ऐसे में साल के अंतिम महीने तक भारत के 13 राज्यों में से हरेक में कम से कम 10 हजार लोगों को मौत हो चुकी होगी। इनमें महाराष्ट्र यह आंकड़ा पहले ही छू चुका है। ऐसे में लोगों को मास्क पहनते हुए सोशल डिस्टेसिंग का ध्यान रखना होगा।