भारत ने मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन या एचसीक्यू को लेकर बड़ा फैसला किया है। उसने इसके निर्यात पर लगी रोक को वापस ले लिया है। सरकार ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है, जब अमेरिका समेत कई देशों ने भारत से इस दवा की आपूर्ति करने की अपील की है। अमेरिका का कहना है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी कोविड-19 के इलाज में 'कारगर' है और उन्हें इस दवा के स्टॉक की काफी जरूरत है। गौरतलब है कि अमेरिका भारत से कई बार इस एंटी-मलेरिया दवा की आपूर्ति की मांग कर चुका है।
खबरों के मुताबिक, सरकार ने कुल 24 ड्रग्स के निर्यात पर लगे प्रतिबंद को हटा लिया है। इनमें 12 जरूरी दवाएं और 12 एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट यानी एपीआई ड्रग्स शामिल हैं। कहा जा रहा है कि अब इन दवाओं की मांग को देखते हुए अमेरिका समेत कोरोना संक्रमित अन्य देशों में इनकी आपूर्ति की जाएगी। हालांकि ऐसा करते समय घरेलू जरूरतों का ध्यान रखे जाने की बात भी कही गई है।
(और पढ़ें- कोविड-19: दुनियाभर में 14 लाख से ज्यादा संक्रमित, 82,000 की मौत)
सभी मांगों को पूरा करने की क्षमता
सरकार के इस फैसले को लेकर कई लोग सवाल कर रहे हैं। उनका कहना है कि आखिर किस आधार पर सरकार ने एचसीक्यू के निर्यात पर लगे बैन को हटाया, जबकि भारत में इसका ट्रायल अभी चल रहा है और पास होने की सूरत में देश को इस दवा की जरूरत पड़ सकती है।
इस संबंध में कुछ मीडिया रिपोर्टें सामने आई हैं। इनमें बताया गया है कि सरकार ने यह फैसला क्यों किया। एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार के इस फैसले की वजह देश की बड़ी फार्मा कंपनियों (‘इप्का लैबोरेट्रीज’ और ‘जाइडस कैडिला’) के तेजी से दवाओं का उत्पादन कर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग को पूरा करने क्षमता है। इन दवा कंपनियों का भी कहना है कि इस मांग को पूरा करना संभव है, जिसके लिए उन्होंने काम शुरू कर दिया है।
रिपोर्टों के मुताबिक, एचसीक्यू की विदेशी मांग को पूरा करने के लिए कंपनियों को लगभग 15 करोड़ टेबलेट्स का उत्पादन करना होगा। साथ ही, घरेलू स्तर पर मांग को पूरा करने के लिए भारत सरकार द्वारा दिए ऑर्डर के तहत दस करोड़ टेबलेट्स का उत्पादन करना होगा। कंपनियों का कहना है कि वे ऐसा करने में सक्षम हैं। बता दें कि सरकार ने हेल्थ इमरजेंसी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह ऑर्डर दिया है।
कितने समय में बनेंगी इतनी दवाएं?
फार्मा कंपनी ‘जाइडस कैडिला’ के मुताबिक, कंपनी ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की मांग को देखते हुए इसका उत्पादन बढ़ा दिया है। उसका कहना है कि अब हर महीने 20 से 30 मेट्रिक टन (20-30 हजार किलोग्राम) तक उत्पादन किया जा सकेगा। इससे पहले हर महीने इस दवा का तीन मेट्रिक टन उत्पादन किया जाता था।
इन ड्रग्स के निर्यात पर से भी हटा बैन
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, केंद्र सरकार ने जिन एपीआई और अन्य ड्रग्स फॉर्म्युलेशन के निर्यात पर से बैन हटाया है, उनके नाम निम्नलिखित हैं:
- टिनिडैजॉल
- मेट्रोनिडैजॉल
- एसाइकिलवियर
- विटामिन बी1
- विटामिन बी12
- विटामिन बी6
- न्यूमाइसिन
- प्रोजेस्टेरोन
- क्लोरमफेनिकॉल
- एरिथ्रोमाइसिन सॉल्ट्स
- क्लिंडामाइसिन सॉल्ट्स
- ऑर्निडैजॉल
- क्लोरमफेनिकॉल फॉर्म्युलेशन
- एरिथ्रोमाइसिन सॉल्ट्स फॉर्म्युलेशन
- क्लिंडामाइसिन सॉल्ट्स फॉर्म्युलेशन
- प्रोजेस्टेरोन फॉर्म्युलेशन
- विटामिन बी12 फॉर्म्युलेशन
- विटामिन बी6 फॉर्म्युलेशन
- न्यूमाइसिन फॉर्म्युलेशन
- ऑर्निडैजॉल फॉर्म्युलेशन
- मेट्रोनिडैजॉल फॉर्म्युलेशन
- टिनिडैजॉल फॉर्म्युलेशन
- मेट्रोनिडैजॉल फॉर्म्युलेशन
- एसाइकिलवियर फॉर्म्युलेशन