कोविड-19 संक्रमण ने दुनिया भर के 178 देशों को अपनी चपेट में ले लिया है। दिसंबर 2019 से चर्चा में आए इस घातक संक्रमण को रोकने के लिए अप्रैल महीने की शुरुआत तक कोई टीका नहीं बन सका है। वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल के चलते वैश्विक और स्थानीय स्वास्थ्य सेवा से जुड़े सभी सिस्टम अपने दायरे से बाहर जाकर जहां तक संभव हो सकता है लोगों की मदद करने की कोशिश कर रही हैं।
इस तरह की महामारी के दौरान विकसित और विकासशील दोनों ही देशों के पब्लिक हेल्थकेयर सिस्टम पर सामान्य से ज्यादा बोझ बढ़ा हुआ है। विशेषज्ञों के कहना है कि कोविड-19 के खतरे के बीच इस वक्त सभी देशों को अन्य मौसमी बीमारियों के प्रति भी गंभीर रहना चाहिए। यह वह समय होता है जब एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका जैसे देशों में मलेरिया बीमारी अपना असर दिखाना शुरू करती है। इस गंभीर बीमारी के चलते पूरी दुनिया में हर साल 8 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
कोविड-19 के वैश्विक खतरे के बीच मलेरिया फैलाने वाले परजीवी प्लास्मोडियम और मादा एनाफिलिस मच्छरों को यह नहीं पता है कि पूरा विश्व इस वक्त किस परिस्थितियों से गुजर रहा है, ऐसे में हमें ऐसी समस्याओं को लेकर भी अतिरिक्त सावधान रहने की जरूरत है।
भारत जैसे देशों में जहां पूरी स्वास्थ्य सेवाएं कोविड से बचाव में लगी हुई हैं, इस दौरान मलेरिया जैसी बीमारी उनकी परेशानियों को और बढ़ा सकती है। भारत में साल 2020 में गर्मी और बरसात के महीनों में मलेरिया फैलने का खतरा है और इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO पहले ही सचेत कर चुका है। इसलिए, कोविड-19 महामारी के खतरे के बीच मलेरिया के संक्रमण को रोकने की भी पूरी तैयार शुरू कर देनी चाहिए, जिससे संभावित किसी भी प्रकार के खतरे से देश को पहले से ही सुरक्षित किया जा सके।