क्या नया कोरोना वायरस इसकी चपेट में आने वाले लोगों को नए तरीकों से बीमार कर रहा है? यह सवाल हम नहीं, बल्कि दुनियाभर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ कर रहे हैं। दरअसल, कुछ अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में यह जानकारी सामने आई है कि नया कोरोना वायरस लोगों को बुखार, खांसी, जुकाम के अलावा और भी स्वास्थ्य समस्याएं दे रहा है। हाल में मेडिकल विशेषज्ञों ने यह आशंका जताई कि कोरोना वायरस से ग्रस्त मरीज सूंघने की क्षमता खो सकते हैं। अब कुछ नई रिपोर्टें यह भी बता रही हैं कि सार्स-सीओवी-2 का संक्रमण लोगों को शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी क्षति पहुंचा रहा है।
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अमेरिका के चर्चित अखबार 'न्यूयॉर्क टाइम्स' (एनवाईटी) के मुताबिक, कई न्यूरोलॉजिस्ट ने इसकी पुष्टि की है। उनका कहना है कि कोविड-19 के पीड़ित मरीजों से जुड़े कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं, जिनमें कोरोना वायरस का प्रभाव मरीज के दिमाग पर भी पड़ा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो कुछ रोगियों में इसे परिवर्तित मानसिक स्थिति या एन्सेफैलोपैथी, मस्तिष्क रोग या ब्रेन डिसफंक्शन कहा जा सकता है।
इसके अलावा अन्य गंभीर स्थितियां भी हो सकती हैं। जैसे संक्रमण की चपेट में आने से मरीज के बोलने की क्षमता प्रभावित हो सकती है और दिमाग में सूजन के कारण सिरदर्द बढ़ सकता है। हालांकि यहां साफ कर दें कि ऐसे लक्षण कुछ मरीजों में ही देखने को मिले हैं यानी इन्हें दुर्लभ मामलों में गिना जा सकता है। इनके अलावा कोरोना वायरस के चलते मरीजों में हृदय रोग, सूंघने और अलग-अलग स्वाद को पहचाने की क्षमता में कमी जैसी समस्याएं भी देखने में आई हैं।
एक बुजुर्ग में मिले थे दुर्लभ लक्षण
एनवाईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च के महीने में एक 74 वर्षीय बुजुर्ग व्यक्ति को फ्लोरिडा में स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पीड़ित को खांसी और बुखार की शिकायत थी। एक्स-रे जांच में उसे निमोनिया होने की बात सामने आई। अगले दिन मरीज का बुखार बढ़ा। अब उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक, बुजुर्ग की हालत इतनी बिगड़ी कि वह डॉक्टर को अपना नाम तक नहीं बता पा रहा था। उसके बोलने की क्षमता लगभग खत्म हो चुकी थी।
जांच रिपोर्ट में पता चला कि काफी समय से रोगी को फेफड़ों की बीमारी थी, साथ ही वह पार्किंसन (तंत्रिका तंत्र से जुड़ा रोग) से भी पीड़ित था। अखबार ने बताया कि इलाज के दौरान पीड़ित को दौरा पड़ा, जिसके जलते वह अपने हाथ-पैरों को झटकने लगा। तब डॉक्टरों ने आशंका जताई कि बुजुर्ग व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकता है। बाद में इसकी पुष्टि भी हुई।
एक महिला में भी मिले ऐसे लक्षण
ऐसा ही एक दुर्लभ मामला डेट्रॉयट में सामने आया है। स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी पत्रिका ‘रेडियोलॉजी’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां एक 58 वर्षीय महिला कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गई थी। इलाज के दौरान वह बमुश्किल अपना नाम बता पाई थी। बाद में उसके बोलने की क्षमता खत्म होती गई। जब उसकी मानसिक जांच (ब्रेन स्कैनिंग) की गई तो पता चला कि उसके दिमाग के अलग-अलग हिस्सों में सूजन हो गई थी। डॉक्टरों ने पाया कि महिला के दिमाग के एक हिस्से की कुछ कोशिकाएं पूरी तरह से खत्म हो चुकी थीं।
