कोविड-19 बीमारी के लक्षणों की सूची में एक और नया लक्षण जुड़ सकता है। एक नए अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण के चलते मरीजों के मुंह में फुंसी या चकत्ते पड़ने के मामले सामने आए हैं, जो कोविड-19 बीमारी का संकेत हो सकता है। ऐसी रिपोर्टें हैं कि स्पेन में कोविड-19 के मरीजों के मुंह में फुंसी या चकत्ते जैसे जख्म दिखाई दिए हैं। जानी-मानी मेडिकल पत्रिका 'जामा डर्मटॉलजी' में प्रकाशित एक रिपोर्ट यह जानकारी देती है। स्पेन की राजधानी मेड्रिड के रैमन वाई कैजल यूनिर्सिटी हॉस्पिटल में किए गए एक अध्ययन के आधार पर पत्रिका ने कहा है कि कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के मुंह में चकत्ते या फुंसी जैसे जख्म हो सकते हैं।
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गौरतलब है कि अमेरिका की शीर्ष और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित स्वास्थ्य एजेंसी सीडीसी ने हाल के समय में कोविड-19 के लक्षणों कम से कम दो बार बदलाव किए हैं। इस वैश्विक महामारी की शुरुआत में केवल सांस लेने में तकलीफ, तेज बुखार और सूखी खांसी को कोरोना संक्रमण का लक्षण माना जाता था। बाद में इनमें कुछ और लक्षण शामिल किए गए। इनमें सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता का कम होना, गला खराब होना, सिरदर्द, थकान, मांसपेशी या बदन में दर्द जैसे लक्षण शामिल हैं। फिर पिछले महीने के अंत में इन लक्षणों की संख्या दस से ज्यादा हो गई, जब सीडीसी ने डायरिया, मतली और नाक जमने या बहने को भी कोविड-19 होने का लक्षण माना।
हाल में आई कुछ मीडिया रिपोर्टों में बताया गया था कि डॉक्टरों ने त्वचा पर चकत्ते होने को भी कोरोना वायरस के संक्रमण का एक लक्षण माना है। हालांकि अभी तक इसे औपचारिक रूप से स्वीकार नहीं किया गया है। लेकिन इस समय ज्यादातर देशों में कोविड-19 के मान्य लक्षणों की संख्या कम से कम तीन से अधिक ही है और अब यह संख्या एक और लक्षण के साथ बढ़ सकती है।
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जामा की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंह में चकत्ते या फुंसी होने को कोविड-19 का संभावित लक्षण बताने से पहले शोधकर्ताओं ने कोरोना संक्रमित 21 मरीजों की जांच की थी। इन लोगों की त्वचा पर चकत्ते थे। उनके मुंह में ऐसे लक्षण थे या नहीं, यह सुनिश्चित करने के लिए शोधकर्ताओं ने उन्हें चकत्तों या फुंसियों के प्रकार के हिसाब से चार अलग-अलग वर्गों में विभाजित कर दिया। विश्लेषण के दौरान उन्होंने पाया कि इन 21 मरीजों में से छह के मुंह में त्वचा पर होने वाले चकत्तों या फुंसी जैसे जख्म देखे गए थे। इन मरीजों की उम्र 40 साल से 69 साल के बीच थी, जिनमें से चार महिलाएं थीं।
शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि इन मरीजों के मुंह में ये जख्म किसी दवा क दुष्प्रभाव के रूप में नहीं हुए थे, बल्कि इनका संबंध संक्रमण से ही था। इस पर आगे बात करते हुए रिपोर्ट स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा का जिक्र भी करती है। इसके मुताबिक, कोरोना संक्रमितों के मुंह में जख्म होना स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिहाज से भी चिंताजनक है, क्योंकि सार्स-सीओवी-2 वायरस के संक्रमण से प्रभावित कई मरीजों के मुंह की जांच नहीं की जाती।
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हालांकि रिपोर्ट के अंत में निष्कर्ष के रूप में शोधकर्ताओं की टीम ने लिखा है, 'यह अध्ययन प्राथमिक अवलोकन की चर्चा करता है और मरीजों की संख्या के चलते सीमित है। यह अध्ययन कंट्रोल ग्रुप आधारित नहीं है। कोविड-19 के मरीजों के शरीर पर चकत्ते होने के मामले बढ़ने के बावजूद इसकी पुष्टि करना चुनौती भरा है। हालांकि मुंह में इनकी मौजूदगी एक मजबूत संकेत जरूर है।'