भारत उन देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने वेस्टवॉटर या गंदे पानी में कोरोना वायरस के जेनेटिक मटीरियल (डीएनए-आरएनए के अवशेष) ढूंढ निकालने का दावा किया है। इससे पहले जापान और इटली के शोधकर्ता यह दावा कर चुके हैं। खबरों के मुताबिक, भारतीय वैज्ञानिकों ने पहली बार दावा किया है कि उन्हें सीवर वॉटर में सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस के वंशाणुओं के मौजूद होने का पता चला है। इसे कोविड-19 की निगरानी के संबंध में एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। इससे वायरस के वेस्टवॉटर के जरिये फैलने के दावे की भी पुष्टि होती है।

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मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, यह अध्ययन आईआईटी-गांधीनगर के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किया गया है। इसमें उन्होंने अहमदाबाद के वेस्टवॉटर की जांच की थी, जिसमें पाई गई वायरस की जीन कॉपी शहर में सामने आए कोरोना वायरस के मामलों से मेल खाती हैं। इस कामयाबी के साथ ही भारत उन देशों में शामिल हो गया है, जो कोविड-19 को लेकर वेस्टवॉटर आधारित महामारी विज्ञान के तहत साथ मिलकर काम कर रहे हैं। यूनाइटेड किंगडम स्थित सेंटर फॉर इकॉलजी एंड हाइड्रॉलजी में पर्यावरण सूक्ष्मविज्ञानी एंड्रयू सिंगर ने ट्विटर पर इसकी जानकारी दी है।

इटली और जापान के वेस्टवॉटर में मिल चुका है कोरोना वायरस
भारत से पहले यूरोपीय देश इटली और पूर्वी एशियाई देश जापान के शोधकर्ताओं ने अपने यहां के वेस्टवॉटर में कोरोना वायरस पाए जाने का दावा किया था। बीते हफ्ते जब जापान के शोधकर्ताओं ने नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के सीवर प्लांट में मौजूद होने की पुष्टि की तो इसे भविष्य में इस वायरस के फैलने के नए संकेत के रूप में देखा गया। अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जापान के शोधकर्ताओं ने वहां के दो प्रशासक प्रांतों इशिकावा और टोयामा स्थित चार वेस्टवॉटर प्लांट से लिए गंदे पानी के नमूनों की जांच की थी। शोधकर्ताओं की मानें तो कुल 27 नमूनों में से सात में सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस मिलने की पुष्टि हुई थी।

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सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की सैंपलिंग के जरिये बिना टेस्टिंग के यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि किसी क्षेत्र विशेष में कितने लोग वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। यह बात इटली के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है, जहां कुछ समय पहले यह खबर आई थी कि वहां कोविड-19 के एक ऐसे मरीज की पुष्टि हुई है, जिसे कोरोना वायरस ने पिछले साल दिसंबर में ही संक्रमित कर दिया था। तब कई जानकारों ने इस जानकारी पर यह कहते हुए सवाल उठाए थे कि केवल एक व्यक्ति के सैंपल में वायरस मिलना कोई मजबूत थ्योरी नहीं है।

लेकिन अब इटली के वेस्टवॉटर में भी कोरोना वायरस के अवशेष मिले हैं, जिससे इस थ्योरी को बल मिला है कि शायद इस यूरोपीय देश में कोरोना वायरस दिसंबर 2019 के अंत में चीन द्वारा घोषणा किए जाने से पहले ही फैल चुका था। खबरों के मुताबिक, शोधकर्ताओं को इटली के दो शहरों मिलान और ट्यूरिन के सीवेज सिस्टम में कोरोना वायरस के अवशेष मिले हैं। उनका कहना है कि यहां यह वायरस दिसंबर 2019 से ही मौजूद था, जबकि इटली में इसकी मौजूदगी की पुष्टि दो महीने बाद फरवरी 2020 में की गई थी। गौरतलब है कि इसके बाद इटली समेत पूरे यूरोप में कोरोना वायरस ने बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमित करना शुरू कर दिया था।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: अब भारत के वैज्ञानिकों ने सीवर वॉटर में कोरोना वायरस मिलने का दावा किया है

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