डॉक्टरों ने बताया कि यह दिमाग की बेहद गंभीर स्थिति है, जिसे 'एक्यूट नेक्रोटाइजिंग एनसेफेलोपैथी' कहा जाता है। यह मानसिक विकार से जुड़ी दुर्लभ समस्या है जो इंफ्लुएंजा और अन्य वायरसों के संक्रमण से होती है। पत्रिका के मुताबिक, डॉक्टरों ने बताया कि इस महिला के मामले में यह समस्या कोरोना वायरस की वजह से थी। महिला के इलाज में शामिल न्यूरोलॉजिस्ट एजिसा फोरी ने बताया कि संक्रमण के संपर्क में आने के बाद कुछ दिनों में तेजी से दिमाग में सूजन आती है और दुर्लभ स्थिति में कोरोना वायरस दिमाग को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
कुछ मरीजों में स्ट्रोक के लक्षण
इटली में भी कोरोना वायरस के मरीजों में स्ट्रोक के लक्षण दिखाई दिए हैं। यहां ब्रेशिया यूनिवर्सिटी के हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. एलेसेंड्रो पेडोवानी का कहना है कि कई डॉक्टरों ने कोरोना के मरीजों में मानसिक रूप से होने वाला बदलाव नोटिस किया है। उनमें ब्रेन स्ट्रोक, दिमागी दौरे, एन्सेफेलाइटिस के लक्षण दिखाई दिए हैं। इसके अलावा, दिमाग में खून के थक्के जमना (ब्लड क्लॉटिंग) और सुन्न होने जैसे स्थिति भी देखी गई है।
इतना ही नहीं, कुछ मामलों में तो कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति में बुखार और सांस में तकलीफ जैसे लक्षण दिखने से पहले बेहोशी की स्थिति देखी गई है। यही वजह है कि इटली में ऐसे मरीजों के लिए अलग से न्यूरो-कोविड यूनिट व्यवस्था शुरू की गई है। पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. शैरी चोउ का कहना है कि कोरोना वायरस से जुड़े न्यूरोलॉजिकल लक्षणों के बारे में अभी बहुत कुछ पता नहीं है, लेकिन चूंकि घटनाएं सामने आई हैं, इसलिए उन्हें ध्यान में रखते हुए अध्ययन के स्तर पर प्रयास जारी हैं।
चीन के शोधकर्ताओं ने भी की थी पुष्टि
इटली और अमेरिका ही नहीं, बल्कि हाल ही में एक शोध के माध्यम से चीनी वैज्ञानिकों ने भी कोरोना वायरस से जुड़े इस 'नए' लक्षण की पुष्टि की थी। शोधकर्ताओं ने बताया था कि उन्हें अध्ययन में ऐसे नतीजे मिले हैं, जो यह बताते हैं कि कोरोना वायरस का संक्रमण केवल सांस नली को प्रभावित नहीं करता, बल्कि यह नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र को भी नुकसान पहुंचा रहा है। चीन में ही हुए एक और अन्य रिसर्च में भी इसकी पुष्टि हुई है।
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मैरीलैंड स्थित बाल्टीमोर में 'जॉन्स हॉपकिन्स स्कूल ऑफ मेडिसिन' के एक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रॉबर्ट स्टीवंस के मुताबिक, चीन के वुहान शहर के न्यूरोलॉजिस्ट्स ने फरवरी में सबसे पहले इन लक्षणों की रिपोर्ट दी थी। उस रिपोर्ट के बाद में विशेषज्ञों ने जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, इटली और हॉलैंड के साथ-साथ अमेरिका में भी कुछ मरीजों में इसी तरह के लक्षणों के सामने आने की बात कही थी। इन मामलों में 60 साल से कम उम्र के रोगी भी शामिल थे। वहीं, मार्च के आखिर में 'ब्रिटिश मेडिकल जर्नल' में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि वुहान में कोविड-19 से मारे गए 113 रोगियों में से 22 प्रतिशत मृतकों में मानसिक विकार और गहरे कोमा का पता चला।