विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 24 मई, 2020 को कोविड-19 उपचार के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) दवा के परीक्षणों को अस्थायी रूप से रोक दिया है। बता दें, कि डब्ल्यूएचओ कई देशों के मरीजों पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का ट्रायल कर रहा था, जिसे सॉलिडैरिटी ट्रायल नाम दिया गया था। हालांकि, केवल हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के अलावा अन्य तीन दवाओं पर भी परीक्षण चल रहा था लेकिन अभी के लिए केवल एचसीक्यू के परीक्षण पर रोक लगाई गई है।
यह घोषणा स्वास्थ्य के क्षेत्र में दुनियाभर के रिसर्च प्रकाशित करने वाली मशहूर पत्रिका 'दि लैंसेट' में प्रकाशित एक अध्ययन के बाद जारी की गई, जिसमें पता चला कि एचसीक्यू लेने वाले कोरोना मरीजों की मौत की संख्या में इजाफा हुआ और इन मरीजों में अनियमित दिल की धड़कन की समस्या पाई गई।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, एचसीक्यू के परीक्षण को रोके जाने से 'डेटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड' को यह सुनिश्चित करने का अतिरिक्त समय मिल जाएगा कि कोविड-19 रोगियों के लिए एचसीक्यू लेना सुरक्षित है या नहीं। इस समीक्षा के परिणाम जून के मध्य तक आने की उम्मीद है और इस दौरान किसी भी नए मरीज पर इस दवा का उपयोग नहीं किया जाएगा, लेकिन जिन मरीजों पर पहले से परीक्षण शुरू हो चुका है, उन्हें यह दवा मिलती रहेगी। फिलहाल, इस समीक्षा का उद्देश्य केवल कोविड-19 मरीजों में एचसीक्यू की सुरक्षा का आकलन करना है। बता दें कि इस दवाई को पहले से ही मलेरिया और कुछ स्व-प्रतिरक्षित बीमारियों के इलाज के लिए सुरक्षित माना जाता रहा है।
पूरी खबर यह थी कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने 21 मार्च 2020 को एक एडवाइजरी में कहा कि इस दवा का इस्तेमाल एहतियात के तौर पर कोविड-19 संक्रमित रोगियों का इलाज कर रहे चिकित्सक और रोगियों के सीधे संपर्क में आने वाले लोगों पर किया जा सकता है। हालांकि इस दवा को नियमित रूप से हाथ धोते रहना और स्वच्छता बनाए रखने जैसे जरूरी कदमों के बदले में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। यानी यह दवा इन जरूरी ऐहतियाति कदमों का स्थान नहीं ले सकती।
चूंकि अब तक कोविड-19 से बचने के लिए कोई दवा नहीं बन सकी है इसे देखते हुए यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने मार्च में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) और क्लोरोक्वीन (सीक्यू) के उपयोग की अनुमति दे दी थी। आपको बता दें कि क्लोरोक्वीन (सीक्यू) भी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के समान दवा है। अमेरिका की तरह फ्रांस ने भी कोविड-19 के इलाज के लिए इन दोनों दवाओं के उपयोग की अनुमति दे दी थी।
बहरहाल, भारत दुनियाभर में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। ऐसे में दुनिया भर के देश भारत सरकार से इस दवा की सप्लाई करने की मांग कर रहे थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने भी इस दवा को गेम-चेंजर बताया था। वहीं दूसरी ओर, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूरोपीय संघ इस दवा के उपयोग को लेकर चिंतित हैं। असल में कोविड-19 के उपचार में इन दवाओं (हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन) में से कोई भी दवा अब तक सुरक्षा और प्रभाव के पैमाने पर पूरी तरह से खरी नहीं उतरी है। फिलहाल इस लेख में हम आपको इस दवा से जुड़ी सारी जानकारियां देंगे।